महात्मा गांधी की असमय हत्या से वह परिकल्पना साकार नहीं हो पाई।
रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)
बाराबंकी। महात्मा गांधी की असमय हत्या से वह परिकल्पना साकार नहीं हो पाई। जिसका सपना उन्होंने देखा था। उनका निधन मैं एक प्रतीक मानता हूं। क्योंकि जो मसीहा होता है उसकी मौत, उसके जीवन से अधिक आलीशान होती है। जिसेस क्राइस्ट के बाद इस पृथ्वी पर सर्वाधिक आलीशान मृत्यु गांधी की हुई। यही वजह है कि इन 75 सालों में गांधीजी आज भी यथावत हैं। उनकी लोकप्रियता और प्रसांगिकता कम नहीं हुई।
यह बात गांधी भवन में महात्मा गांधी के 75वें शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं गांधीवादी चिन्तक राजीव नयन बहुगुणा ने कही। उन्होंने आगे कहा कि यह इतिहास में दर्ज है कि गोडसे हमेशा गांधी से हारता रहा है। वह अनेक रूपों में आज भी गांधी को मार रहा है लेकिन विजय गांधी की होगी और आगे भी होती रहेगी।
उन्होंने कहा कि हम किसी भी जाति व धर्म से संबध रखते हैं लेकिन वस्तुतः हम गांधी जाति के लोग हैं। हमारा मूल गौत्र गांधी है। उन्होंने इस समय नगरों के ग्रामीणीकरण करने की बात कही। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्र्यापण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा की अध्यक्षता पूर्व विधायक सरवर अली ने की। सोमवार को गांधी भवन में आयोजित समारोह की शुरूआत रामधुन से हुई। इस दौरान बालाजी का बचपन स्कूल के बच्चों ने संगीतमय रामधुन गाकर सुनाया। इसके उपरान्त उपस्थित जनों ने दो मिनट का मौन रखकर बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की। तदोपरान्त सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया। इस मौके पर गांधीवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कहा कि महातमा गांधी के 75वें शहादत दिवस पर गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट साल भर पूरे भारत में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश का महासंघ बनाओ सम्मेलनों का आयोजन करेगी।
महासंघ पर केन्द्रित इस कार्यक्रम की शुरूआत जम्मू कश्मीर से होगी। श्री शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी का मानना था कि यह विभाजन दो मुल्कों का बंटवारा है। हमारे दिल आज भी एक है। बस जरूरत उन दिलों को जोड़ने की है। सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से नगर पुरोहित पं अश्वनी कुमार मिश्र, ईदगाह के ईमाम मौलाना अबूजर कासमी, सरदार राजा सिंह, खुदाई खिमतगार संगठन के संयोजक हफ़ीज किदवाई, वरिष्ठ पत्रकार राकेश श्रीवास्तव, मो उमैर किदवाई, लोकतंत्र सेनानी अनिल त्रिपाठी, भवानी दत्त भट्ट, विनय कुमार सिंह, समीर सिंह, मृत्युंजय शर्मा, अशोक शुक्ला, शिवशंकर शुक्ला, वरिष्ठ अधिवक्ता शऊर कामिल किदवाई, पवन यादव, हुमायूं नईम खान, दानिश सिद्दीकी, सलाउद्दीन किदवाई, सत्यवान वर्मा, विजय कुमार सिंह ‘मुन्ना‘, अशोक जायसवाल, अनवर महबूब किदवाई, तौकीर कर्रार सहित कई लोग मौजूद रहे।