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दिल्लीभारत

श्री के. राजारमण ने ‘आईईईई सी-डॉट सर्टीफाइड एक्सपर्ट प्रोग्राम (आईसीसीटीईपी)’ का शुभारंभ किया।

आईसीसीटीईपी शुरू करने के लिये सी-डॉट और आईईईई के बीच सहयोग।

 

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)

आईसीसीटीईपी का लक्ष्य सीखने की उन्नत प्रक्रिया के लिये मंच तैयार करना तथा उन्नत प्रौद्योगिकियों के विविध क्षेत्रों में प्रमाणीकरण की पेशकश करना।

केंद्रीय संचार सचिव और डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष श्री के. राजारमण ने ‘आईईईई सी-डॉट सर्टीफाइड एक्सपर्ट प्रोग्राम (आईसीसीटीईपी)’ का शुभारंभ किया, जिसमें आईईईई (इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स) और सी-डॉट (सेंटर फॉर डेवलप्मेंट ऑफ टेलीमैटिक्स) ने सहयोग किया है। इस कार्यक्रम के तहत संचार के विभिन्न क्षेत्रों में सीखने की प्रक्रिया को संचालित किया जायेगा, जिसमें 5-जी, साइबर सुरक्षा और क्वॉन्टम संचार को शामिल किया गया है, ताकि कौशल के अंतराल को पाटा जा सके। इस कार्यक्रम की शुरूआत आईईईई मानक संघ कार्यशाला के दौरान कल यहां हुई। इस कार्यशाला का विषय “नेक्स्ट जनरेशन कनेक्टिविटी” पर केंद्रित था।

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आईसीसीटीईपी का शुभारंभ करते हुये दूरसंचार सचिव और डीसीसी के अध्यक्ष श्री के. राजारमण ने कहा कि सी-डॉट और आईईईई के बीच सहयोग से अनुसंधान व विकास, प्रौद्योगिकी क्रमिक विकास और मानकीकरण के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं। उन्होंने आईसीसीटीईपी जैसे कौशल-विकास कार्यक्रमों और सीखने के बेहतर तरीकों की जरूरत पर बल दिया। इन कार्यक्रमों की पूरे विश्व में पहुंच है और विश्वस्तरीय दूरसंचार निकायों और संघों की इसमें संलग्नता है। उन्होंने इस यात्रा में आईईईई के साथ साझीदारी करने की इच्छा व्यक्त की, ताकि दूरसंचार उत्पादों को अधिक मानक-अनुकूल, सुरक्षित, सस्ता, उपयोगकर्ता-अनुकूल और सर्वसुलभ बनाया जा सके।

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सी-डॉट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने अकादमिक जगत, उद्योग, स्टार्ट-अप और आईईईई जैसी वैश्विक दूरसंचार संस्थाओं के सहयोग से पारस्परिक उत्पादक गठबंधन बनाने के लिये सी-डॉट द्वारा अपनाये गये सहयोगात्मक कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि आईसीसीटीईपी उन्नत प्रौद्योगिकीय विषयों पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू करेगा, जो समझने में आसान होगा, ताकि सीखने की प्रक्रिया के अंतराल को पाटा जा सके। डॉ. उपाध्याय ने सी-डॉट और आईईईई कार्यक्रम को विस्तार देने की योजना का हवाला दिया, जिसमें 6-जी, क्वॉन्टम संचार और साइबर सुरक्षा सहित अन्य उदीयमान क्षेत्रों में समर्पित पाठ्यक्रम को शामिल किया जायेगा।

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आईसीसीटीईपी एक ठोस कदम है, जिसके आधार पर सी-डॉट और आईईईई के बीच विस्तृत सहयोग को और बढ़ाया जा रहा है। यह मंच विशेष रूप से तैयार प्रमाणीकरण कार्यक्रम की पेशकश करेगा, जिसका लक्ष्य दूरसंचार के विविध क्षेत्रों में सीखने की बेहतर प्रक्रिया उपलब्ध कराई जायेगी। इसमें उन कौशलों के निर्माण को केंद्र में रखा गया है, जिनसे शिक्षार्थियों, अकादमिक जगत, प्रौद्योगिकीविदों, उद्योग, स्टार्ट-अप और अन्य सम्बंधित हितधारकों की भागीदारी को गति देना है, ताकि वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धा करने योग्य दूरसंचार प्रौद्योगिकियों तथा समाधानों का विकास किया जाये। पहला कार्यक्रम 5-जी और उसके आगे के मार्ग पर शुरू किया गया है।

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आईईईई इंडिया ऑप्रेशंस के वरिष्ठ निदेशक श्री श्रीकांत चंद्रशेखरन ने कहा, “इस सहयोग का उद्देश्य संयुक्त रूप से दूरसंचार पाठ्यक्रमों को तैयार करना, शिक्षार्थियों और प्रोफेशनलों को प्रोत्साहित व प्रशिक्षित करना, रोजगार के अवसरों का सृजन और डिजिटल अंतराल को भरना है। आईईईई ब्लेंडेड लर्निंग प्रोग्राम (बीएलपी) का लक्ष्य है वायरलेस, ऑप्टिकल, प्रसारण, दूरसंचार प्रमाणीकरण और सुरक्षा में युवा प्रोफेशनलों की कुशलता बढ़ाना। ”

बीएलपी प्रमाणीकरण कार्यक्रम को उद्योग जगत के साथ मिलकर विकसित किया गया है तथा इसका मूल्यांकन विशेषज्ञों ने किया है, ताकि विषयवस्तु और सीखने के अनुभव के प्रभाव को सुनिश्चित किया जा सके। इसे माइक्रो लर्निंग मॉड्यूल्स, एप्लीकेशन मॉड्यूल्स और डाटा मूल्यांकन का सहयोग प्राप्त है। इन सबके आधार पर यह संयुक्त प्रमाणीकरण प्रक्रिया तैयार होती है, जिसका लक्ष्य कौशल अंतराल को भरना है।

आईईईई दुनिया का सबसे बड़ा तकनीकी प्रोफेशनल संगठन है, जो मानवता के लाभ के लिये प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने के प्रति समर्पित है। आईईईई और उसके सदस्य अपने उच्च दर्जे के प्रकाशनों, सम्मेलनों, प्रौद्योगिकी मानकों तथा प्रोफेशनल और शैक्षिक गतिविधियों के जरिये विश्व समुदाय को प्रेरित करते हैं।

सी-डॉट (सेंटर फॉर डेवलप्मेंट ऑफ टेलीमैटिक्स), भारत सरकार के संचार मंत्रालय के अधीन दूरसंचार विभाग का प्रमुख अनुसंधान व विकास केंद्र है। सी-डॉट ने विभिन्न उत्कृष्ट दूरसंचार प्रौद्योगिकियों को स्वदेश में ही डिजाइन किया है, जिनमें 4-जी/5-जी, आपदा प्रबंधन, साइबर सुरक्षा और क्वॉन्टम संचार शामिल हैं।

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