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दिल्लीभारत

केन्द्रीय बजट के बाद वित्तीय क्षेत्र विषय पर हुए वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ।

 

रिपोर्ट :- राजू सिंह (सह-संपादक)

नमस्कार!

Post-Budget वेबिनार के माध्यम से सरकार बजट को लागू करने में collective ownership और equal partnership का एक मजबूत रास्ता तैयार कर रही है। इस वेबिनार में आप लोगों के विचार और सुझाव इसका बहुत महत्व हैं। मैं आप सभी का इस वेबिनार में बहुत-बहुत स्वागत करता हूं।

साथियों,

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कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान भारत की fiscal और monetary policy का प्रभाव आज पूरा विश्व देख रहा है। ये बीते 9 वर्षों में भारत की इकॉनॉमी के फंडामेंटल्स को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है। एक समय था जब भारत पर भरोसा करने से पहले भी सौ बार सोचा जाता था। हमारी Economy हो, हमारा बजट हो, हमारे लक्ष्य हों, जब भी इनकी चर्चा होती थी तो शुरुआत एक Question Mark के साथ होती थी और उसका End भी एक Question Mark से ही होता था। अब जब भारत Financial Discipline, Transparency और Inclusive अप्रोच को लेकर चल रहा है तो एक बहुत बड़ा बदलाव भी हम देख रहे हैं। अब चर्चा की शुरुआत पहले की तरह Question Mark की जगह विश्वास ने ले ली है और चर्चा के अंत वाले समय में भी Question Mark की जगह अपेक्षा ने ले ली है। आज भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का Bright Spot कहा जा रहा है। भारत आज जी-20 की प्रेसिडेंसी का दायित्व भी उठा रहा है। 2021-22 में अब तक का सबसे ज्यादा FDI देश को प्राप्त हुआ है। इस निवेश का बड़ा हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हुआ है। PLI स्कीम का लाभ उठाने के लिए लगातार एप्लिकेशन आ रही हैं। हम ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा भी बनते जा रहे हैं। निश्चित तौर पर ये कालखंड भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर लेकर आया है और हमें ये मौका जाने नहीं देना चाहिए इसका पूरा लाभ भुनाना चाहिए और मिलकर के करना चाहिए।

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साथियों,

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आज का नया भारत, अब नए सामर्थ्य से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भारत के Financial World के आप सभी लोगों की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। आज आपके पास दुनिया का एक मजबूत फाइनेंसियल सिस्टम है। जो बैंकिंग व्यवस्था 8-10 साल पहले डूबने की कगार पर थी, वो अब लाभ में आ गई है। आज आपके पास ऐसी सरकार है जो लगातार साहसपूर्ण निर्णय कर रही है, नीतिगत निर्णयों में बहुत ही clarity है, conviction है, confidence भी है। इसलिए अब आपको भी आगे बढ़कर के काम करना ही चाहिए, तेजी से काम करना चाहिए।

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साथियों,

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आज समय की मांग है कि भारत के बैंकिंग सिस्टम में आई मजबूती का लाभ ज्यादा से ज्यादा आखिरी छोर तक जमीन तक पहुंचे। जैसे हमने MSME’s को सपोर्ट किया, वैसे ही भारत के बैंकिंग सिस्टम को ज्यादा से ज्यादा सेक्टर्स की Hand Holding करनी होगी। महामारी के दौरान 1 करोड़ 20 लाख MSME’s को सरकार से बहुत बड़ी मदद मिली है। इस वर्ष के बजट में MSME सेक्टर को 2 लाख करोड़ का एडिशनल कोलेटरल फ्री गारंटीड क्रेडिट भी मिला है। अब ये बहुत जरूरी है कि हमारे बैंक उन तक पहुंच बनाएं और उन्हें पर्याप्त फाइनेंस उपलब्ध कराएं।

साथियों,

Financial Inclusion से जुड़ी सरकार की नीतियों ने करोड़ों लोगों को फॉर्मल फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा बना दिया है। बिना बैंक गारंटी, 20 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का मुद्रा लोन सरकार ने ये बहुत बड़ा काम नौजवानों के सपने पूरे करने में सार्थक काम किया है, मदद की है। पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से 40 लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वालों, छोटे दुकानदारों को, पहली बार बैंकों से मदद मिलनी संभव हुई है। आप सभी स्टेकहोल्डर्स को cost of credit कम करने, speed of credit को बढ़ाने और small entrepreneurs तक तेजी से पहुंचाने के लिए भी processes को re-engineer करना बहुत जरूरी है और उसमें technology भी बहुत मदद कर सकती है। और तभी भारत के बढ़ते बैंकिंग सामर्थ्य का ज्यादा से ज्यादा लाभ, भारत के गरीबों को होगा, उन लोगों को होगा जो स्वरोजगार करके अपनी गरीबी दूर करने का तेजी से प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

एक विषय वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता का भी है। ये हमारे लिए choice का मुद्दा नहीं है। महामारी के दौरान हम देख चुके हैं, ये भविष्य को प्रभावित करने वाला मुद्दा है। वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता का विजन, एक national responsibility है। वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता मिशन इसके लिए देश में एक अभूतपूर्व उत्साह हम देख रहे हैं। इस वजह से घरेलू उत्पादन तो बढ़ा ही है, एक्सपोर्ट में भी रिकॉर्ड वृद्धि आई है। सामान हो या सेवा का क्षेत्र हो, हमारा निर्यात 2021-22 में all-time high रहा। एक्सपोर्ट बढ़ रहा है यानि भारत के लिए बाहर ज्यादा से ज्यादा संभावनाएं बन रही हैं। ऐसे में, हर कोई ये जिम्मेदारी ले सकता है कि वो स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देगा, वो entrepreneurs को प्रोत्साहित करेगा। अलग-अलग समूह, संगठन, chambers of commerce, industrial associations जितने भी व्यापार, उद्योग जगत के संगठन हैं वे मिलजुल कर के बहुत सारे initiative ले सकते हैं, कदम उठा सकते हैं। मुझे विश्वास है कि जिला स्तर पर भी आप लोगों का network है, आपकी टीमें हैं। ये लोग जिले के उन उत्पादों की पहचान कर सकते हैं, जिनका बड़े पैमाने पर निर्यात किया जा सकता है।

और साथियों,

वोकल फॉर लोकल की बात करते हुए हमें एक और स्पष्टता रखनी होगी। ये सिर्फ भारतीय कुटीर उद्योग से चीजें खरीदने से कहीं ज्यादा बढ़ा है, वरना हम तो दीवाली के दीयों में ही अटक जाते हैं। हमें देखना होगा कि ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जहां हम भारत में ही Capacity Building करके, देश का पैसा बचा सकते हैं। अब देखिए Higher Education के नाम पर हर साल देश का हजारों करोड़ रुपए बाहर जाता है। क्या इसे भारत में ही एकुजेशन सेक्टर में निवेश करके कम नहीं किया जा सकता? Edible oil मंगाने के लिए भी हम हजारों करोड़ रुपए बाहर भेजते हैं। क्या हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं बन सकते हैं? ऐसे सभी सवालों का उत्तर, आप जैसे अनुभवी Financial World के लोग उसका सटीक उत्तर दे सकते हैं, रास्ता सुझा सकते हैं। मुझे उम्मीद है, आप इस वेबिनार में इन विषयों पर भी गंभीरता से जरूर चर्चा करेंगे।

साथियों,

आप सभी एक्सपर्ट्स जानते हैं कि इस साल के बजट में Capital expenditure में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए 10 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है। पीएम गति शक्ति की वजह से प्रोजेक्ट की प्लानिंग और उसे लागू करने में अभूतपूर्व तेजी आ गई है। हमें अलग-अलग geographical areas और economic sectors की प्रगति के लिए काम करने वाले प्राइवेट सेक्टर को भी ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करना होगा। मैं आज देश के प्राइवेट सेक्टर से भी आह्वान करूंगा कि सरकार की तरह ही वो भी अपना investment बढ़ाएं ताकि देश को इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।

साथियों,

बजट के बाद टैक्स को लेकर के भी काफी बातें होती रही हैं। एक समय तो हर तरफ यही बात छाई रहती थी, मैं भूतकाल की बात करता हूं कि भारत में टैक्स रेट कितना ज्यादा है। आज भारत में स्थिति बिल्कुल अलग है। GST की वजह से, इनकम टैक्स कम होने की वजह से, कॉरपोरेट टैक्स कम होने की वजह से भारत में टैक्स बहुत कम हुआ है, वो burden नागरिकों पर बहुत कम होता जा रहा हैं। लेकिन इसका एक और Aspect भी है। 2013-14 के दरमियान हमारा gross tax revenue करीब 11 लाख करोड़ था। 2023-24 के बजट में अनुमानों के मुताबिक gross tax revenue अब 33 लाख करोड़ से ज्यादा का हो सकता है। ये बढ़ोतरी 200 प्रतिशत की है। यानि भारत टैक्स का रेट कम कर रहा है लेकिन इसके बावजूद टैक्स का कलेक्शन लगातार बढ़ रहा हैं। हमने अपना टैक्स, उस टैक्स बेस को भी बढ़ाने की दिशा में काफी कुछ किया हैं। 2013-14 में करीब साढ़े 3 करोड़ individual tax returns फाइल होते थे। 2020-21 में ये बढ़कर साढ़े 6 करोड़ हो चुका है।

साथियों,

टैक्स देना एक ऐसा कर्तव्य है, जो सीधे-सीधे राष्ट्र निर्माण से जुड़ा है। टैक्स बेस में बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि लोगों को सरकार पर भरोसा है, और वो मानते हैं कि जो टैक्स वो दे रहे हैं, उसे Public Good के लिए ही खर्च किया जा रहा है। उद्योग जगत से जुड़े होने के नाते और economic output के सबसे बड़े generator के तौर पर ये हमारी जिम्मेदारी है कि टैक्स बेस की बढ़ोतरी को प्रोत्साहित किया जाए। आपके सभी संगठनों ने, आपके सभी members को इस विषय में लगातार आग्रह करते रहना चाहिए।

साथियों,

भारत के पास ऐसे टैलेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर और इनोवेटर्स हैं, जो हमारे फाइनेंशियल सिस्टम को टॉप पर पहुंचा सकते हैं। ‘इंडस्ट्री फोर प्वाइंट ओ’ के इस दौर में भारत आज जिस तरह के प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है, वो पूरी दुनिया के लिए मॉडल बन रहा है। GeM यानि गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस ने भारत के दूर-सुदूर में रहने वाले छोटे दुकानदार को भी सरकार को सीधे अपना सामान बेचने का सामर्थ्य दिया है। भारत जिस तरह डिजिटल करेंसी में आगे बढ़ रहा है, वो भी अभूतपूर्व है। आजादी के 75वें वर्ष में डिजिटल तरीके से 75 हजार करोड़ ट्रांजैक्शन ये बताता है कि UPI का विस्तार कितना व्यापक हो चुका है। RuPay और UPI, सिर्फ कम लागत और अत्यधिक सुरक्षित टेक्नॉलजी भर नहीं है, बल्कि ये दुनिया में हमारी पहचान है। इसे लेकर इनोवेशन की अपार संभावनाएं हैं। UPI पूरी दुनिया के लिए financial inclusion और empowerment का माध्यम बने, हमें इसके लिए मिलकर के काम करना है। मेरा सुझाव है कि हमारे जो financial institutions हैं उन्हें fintechs की reach को बढ़ाने के लिए उनके साथ ज्यादा से ज्यादा partnership भी करनी चाहिए।

साथियों,

अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए, कई बार बहुत छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा असर होता है। जैसे एक विषय है, बिना बिल लिए, सामान खरीदने की आदत। लोगों को लगता है कि इससे हमारा तो कोई नुकसान हो नहीं रहा है, इसलिए वो अक्सर बिल के लिए Push भी नहीं करते। जितना ज्यादा लोगों को ये पता चलेगा कि बिल लेने से देश का फायदा होता है, देश प्रगति की राह पर जाने के लिए ये बहुत बड़ी व्यवस्था विकसित होती है और फिर देखिएगा, लोग आगे बढ़कर के बिल की मांग जरूर करेंगे। हमें बस लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है।

साथियों,

भारत के आर्थिक विकास का फायदा हर वर्ग तक पहुंचे, हर व्यक्ति को मिले, आप सभी को इस सोच के साथ ही काम करना चाहिए। इसके लिए, हमें well-trained professionals का एक बड़ा पूल भी तैयार करना होगा। मैं चाहता हूं कि आप सभी ऐसे हर futuristic Ideas पर विचार, विस्तार से चर्चा करें। मुझे पूरा भरोसा है कि financial world के आप लोग जिनके माध्यम से देश में बजट के कारण एक सकारात्मक वातावरण पैदा हुआ, आपने बजट की भूरी-भूरी प्रशंसा की। अब हम सबका दायित्व है कि इस बजट का maximum लाभ देश को कैसे मिले, समय-सीमा में कैसे मिले, एक निश्चित रोड़मेप पर हम कैसे आगे बढ़े। आपके इस चिंतन-मंथन में से वो जरूर रास्ता मिलेगा, वो जरूर नए-नए innovative ideas मिलेंगे, out of box ideas मिलेंगे जो implementation के लिए, इच्छुक परिणाम प्राप्त करने के लिए बहुत काम आएंगे। मेरी आप सबको बहुत शुभकामनाएं हैं।

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