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बाराबंकी

स्थायी लोक अदालत अधिकरण सिविल कोर्ट ने म्यों इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंस को लापरवाही से इलाज करने पर एक 36 वर्षीय महिला की मृत्यु हो जाने के परिवाद में नौ लाख सत्तान्नवे हजार सात सौ रूपए क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश किया पारित

स्टेट हेड शमीम की रिपोर्ट

बाराबंकी, 1 सितम्बर। स्थायी लोक अदालत अधिकरण सिविल कोर्ट बाराबंकी ने म्यों इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंस बाराबंकी को लापरवाही से इलाज करने पर एक 36 वर्षीय महिला की मृत्यु हो जाने के परिवाद में नौ लाख सत्तान्नवे हजार सात सौ रूपए क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश पारित किया है। दो माह मैं यह धनराशि भुगतान न करने पर आठ प्रतिशत ब्याज दावा दाखिल करने की तिथि से देय होगा।
वीरेन्द्र कुमार उसकी 18 वर्ष की पुत्री तथा 16 वर्ष के पुत्र निवासी रसूलपुर मोहनलालगंज लखनऊ ने स्थायी लोक अदालत बाराबंकी में परिवाद दाखिल किया कि उसकी पत्नी रानी देवी को गैस तथा डायरिया से परेशान होने के कारण बाराबंकी के म्यो इंस्टीट्रयूट ऑॅफ मेडिकल साइसेंस में इलाज कराने गई जहां उसे 19.03.2019 को भर्ती कर लिया गया। अस्पताल में जांच के बाद खून की कमी होना बताया गया। चिकित्सकों ने अस्पताल में तत्काल खून चढ़ाने के लिए दबाव बनाया गया।
परिवाद में आरोप लगाया गया कि बिना जांच कराए अपने ही ब्लड बैंक से खून चढ़ा दिया गया। उलझन तथा खुजली होने पर नर्स को बताया गया फिर थोड़ी देर बाद रीना देवी बेहोश हो गई। वहां के चिकित्सक ने मरीज की खराब स्थित को देखते हुए वेंटीलेटर पर रख दिया। फिर डॉक्टरों ने गोमती नगर लखनऊ स्थित अपने दूसरे संस्थान म्यों अस्पताल मरीज को उपचार हेतु भेज दिया। घरवाले सरकारी बड़े अस्पताल भेजने का अनुरोध करते रहे परन्तु लखनऊ के म्यों अस्पताल के डॉक्टरों ने गलत खून चढ़ जाने के कारण इलाज के लिए और रूपए जमा कराने को कहा। घर वालां ने रूपए का प्रबंध करके जमा किया। केस समरी देखने से स्पष्ट हुआ कि गलत खून चढ़ाने से रीना देवी और बीमार हो गई। ठीक न होने पर घर वापस ले जाया गया। तबियत और खराब हो जाने के कारण घरवालों ने रीना देवी को राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में भर्ती कराया। इलाज के दौरान 06.06.2019 को रीना देवी की मृत्यु हो गई।
घरवालों ने म्यों अस्पताल में गलत उपचार, ब्लड चढ़ाने तथा लापरवाही की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी बाराबंकी से की। जांच दल ने अभिलेखों में त्रुटियाँ पाया।
विपक्षी म्यों अस्पताल ने जवाब दावा में कहा कि रीना की गम्भीर बीमारी होने पर म्यों में इलाज किया गया है परन्तु अस्पताल में लापरवाही नहीं की गई है। अस्पताल में गरीब मरीजों का इलाज निशुल्क होता है।
स्थायी लोक अदालत अधिकरण के अध्यक्ष धर्मराज मिश्रा व सदस्या जज डॉ0 रश्मि रस्तोगी ने एक मत से अस्पताल प्रबंधकों को 9,97,700 रूपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। दो माह में भुगतान न करने पर 8 प्रतिशत दावा दाखिल करने की तिथि से परिवादी पाने का अधिकार होगा।

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