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भगवान बुद्ध का मध्यम मार्ग एवं सामाजिक संचेतना विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

बाराबंकी। डा0 भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल सेवा समिति एवं पार्क एवं स्मारक अनुरक्षण समिति द्वारा भगवान बुद्ध का मध्यम मार्ग एवं सामाजिक संचेतना विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, कार्यशाला में कई सामाजिक संगठनों के 65 पदाधिकारी एवं समाजिक कार्यकर्ताओं ने सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक बुद्ध के मध्यम मार्ग पर गहन चिन्तन किया। कार्यशाला का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन एवं भगवान बुद्ध व डा अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुआ। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष व संचालक रत्नेश कुमार ने कहा कि बुद्ध की मध्यम निकाय की देशना यानी मध्य मार्ग पर चलने के संदेश को आत्मसात कर ही भारत समेत पूरे विश्व का कल्याण संभव है। बुद्ध ने कहा था, मध्यम मार्ग ही उत्तम मार्ग है। अति से बचने का यह बुद्ध का संदेश मनुष्य को बहुत से विकारों से बचा सकता है। आज मनुष्य की अधिकांश परेशानियों का कारण अतिवाद है।

शोसल एक्टिविष्ट साहित्यकार प्रदीप सारंग ने बताया कि जब हम बुद्ध द्वारा कही गई बातों का मनन करते हैं, तो जो बात सबसे पहले हमारे मन को छूती है, वह है उनका आष्टांगिक मार्ग है।

अष्टांगिक मार्ग का अर्थ है, ऐसी राह जिस पर चलने के लिए आठ बातों का ध्यान रखना है। वे हैं सम्यक दृष्टि, सम्यक वचन, सम्यक काम, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि। इन्हीं को मिला देने से अष्टांगिक मार्ग बन जाता है। अष्टांगिक मार्ग पर चलने से सभी मानवीय मूल्यों का स्वयं ही मन में विकास हो जाता है।

समिति के महासचिव राम औतार ने कहा कि बुद्ध ने मध्यम मार्ग का रास्ता दिखा कर मानव का बहुत बड़ा हित किया। जब सभी लोग और सभी देश अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और कोई भी किसी से कम नहीं होने की बात कर रहा है- ऐसे में ‘मध्यम मार्ग‘ एक बहुत बड़ा समाधान हो सकता है मानव और विश्व की सारी परेशानियों को दूर करने का।

समिति के लेखा परीक्षक दिनेशचन्द्र रावत ने कहा कि बीच का रास्ता अपनाओ और सभी बाधाओं को पार कर जाओ-यही मूल मंत्र है सम्यक जीवन जीकर परम लक्ष्य को प्राप्त करने का। मध्यम मार्ग की चुनौतियों को लेकर कार्यशाला में चार समूहों में परिचर्चा कराई गई और उसका प्रस्तुतिकरण किया गया। प्रस्तुति देते हुए भारतीय बौद्ध महासभा के जिला अध्यक्ष ने कहा कि मध्यम मार्ग अपनाने से व्यक्ति के मन को कोई ठेस नहीं पहुंचती। उसका सम्मान रह जाता है और टकराव तथा संताप की स्थिति भी पैदा नहीं होती।

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उपाध्यक्ष अमरेश बहादुर ने कहा कि मध्यम मार्ग पर रहें- वीणा के तार को थोड़ा कसें, थोड़ा ढील दें। कार्यशाला का समापन उद्बोधन देते हुए सांसद की धर्मपत्नी श्रीमती उर्मिला रावत ने सामाजिक चिन्तन में प्रतिभाग कर रहे लोगों को बधाई दी और कहा कि इस तरह के चिन्तन शिविरों की समाज निर्माण के लिए आवश्यकता है। इस अवसर पर सभी लोगों ने तिरंगा फहराकर अमृत महोत्सव को सफल बनाने व घर पर तिरंगा फहराने का संकल्प लिया। इस कार्यशाला में इण्डियन स्टूडेंट पावर के अध्यक्ष सिद्धार्थ कनौजिया, भारतीय बौद्ध महासभा के जिलाध्यक्ष सुन्दरलाल भारती, सन्तलाल, रामपाल, एडवोकेट अनूप कल्यानी, हरिनन्दन सिंह गौतम, सन्त गाडगे सेवा समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र कनौजिया, मंशाराम कनौजिया, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति कर्मचारी कल्याण परिषद सहित आयोजक समिति के सभी पदाधिकरियों ने भाग लिया।

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