Advertisement
अब तकअभी तकलखनऊ

72वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर राम जानकी सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन द्वारा कवि सम्मेलन व देश भक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम व सम्मान समारोह का किया गया आयोजन

लखनऊ।72वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर राम जानकी सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन मुख्यालय, लखनऊ के समीप 1090 चौराहे पर
कवि सम्मेलन व देश भक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया ।
जिसमें मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक द्वारा लखनऊ की श्रीमती नीमा पंत व हास्य-व्यंग्य कवि पण्डित बेअदब लखनवी, पण्डित विजय लक्ष्मी मिश्रा, हेमा पाण्डेय, उन्नाव की कवयित्री प्रियंका शुक्ला, बरेली की शिखा श्रीवास्तव, सीतापुर के कवि सचिन साधारण, सिधौली के नवनीत नवल सहित बरेली के रोहित राकेट को उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया ।
कड़ाके की ठण्ड में भी कवियों ने अपनी देश भक्ति के रंग में रंगी कविताओं से श्रोताओं के लहू में देश भक्ति का जुनून भर दिया ।लखनऊ की कवयित्री पण्डित विजय लक्ष्मी मिश्रा की अध्यक्षता में चले कवि सम्मेलन का शुभारंभ शिखा श्रीवास्तव की वाणी वन्दना से हुआ ।पण्डित बेअदब लखनवी ने अपनी वर्दी और कर्तव्य प्रेम के हवाले से पढ़ा -ये वर्दी आन है मेरी ये वर्दी शान है मेरी,भले खाकी है रंग इसका मगर पहचान है मेरी । जिस पर खूब तालियाँ बजी ।तो बेअदब लखनवी की हास्य रचना चला देती है वो मोटर मैं बर्तन मांज लेता हूँ,नहाने वो गई तब तक मैं सब्जी काट लेता हूँ । पर श्रोताओं ने खूब ठहाके लगाए ।प्रियंका शुक्ला ने ॠंगार पढ़ते हुए- एक तेरा मेरा पंथ होगा नहीं,पर अधूरा प्रणय ग्रंथ होगा नहीं । पढ़कर वाहवाही लूटी ।वहीं सीतापुर के ॠंगार रस के युवा कवि सचिन साधारण ने जब पढ़ा – अधकटी सब्जियां अधकटी रह गई,दूर से ही निगाहें सधी रह गई,बेटे की वर्दी आई जो सीमा से घर,माँ की आंखें फटी की फटी रह गई । तो सभी हैरत में पड़ गए ।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही कवयित्री पण्डित पण्डित विजय लक्ष्मी मिश्रा ने – है अपना प्यारा हिन्दुस्तान,फिदा हो क्यूँ न इस पर जान,वतन से प्यार है मुझको,वतन से प्यार है मुझको । पढ़कर वाहवाही लूटी ।रोहित राकेश ने पढ़ा -कभी न हिले वो बुनियाद चाहिए,वतन हमेशा ही आबाद चाहिए ।हम रहें या न रहें, देश यह रहे ,बस इतनी ही फरियाद चाहिए ।तो कवयित्री हेमा पाण्डेय ने -मैं अपने देश की खातिर बड़े अरमान रखती हूँ ,ज़माने में तिरंगे की मैं ऊंची शान रखती हूँ ।पढ़ कर तालियां बटोरी ।कहीं हो जा रहा कोई उसे टोका नहीं जाता।किसी को राह चलते बेवजह रोका नहीं जाता।हकीकत से जहाँ पर आपकी हर आदमी परिचित ,वहाँ भौकाल खाली झूठ का झोंका नहीं जाता।।नवनीत मिश्र’नवल’आयोजक विक्रम राव ने समापन की घोषणा की ।

advertisement

Related Articles

Back to top button
error: Sorry !!