राजनारायण आन्दोलन की उत्पत्ति करने वाले जननेता थे।
रिपोर्ट:- शिवा वर्मा (संपादक)
बाराबंकी। राजनारायण आन्दोलन की उत्पत्ति करने वाले जननेता थे। वह समाज के आखिरी आदमी के लिए आन्दोलन शुरू करते थे। जिस आन्दोलन को वह सदन तक ले जाते और उसकी निर्णायक लड़ाई लड़ते थे। राजनारयण के जीवन से यदि आन्दोलन शब्द निकाल दिया जाए तो राजनरायण का आकलन नहीं किया जा सकता। ‘राजनारायण-एक नाम नहीं इतिहास है‘ पुस्तक में उनके सभी आन्दोलनों और उनकी जेल यात्राओं को प्रमुख से प्रकाशित किया है जो आने वाली पीढ़ी का ज्ञार्नाजन करेगी। यह बात गांधी भवन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं समाजवादी आन्दोलन के सतत योद्धा लोकबंधु राज नारायण की 36वीं पुण्यतिथि पर आयोजित स्मृति सभा एवं पुस्तक विमोचन के लेखकीय वक्ता शाहनवाज़ कादरी ने कही। वहीं सभा की अध्यक्षता पूर्व विधायक सरवर अली ने की। संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। शनिवार को गांधी जयंती समारोह ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत लोकबंधु राजनारायण के चित्र पर मार्ल्यापण कर हुई। इसके उपरान्त सभा के संयोजक राजनाथ शर्मा, पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप, पूर्व मंत्री आर‐के चौधरी, पूर्व विधायक सरवर अली, वरिष्ठ राजनेता अमीर हैदर, यश भारती से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मधुकर त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्रिपाठी, समाजसेवी उमेर किदवई, वरिष्ठ अधिवक्ता बृजेश दीक्षित ने समाजवादी चिंतक शाहनवाज़ कादरी कृत पुस्तक ‘राजनारायण-एक नाम नहीं इतिहास है‘ का विमोचन किया। सभा को संबोधित करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राजनारायण का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। अगर संघर्ष की कहीं कोई बात आएगी। आन्दोलन की कहीं कोई बात आएगी। तो राजनारायण जी का नाम जरूर लिया जाता है। उन्होंने सिद्ध किया है गांव से निकला नौजवान देश की राजनीति में कितना बड़ा परिवर्तन कर सकता है यह राजनारायण ने सिद्ध किया है। समाजवादी आन्दोलन न कभी कमजोर हुआ और ना ही कभी कमजोर होगा। समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कहा कि राजनारायण ने हर मुद्दे पर शासन व सत्ता को आईना दिखाया। वह अन्याय का प्रतिकार करने वाले जननायक थे। वह खांटी समाजवादी ही नहीं बल्कि जनता के सेवक थे। जिन्होंने संतप्ति और सम्पत्ति का मोह त्याग कर राजनीति की। यश भारती से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मधुकर त्रिवेदी ने कहा कि राजनारायण जी ने अपने परिवार को कभी महत्व नहीं दिया।
वह समाज को ही अपना परिवार मानते थे। आज समाजवाद और आन्दोलन की बहुत चर्चाएं होती हैं लेकिन हम राजनारायण के समाजवाद से दूर हो गए है। राजनारायण के जीवन के दो पक्ष है एक योद्धा दूसरा बौद्धिकता। हम पहले पक्ष से रूबरू हैं लेकिन उनका दूसरा पक्ष उपेक्षित रहा है। जिसे यह पुस्तक पूरा कर रही है। सभा में उपस्थित पूर्व मंत्री आर‐के चौधरी, वरिष्ठ राजनेता अमीर हैदर, वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्रिपाठी, समाजसेवी उमेर किदवई, वरिष्ठ अधिवक्ता बृजेश दीक्षित, युवा समाजवादी नेता राधेश्याम यादव, शिक्षाविद् डॉ सुधाकर तिवारी ने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर प्रमुख रूप से विनय कुमार सिंह, मोहम्मद फारूख़, सलाउ्दीन किदवाई, दानिश सिद्दीकी, हुमायूं नईम खान, अशोक शुक्ला, पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेन्द्र वर्मा, मृत्युंजय शर्मा, सत्यवान वर्मा, वीरेन्द्र सिंह, अनवर महबूब किदवाई, विजय पाल गौतम, विनोद भारती, विजय कुमार सिंह ‘मुन्ना‘, नीरज दूबे, वीरेन्द्र सिंह, जमाल नईम खान, हसमत अली, अजीज अहमद सहित कई लोग मौजूद रहे।