बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी आन्दोलन के प्रति समर्पित व्यक्ति थे
बाराबंकी। बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी आन्दोलन के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। उन्होंने गांव की पथरीली सड़कों से दिल्ली का रास्ता तय किया। बेनी वर्मा ने संधर्षों से राजनीति में एक मुकाम हासिल किया। ऐसे व्यक्ति शताब्दियों में पैदा होते है। जो कभी गन्ने से लदी बैलगाड़ी को लाकर तौलने की प्रतिक्षा करते। तो कभी उसी बैलगाड़ी के नीचे सो जाते। वहीं व्यक्ति एक दिन प्रदेश सरकार के गन्ना मंत्री बने। बैलगाड़ी से लेकर हवाई जहाज का सफर करने वाले बेनी प्रसाद वर्मा ने कभी हिम्मत नहीं हारी। वह एक कर्मयोगी की तरह गरीबों के मसीहा बने। उनका निधन समाजवादी आन्दोलन की अपूर्णनीय क्षति है।
यह बात गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कही।
श्री शर्मा ने प्रेस वक्तव्य में बताया कि बेनी प्रसाद वर्मा आर्य समाजी थे। वे आर्य समाज के उपाध्यक्ष भी रहे है। 50 के दशक में बेनी वर्मा ने राजकीय इण्टर कालेज व नेबलेट इण्टर कालेज से हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद मेरे साथ लखनऊ विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा की पढाई पूरी की।
श्री शर्मा ने कहा कि 1974 में सैद्धान्तिक विधारचारा पर समाजवादी आन्दोलन का विखराव हुआ। जो दो धड़ो में विभाजित हुए। एक धड़ा राजनारायण, कपुरी ठाकुर और रामसेवक यादव सरीखे वरिष्ठ नेताओं का था। जिसमें बेनी प्रसाद वर्मा शामिल हुए। दूसरा धड़ा एस.एम जोशी, मधुलिमये, जार्ज फर्नांडिस, लाडली मोहन निगम सरीखे नेताओं का था। तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियां अनुकूल न होने के कारण लोकदल पार्टी में विवाद शुरू हो गया। चूंकि बेनी प्रसाद वर्मा अशर्फी लाल यादव के विद्यालय में अध्यापक थे और रामसेवक यादव के प्रिय थे। इसलिए रामसेवक यादव ने बेनी वर्मा को लोकदल में शमिल कर लिया। जिसके बाद वह 1974 में दरियाबाद से विधयक चुने गए। जिसके बाद रामसेवक यादव का निधन हो गया। 1975 में आपातकाल की घोषणा हुई। इस दौरान बेनी वर्मा और चैधरी चरण सिंह के रिश्ते मधुर होने लगे। जिस कारण बेनी वर्मा आपातकाल में जेल नहीं गए। आपातकाल के बाद जो चुनाव हुए उसमें बेनी वर्मा मसौली विधानसभा से विधायक चुने गए। सूबे में जनता पार्टी की सरकार बनी। जिसमें बेनी वर्मा कारागार मंत्री बनाए गए। फिर रामनरेश यादव की सरकार में गन्ना मंत्री हुए। कुछ समय बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार में तीन अहम मंत्रालय उन्हें दिए गए। जिसमें लोकनिर्माण विभाग, आबकारी विभाग और संसदीय कार्य मंत्रालय का कार्यभार सौपा गया। कैसरगंज से पहली बार संसद चुने जाने के बाद केन्द्र में केन्द्रीय संचार राज्यमंत्री बनाए गया। फिर एच.डी देवगौड़ा के मंत्रीमंडल में केन्द्रीय संचार मंत्री बनाए गए। कुछ समय बाद बेनी वर्मा और मुलायम सिंह यादव के बीच मतभेद के चलते अपनी अलग पार्टी बनायी। फिर 2004 में अपनी पार्टी समाजवादी क्रान्ति दल का कांग्रेस में विलय कर लिया। और गोण्डा लोकसभा से सांसद चुने गए। सांसद चुने जाने के बाद केन्द्र में केन्द्रीय इस्पात मंत्री बनाए गए। लेकिन ज्यादा वक्त तक कांग्रेस में तालमेल नहीं बैठा और कांग्रेस छोड़ एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। सपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा। बेनी वर्मा बीते कई महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे। जिनका शुक्रवार को मेदान्ता अस्पताल में निधन हो गया। गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट परिवार शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता है।