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बाराबंकी

सांसद उपेन्द्र रावत ने फ़ादर्स डे पर मीडिया से बातचीत के दौरान कही कुछ विशेष बाते

स्टेट हेड शमीम की रिपोर्ट

बाराबंकी,फ़ादर्स डे पर विशेष
पिता अगर छाँव हैं तो माँ ममता का रूप हैं
पिता अपने बच्चों को कभी हवा में उछालते तो कभी करतब दिखाते अपने बच्चों की एक मुस्कान के लिए कभी हाथी तो कभी घोड़ा बन जाते थे अपना बच्चा सो सके सारी रात चैन के साथ,इसीलिए वे पूरी रात एक करवट पर ही सो जाते थे यह शब्द हर बेटे और बेटियों के हैं जिनके पास उनके पापा हैं एक पिता की अहमियत शब्दों में बया नही की जा सकती वही तमाम माताएं ऐसी है जिनके पति दुनिया से जाने के बाद दुःख को सहने के साथ साथ परिवार की
जिम्मेदारीयो का निर्वाह करते हुए बेटे और बेटियों को पालने में पिता की कोई कमी भी नही महसूस होने देती हैं। वही हम बात करते हैं जनपद बाराबंकी के सांसद उपेन्द्र रावत की जिनके पिता राजकुँवर दास जो कि एक परिषदीय विद्यालय में शिक्षक थे सबकुछ होने के बाद भी 2001 में सांसारिक सुखों को त्याग कर सन्यासी जीवन अपनाया और चित्तापुरवा के आश्रम में रहने लगे वही मीडिया से बातचीत के दौरान सांसद उपेन्द्र रावत ने बताया कि मेरा सौभाग्य हैं जो मैं ऐसे बाप का बेटा हूँ जो मोह माया को त्यागकर आश्रम में रह रहे हैं
सांसद ने साथ ही साथ यह भी बताया कि फ़ादर्स डे के अवसर पर पूजनीय पिता राजकुँवर दास जी के चरणों को स्पर्श करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिससे ह्रदय को ठंडक पहुँची
इस अवसर पर नरेन्द्र, अगेन्द्र,मनोज वर्मा, संदीप रावत, अमरेश रावत, रंजीत राजपूत लोधी,अजय रावत, अंतरिक्ष रावत, राहुल कुमार सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।

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