साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान “लक्ष्य” के तत्वावधान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मॉडल हाउस, लखनऊ स्थित पार्षद विनोद सिंघल के पार्षद भवन के सभागार में आज एक विराट कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
लखनऊ दिनांक 31 अगस्त’ 2021,साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान “लक्ष्य” के तत्वावधान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मॉडल हाउस, लखनऊ स्थित पार्षद विनोद सिंघल के पार्षद भवन के सभागार में आज एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ गज़लकार कुॅंवर कुसुमेश ने की । मुख्य अतिथि वरिष्ठ हास्य कवि श्याम मिश्रा व वरिष्ठ छंदकार सम्पत्ति कुमार मिश्र ‘भ्रमर बैसवारी’ विशिष्ट अतिथि रहे । वाणी वन्दना प्रसिद्ध गीत एवं गज़लकार आलोक रावत उर्फ आहत लखनवी ने की। कवि सम्मेलन का सफलपूर्वक संचालन हास्य कवि गोबर गणेश ने किया।
कवि सम्मेलन का प्रारम्भ महेश साहू दद्दू द्वारा यह कविता सुनाकर वाहवाही लूटी गई :-
जरा अदब से रखना इन चिरागों को, कल रात इन्होंने रोशनी दी थी। दूसरों को जलाना अलग बात हैं, खुद को जलाकर रोशनी दी थी।।
गीतकार सतीश श्रीवास्तव ने यह सुन्दर गीत सुनाया :-
आ कर के मुरली बजाओ जी मेरे प्यारे कन्हैया । नयनों की प्यास बुझाओ जी मेरे प्यारे कन्हैया ।
युवा कवियत्री युक्ति श्रीवास्तव ने यह कविता सुनाई :-
छोटा सा लगता कहने में पर शब्द बड़ा आवास, हैं जिन्हें न बता सके शायद अर्थ वो, पूछ उनसे जिनकी तलाश है आवास।
सहारा बहुत विशाल है इसका बेसहारा हैं वो जिन्हें प्राप्त नहीं आवास।।
तत्पश्चात दोहा सम्राट केवल प्रसाद सत्यम ने कुछ घनाक्षरी छंद प्रस्तुत किये :-
प्रेम के प्रकाश पुंज, वाटिका के अलि गूंज,
मुस्कुराते पुष्प हे, यशोदा के लाल तुम।
तुम से ही गीत छंद, नैन नील मुख चंद्र,
होंठ पे रसाल स्वर, अनहद कमाल तुम।।
सुख के सरोवर श्री, ज्ञान के निधान सत्य,
पथ्य को संवारते, हमारे लोकपाल तुम।
देख देख जन वृंद, तोड़ते रहे हैं फंद,
मुक्ति दान के विधान, माधव गोपाल तुम।।
युवा गज़लकार प्रिया सिंह ने यह सुन्दर ग़ज़ल सुनाई :-
जज़्बा वफा का दिल से रवाना नहीं हुआ,
दीवानगी में उनको भुलाना नही हुआ!
सारा लहु पिला दिया लफ़्ज़ों को ज़हन का,
और आप कह रहे हो तराना नहीं हुआ!
इसके पश्चात कवि व्यंग्यकार मनमोहन बाराकोटी ‘तमाचा लखनवी’ ने यह मुक्तक पेश किया :-
सूरमा वही कहलाता, जो लड़ने में दक्ष है।
भगवान कृष्ण नाम से ही कृष्ण पक्ष है।।
दो पक्ष सनातन से, चले आए हैं सदा,
अन्धेरे को भगा दे, वही तो शुक्ल पक्ष है।।
इसके बाद शीला वर्मा ‘मीरा‘ ने यह गीत प्रस्तुत किया :-
राधा मीरा रुक्मिणी मैं सबकी सब बन जाऊंगी। तेरे लिए मेरे प्यारे मोहन मैं सारी उमर बिताऊंगी।
वरिष्ठ कवि सुनील कुमार वाजपेई ने अपने निम्नलिखित छंद प्रस्तुत किये :-
हे लीलाधर घनश्याम प्रभो, हे नटवर गोवर्धन धारी, करिये भवसागर मुझे पार, हे कृष्ण श्याम हे बनवारी l
हास्य कवि अरविंद रस्तोगी ने यह कविता सुनाई :-
तेरे अधरों पर किशन, मुरली का क्या काम।
क्या प्यारी मुझसे अधिक,वंशी है घनश्याम।।
बीबी रोटी में नहीं,अन्तर कोई खास ।
मक्खन अगर लगाइये,बढ़ती खूब मिठास ।।
छंदकार शरद कुमार पाण्डेय ‘शशांक‘ में यह कविता सुनाई :-
जन्म लिया गोपाल ने, धरती पर भूचाल।
यमुना जी को पार कर, बने यशोदा लाल।।
द्वारपाल सब सो गये, जगे त्रिलोकीनाथ ।
कहा जहां मैं ले चलूं, चलो हमारे साथ।।
गज़लकार संजय मल्होत्रा हमनवा ने यह ग़ज़ल सुनाई :-
ये अंदाज ग़ज़ब मोहन के, जैसे जादू टोने वाले। देखेगा इक रोज हमनवा कान्हा रूप सलोने वाले।
कवयित्री भारती अग्रवाल पायल ने यह कविता सुनाई :-
करते रहो सदा सत्कर्म।
समझो मानवता का मर्म।
जीवन में जाना मत भूल ।
वाणी वंदना कर चुके कवि गज़लकार आहत लखनवी ने यह कविता सुनाई :-
बैरिन बंसी चुराने चली जब तो पहले सकुचा गई, राधा चोरी से चुपके से हौले से धीरे से आ गई ।
कवि सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि छंदकार भ्रमर बैसवारी ने यह कविता सुनाई :-
फर्साधर श्री परशुराम जी, एक बार फिर आ जाओ।
विशिष्ट अतिथि हास्य कवि श्याम मिश्रा ने यह कविता सुनाई :-
अम्मा भजन करो बुढ़ापा आवा । लै लियो हाथ तुलसी माला दै दियो बहुरियन का ताला ।घर ही का घरमा रही मालु काहे का लंका दहन करो ।अम्मा भजन करो बुढापा आवा। खेलेव तुम खेलु जवानी मा ,है आगि लगायो पानी म, हौ पाव कबर मा लटकाये अब तो इच्छन का दफन करौ अम्मा भजन करौ
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओज के सिद्धहस्त हस्ताक्षर सिद्धेश्वर शुक्ल ‘क्रान्ति’ ने अपना निम्नलिखित गीत प्रस्तुत किया :-
हमें जान से अतिशय प्यारा अपना हिन्दुस्तान है।बलिदानों की परम्परा में अपना देश महान है।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध गज़लकार कुँवर कुसुमेश ने तरन्नुम में अपनी यह ग़ज़ल प्रस्तुत की :-
ग़ुरूर हो या न हो स्वाभिमान तो होगा।
जो बोलता है वो अहले-ज़ुबान तो होगा।
अन्त में पार्षद विनोद सिंघल ने सभी कवियों एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की