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लोक कलाएं मानव के अन्दर छिपी भावनाओं/छमताओं को प्रकट करने का सशक्त माध्यम होती हैं
रिपोर्ट :-शिवा वर्मा।
बाराबंकी। लोक कलाएं मानव के अन्दर छिपी भावनाओं/छमताओं को प्रकट करने का सशक्त माध्यम होती हैं तथा हमारी सभ्यता-संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उक्त बातें अवधी अध्ययन केंद्र उत्तर प्रदेश के सचिव, वरिष्ठ समाज सेवी प्रदीप सारंग ने लक्ष्मणपुरी कालोनी में 15 दिवसीय निःशुल्क लोक कला उत्सव कार्यशाला का दीप जलाकर शुभारंभ करते हुए कहीं।
श्री सारंग ने यह भी कहा कि उन्नति प्रगति जरूरी है किंतु अपनी पहचान मिटाकर प्राप्त की गई उन्नति समाज के लिए घातक होती है। अतः अपनी बोली, अपनी भाषा, अपनी सभ्यता संस्कृति को बचाये रखना हम सबका कर्तव्य है।
लोक गायिका पूजा पाण्डेय के संयोजन में चार दर्जन बच्चे बच्चियां लोकनृत्य, लोक गायन, तबला, हारमोनियम, ढोलक वादन का निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
इस अवसर पर आँखें फाउण्डेशन के अध्यक्ष सदानन्द वर्मा, प्रशिक्षक पंडित अनिल मिश्रा, प्रबन्धक गुड मॉर्निंग कान्वेंट स्कूल अब्दुल खालिक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। पं विशाल पाण्डेय, अभिषेक कश्यप, हिमांशु वर्मा उपस्थित रहे।
कार्यशाला की निदेशक एवं स्वरोही डांस म्यूजिक अकेडमी की अध्यक्ष पूजा पाण्डेय ने बताया कि शकुंतला रामपाल वेलफेयर सोसाइटी के सौजन्य से संचालित निःशुल्क कार्यशाला में प्रशिक्षित युवाओं द्वारा लोककला उत्सव का आयोजन होगा जिसमें गायन, वादन, और नृत्य की विलुप्त हो रही विधाओं का मंचन किया जाएगा।