बाराबंकी
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के पात्र को कही पक्का मकान तो कभी आधार डूबली केट तो कभी जांब कार्ड मैपिंग हर बार अलग-अलग रिपोर्टे दिखा कर किया गया अपात्र
- रिपोर्ट-समित अवस्थी मंडल संपादक प्रतिनिधि अयोध्या/देवी पाटन
जहां सरकार नई-नई योजनाएं ला करके गरीबों के सर छुपाने की व्यवस्था कर रही है और सरकारी आवास योजना के तहत मकान की व्यवस्था कर रही है जिसकी जनता में सरकार की प्रशंसा हो रही है वहीं दूसरी ओर कुछ चतुर्थ श्रेणी के अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली से सरकार के अरमानों पर पानी फिर रहा है ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
जनपद बाराबंकी के विकासखंड सूरतगंज क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत लुधौरा का जहां रजनापुर ग्राम निवासी जाकिर पुत्र मुनव्वर ने यह आरोप लगाया है कि सन 2019-20 कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लिस्ट में उसका नाम अंकित था जिसको उस समय तैनात ग्राम विकास अधिकारी जयप्रकाश द्वारा आवास देने के बदले ₹20,000 की धनराशि की मांग की गई परंतु प्रार्थी जाकीर पुत्र मुनव्वर बहुत ही गरीब व्यक्ति था वह किसी तरीके से अपने परिवार का पालन पोषण मजदूरी पेसा कर करता था इस वजह से वह धन देने में असमर्थ रहा जिससे ग्राम विकास अधिकारी जयप्रकाश द्वारा उसका पक्का हाउस दिखा करके लिस्ट में से नाम काट दिया गया और उसे केवल सद्भावना देते रहे की सबके मकान बनने के बाद उसका भी मकान बनने का नंबर आएगा परंतु कुछ दिनों के पश्चात जब उसका आवास आवंटित नहीं हुआ तो उसने प्रार्थना पत्र के जरिए अधिकारियों से आवास के लिए मांग की जिस दौरान जाकिर पुत्र मुनव्वर को यह ज्ञात हुआ कि उसका पक्का हाउस दिखा करके उसका मकान काट दिया गया है
प्रार्थी जाकिर पुत्र मुनव्वर ने दोबारा प्रार्थना पत्र देकर के अधिकारियों से जांच कर न्याय की गुहार लगाई दोबारा जांच रिपोर्ट में उसका आधार कार्ड डुप्लीकेट की आख्या लगाई गई तीसरी बार फिर प्रार्थी जागीर पुत्र मुनव्वर ने प्रार्थना पत्र देकर के जिले के उच्च अधिकारियों व मंडल के अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई जिस पर उसकी जॉब कार्ड मैपिंग की रिपोर्ट लगाई गई परंतु प्रार्थी को न्याय नहीं मिल सका आश्चर्यजनक देखने वाली बात यह है कि तीन बार में तीन तरीके की अलग-अलग रिपोर्ट लगाई गई जबकि जो भी रिपोर्टर लगाई गई वह प्रार्थी के अनुसार गलत व फर्जी हैं प्रार्थी का कहना है कि धन ना दे पाने के कारण उसका प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत सरकारी आवास से नाम काट दिया गया फिलहाल देखना यह है कि दर-दर न्याय के लिए भटक रहे जाकिर पुत्र मुनव्वर को न्याय मिल पाता है या फिर केवल कागजों पर खानापूर्ति कर उसके प्रार्थना पत्रों को ठंडा बस्ते में किसी कोने में डाल दिया जाता है फिलहाल फैसला समय की गोद में