आस्था पूर्वक मनाया गया गोवर्धन पूजा व यम द्वतीया का त्यौहार

ब्यूरो रिपोर्ट ; दिलीप मिश्रा
फतेहपुर, बाराबंकी। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की परेवा को गोवर्धन पूजा व द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार प्रेम व सौहार्द पूर्वक मनाया गया। मान्यता है कि द्वापर युग में श्री कृष्ण भगवान ने इंद्र की पूजा करने से गोकुल वासियों को मना किया था जिस पर इंद्र ने अपना प्रकोप करते हुए मूसलाधार बारिश की थी जिससे गोकुल वासियों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर धारण कर इंद्र के प्रकोप से बचाया था तभी से इनका एक नाम गोवर्धन धारी भी नाम पड़ा और इस दिन भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन धारी की पूजा होने लगी। इसदिन महिलाएं गाय के गोबर से पूजा की आकृति बनाकर पुजा करती है।
वहीं द्वतीय तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार भाई दूज भाई-बहन के प्रति प्यार व स्नेह को व्यक्त करता है। बहने इस दिन अपने भाई की खुशहाली एवं लंबी उम्र की कामना करती हैं यम द्वतीया के त्योहार के अवसर के पर बहनों ने भाइयों के माथे पर रोली कुमकुम लगाकर उन्हें मिष्ठान व चूड़ा खिलाया साथ ही बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र व खुशहाली की ईश्वर से प्रार्थना की। भाइयों ने बहनों को अनेक प्रकार के उपहार व प्रेम भाव से सम्मानित किया। कहा जाता है कि पूर्व काल में कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को यमुना ने मृत्यु के देवता यमराज को अपने घर पर सत्कार पूर्वक भोजन कराया था उस दिन नारकी जीवन जी रहे जीवो को यातना से छुटकारा मिला था और उन्हें तृप्त किया गया था जिससे वह पाप मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पाकर सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहने लगे। मान्यता है कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसके हाथ का बना भोजन करता है उसे उत्तम भोजन सहित धन व सम्मान की प्राप्ति होती है। पद्मपुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पूर्वाहन में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाले मनुष्य यमलोक को नहीं जाता बल्कि मुक्ति को प्राप्त होता है।