मध्यमवर्गीय जनता की कोरोना में हिल गई चूल्हे
समाजसेवी व सपा नेता ने कहा कि प्रथम लाक डाउन के चलते मजदूर , किसान , युवा, व्यापारी एवं रोज कमाने खाने वालों की कमर पहले से ही टूट चुकी है।
रिपोर्ट शिवा वर्मा सम्पादक
औरैया। समाजसेवी व सपा नेता ने कहा कि प्रथम लाक डाउन के चलते मजदूर , किसान , युवा, व्यापारी एवं रोज कमाने खाने वालों की कमर पहले से ही टूट चुकी है। ऐन- केन प्रकारेण उन्हें कोरोना की समाप्ति होने पर रिलीफ महसूस हुआ था , लेकिन दूसरी लहर में कोरोना ने व्यापक स्तर पर पांव पसार लिए। जिसके चलते लाखों लोग काल कलल्वित हो गए। स्थिति यह है कि मध्यम वर्ग के लोग जो कि रोज कमाते खाते थे उनके सामने विषम परिस्थितियां सामने आ गई हैं। वह अपने परिवार का भरण पोषण में असक्षम साबित हो रहे हैं। इसी के चलते वह लोग अपने आप को गर्त में जाते हुए देख रहे हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार ने यदि समय के रहते कोरोना से बचाव के लिए रणनीति बनाई होती तो शायद देश व प्रदेश की जनता को इस दूसरी लहर की विभीषिका से जूझने को मजबूर नहीं होना पड़ता। देश व प्रदेश सरकार से इससे निजात दिलाना प्रतीत होता दिखाई नही दे रहा है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। जनता जनार्दन इंतजार में है , कि उसे कब मौका मिले और वह प्रदेश की सत्ता का तख्ता पलट कर दे। वह दिन दूर नहीं है , जब प्रदेश की जनता अपने निर्णय को सुनाते हुए प्रदेश सरकार को बेदखल कर देगी। समाजसेवी एवं सपा नेता जितेंद्र दोहरे ने वार्ता के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में कोरोना की जो दूसरी लहर चल रही है। उसके चलते जहां एक ओर पूरा देश व प्रदेश हतोत्साहित है , वहीं दूसरी ओर देश व प्रदेश में मजदूर , किसान , युवा, व्यापारी एवं रोज कमाने खाने वालों की जीविका पर भारी असर पड़ा है। मध्यम वर्ग के लोग अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं , क्योंकि उन्हें काम ही नहीं मिलता है। इसी के चलते वह अपने परिवार का भरण पोषण नही पा रहे है। वह लोग इस द्वितीय कोरोना लहर के चलते भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं , क्योंकि उन लोगों को ना तो मजदूरी मिल रही है , और ना ही उनके परिवार के उदर भरण का कोई दूसरा साधन है। इतना ही नहीं मजदूर, व्यापारी , युवा, दुकानदार तथा किसान भी काफी हतोत्साहित है , क्योंकि इस कोरोना काल में उसके सामने आर्थिक लाभ का कोई साधन नहीं बचा है , यदि यही स्थिति रही तो उन लोगों के सामने विकट समस्या खड़ी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। श्री दोहरे ने बताया कि जब उन्होंने मध्यम वर्ग के लोगों से वार्ता की तो उन्होंने बताया कि उनके सामने अपने परिवार के उदर भरण की भारी समस्या खड़ी हो चुकी है। वह कोरोना काल की प्रथम लहर को अभी तक भुला भी नहीं पाये थे ,कि दूसरी लहर ने दस्तक दे दी। जिसके चलते उनकी गाड़ी पटरी पर अभी तक नहीं आ सकी है। जब उन्हें कोई काम नहीं मिलेगा तो भला वह अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर सकेंगे। उनके सामने भुखमरी की समस्या प्रबल हो गई है , यदि कोरोना कॉल लंबे समय तक चला तो उन्हें एवं उनके परिवार को भूखों मरने के लिए विवश होना पड़ेगा। प्रदेश की जनता वर्तमान सरकार की ओर लाचार निगाहों से देख रही है, कि आखिर उसे इस प्रकार क्या- क्या विसंगतियों का सामना करना पड़ेगा। प्रथम लहर में तो शासन व प्रशासन से लेकर समाज सेवियों ने भी उनकी इमदाद की थी , लेकिन दूसरी लहर में ना तो देश व प्रदेश की सरकार और ना ही समाजसेवी आगे आ रहे हैं , जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके। कहा कि जनता जनार्दन का कहना है कि इस मुफलिसी के लिए वह किसे जिम्मेदार ठहराये। जनता का कहना है कि समय आने पर इसका जवाब वह लोग पश्चिमी बंगाल की तरह वोट की चोट से देंगे। आगे कहा कि प्रदेश में ना तो ही इलाज की समुचित व्यवस्थाएं हैं , और ना ही मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन एवं दवाए मिल पा रही हैं। इतना ही नहीं वैक्सीन भी पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिससे मरीजों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती ही जा रही है। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन?।