रिपोर्ट:-शिवा वर्मा।
बाराबंकी। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर निर्भय और बेबाक जननेता थे। जिन्होंने राजनीति जीवन अपनी शर्तों और वैचारिक सिद्धांतो पर जिया। वह आचार्य नरेंद्र देव और जयप्रकाश नारायण के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने विद्यार्थी आंदोलन से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस, जनता पार्टी और समाजवादी जनता पार्टी तक लंबा सियासी सफ़र तय किया। उनके विचार भारतीय राजनीति में हमेशा चिरस्मरणीय बने रहेंगे।
उक्त विचार गांधी भवन में पूर्व प्रधानमंत्री स्व चन्द्रशेखर की 15वीं पुण्यतिथि पर गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने व्यक्त किए। इस मौके पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व चन्द्रशेखर के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके विचारों का अनुसरण किया गया। श्री शर्मा ने बताया कि जनता पार्टी में पदाधिकारी रहते हुए मुझे चंद्रशेखर जी के साथ काम करने का मौका मिला। वह युवा तुर्क के रूप में हर शख्स के दिलों पर राज करने वाले जननेता थे। स्व चंद्रशेखर भारतीय राजनीति के पुरोधा थे। जिन्होंने 1973 से 75 के राजनीतिक उथल पुथल के दौर में जयप्रकाश नारायण से काफी प्रभावित थे और कांग्रेस में रहते हुए भी वे पार्टी की नीतियों के प्रबल आलोचक बन गए थे। 15 जून 1975 को आपातकाल लागू होने के बाद चन्द्रशेखर को मीसा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि वह कांग्रेस के केंद्रीय निर्वाचन और कार्यकारी समिति के सदस्य थे। वह सत्तारूढ़ दल के गिरफ्तार होने वाले चंद नेताओं में से एक थे। समाजसेवी विनय कुमार सिंह ने कहा कि स्व चंद्रशेखर जी ने हमेशा शक्ति और पैसे की राजनीति को दरकिनार करके सामाजिक बदलाव और लोकतांत्रिक मूल्यों की राजनीति पर जोर दिया। उन्होंने कन्याकुमारी से दिल्ली तक पदयात्रा की। वह भारतीय राजनीति के अजातशत्रु के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। इस मौके पर प्रमुख रूप से अनुपम सिंह राठौर, मृत्युंजय शर्मा, इफ्तिखार हुसैन, नीरज दूबे, पाटेश्वरी प्रसाद, रंजय शर्मा, पवन शर्मा, अशोक जायसवाल, साकेत मौर्या, विजय कुमार सिंह, आज़म जैदी, राजेश यादव, अनिल यादव आदि लोग मौजूद रहे।