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अब तकअभी तकबाराबंकी

वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर फूटा पत्रकारों में आक्रोश

तमाम पत्रकारों ने महामहिम को संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा

बाराबंकी। मुबंई सरकार के इशारें पर मुबंई पुलिस की पत्रकार अर्नब गोस्वामी व उनके टीवी चैनल के के खिलाफ अर्से से जारी बदले की कार्रवाईयों में कानून का दुरूपयोग करते हुए तमाम पत्रकारों, समाजसेवियों के उत्पीड़न और बुधवार 04नवंबर को उनके घर में घुसकर पुलिस का गुण्डों डाकूओं की तर्ज पर पूरे परिवार के उत्पीड़न से जहां मानवना की सारी हदें तारतार की गई उसको लेकर पूरे देश की आवाम के साथ साथ पत्रकार वर्ग भी आक्रोशित है। जिसको लेकर लगातार पत्रकारों के तमाम संगठनों द्वारा प्रशासन के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए महामहिम को संबोधित ज्ञापन देने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा।
वरिष्ठ पत्रकारों जनमोर्चा के मुख्य जिला संवाददाता देवेंन्द्र मिश्रा, जनसंदेश के जिला संवादददाता संजय वर्मा‘‘पंकज’’, तरूण मित्र लखनऊ संस्करण के जिला संवाददाता मनोज शर्मा, फैजाबाद के जिला संवाददाता पवन श्रीवास्तव, न्यूज वन इण्डिया के ब्यूरो चीफ शिवम जायसवाल, इण्डिया वाईज, न्यूज वर्ड इण्डिया के ब्यूरो चीफ रविन्द्र कुमार, फतेहपुर तहसील के पत्रकार संजय शर्मा, विधि संवाददाता कमलेश चंद्र शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र कुमार सैनी, वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, राहुल चैरसिया, आदि तमाम पत्रकारों ने एकत्र होकर मुंबई में अर्नब के साथ पुलिस की बदसलूकी को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए 04नवबंर को काला दिवस बताते हुए जहां मुंबई सरकार व पुलिस की गैरकानूनी तानाशाही की घोर निंन्दा की वहीं कोर्ट के भी मामले में सब कुछ समक्ष होते हुए भी न्याय में हीलाहवाली को लेकर चतुर्थ स्तंभ की सुरक्षा के लिए चिन्ता का विषय बताया और कहा कि इससे अपराधिक होती जा रही राजनीति व कार्यपालिका की मिलीभगत में आमजन का शोषण और बढ़ेगा जो पहले ही सीमा लांघ चुका है। वहीं तमाम पत्रकारों ने महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित चार सूत्रीय मांग पत्र डीएम के प्रतिनिधि प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा।
दिए गए चार सूत्रीय मांगपत्र में पत्रकारों के सुरक्षा के लिए एक अलग से केंद्रीय तौर पर संविधान में व्यवस्था दिए जाने, मामले में दोषियों को सरकारी सेवा से बर्खास्त करते हुए कठोर दण्ड दिए जाने, जनपद में भी तमाम मीडिया कर्मियों के शोषण के मामलों की जांच न्यायिक समिति द्वारा करवाकर आरोपी पुलिस प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ पुलिस प्रशासन की मीडिया कर्मियों के साथ बढ़ती अभद्रता व जवाबदेही को लेकर सख्त कानून बनाने की मांग की है, ताकि अधिकारी व पुलिस मीडिया के सवालों को नजर अंदाज न कर सके और जनता तक पादर्शिता संविधानपरक कायम रहे। विदित हो कि जनपद में मीडिया प्रशासन के मध्य संवादहीनता चरम पर है जिसमें मीडिया ग्रुप तक ओनली फार एडमिन यानी प्रशासनिक अधिकारियों तक सीमित है वो भी सूचना विभाग का।

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