अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की पुण्य तिथि पर गांधी भवन में स्मृति सभा का आयोजन कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई
स्टेट हेड शमीम की रिपोर्ट
बाराबंकी। जंगे-ए-आजादी के संघर्ष में मेजर शहीद दुर्गा मल्ल ने निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने युवाओं को आजादी के संघर्ष से जोड़ने का काम किया। युवाओं को शहीद दुर्गा मल्ल की शहादत और देशप्रेम की भावना को आत्मसात करना चाहिए।
यह बात गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की शहादत दिवस पर गोरखा शहीद सेवा समिति के मार्गदर्शक, समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कही।
इस दौरान अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की पुण्य तिथि पर गांधी भवन में स्मृति सभा का आयोजन कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर कई लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शहीद दुर्गा मल्ल के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर उनका भावपूर्ण स्मरण किया।
श्री शर्मा ने आगे बताया कि गोरखा हिंदुस्तान की बहुत बहादुर कौम है। अंग्रेजों द्वारा लखनऊ में हमला करने के बाद बेगम हजरत महल जब नेपाल पहुंची तब गोरखाओं ने उनकी अंग्रेजों से रक्षा की थी। गोरखा शहीद सेवा समिति के अध्यक्ष ऐंन्डरू गुरूगं ने देश के विभिन्न प्रान्तों सो गांधीवादियों एवं समाजवादियों को समिति से जोड़ा है। वहीं गोरखा सेवा समिति के संरक्षक रिजवान रज़ा पिछले एक दशक से शहीद मेजर दुर्गा मल्ल से जुड़ी जानकारियों को इकट्ठा करने का काम कर रहे है।
समाजसेवी अशोक शुक्ला ने कहा कि देश के बहुत से ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानी है जो इतिहास के पन्नों में खो गए है। जिनके त्याग, बलिदान और समर्पण ने हिंदुस्तान को आजाद कराया। उनकी स्मृतियों को सहेजना और उनके गौरवशाली इतिहास को युवा पीढ़ी से रूबरू कराना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
समाजसेवी विनय कुमार सिंह ने बताया कि दुर्गा मल्ल ने सुभाष चंद्र बोस के साथ मिलकर आजाद हिन्द फौज का गठन किया। दुर्गा मल्ल को युद्धबंदी बनाने के बाद 15 अगस्त 1944 को उन्हें लाल किले की सेंट्रल जेल लाया गया और जहाँ 25 अगस्त 1944 को फांसी दी गई।
सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस दौरान हाजी वारसी वारसी, सरदार राजा सिंह, सत्यवान वर्मा, रवि प्रताप सिंह, मृत्युंजय शर्मा, ज्ञान शंकर तिवारी, उदय प्रताप सिंह, नीरज दुबे, पी.के सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।