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दिल्लीभारत

दीव में जी20 आरआईआईजी सम्मेलन में एक स्थायी नीली अर्थव्यवस्था के लिए वैज्ञानिक चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की गई।

 

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा/यूपी ब्रेकिंग न्यूज 

स्थायी नीली अर्थव्यवस्था के लिए वैज्ञानिक चुनौतियों और अवसरों पर जी20 रिसर्च इनोवेशन एंड इनिशिएटिव गैदरिंग (आरआईआईजी) सम्मेलन में स्थायी नीली अर्थव्यवस्था के लिए राष्ट्रों की सर्वोत्तम प्रथाओं और नीति मॉडल को साझा करने की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और जी20-आरआईआईजी के अध्यक्ष डॉ. एस. चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के पास तटीय क्षेत्र के विकास के लिए एक बहु-आयामी योजना है जिसमें नीली अर्थव्यवस्था को बदलना, तटीय बुनियादी ढांचे में सुधार करना और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना शामिल है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने बताया कि महासागर और इसके संसाधन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को नहीं पहचानते हैं और उन्होंने सभी देशों की सामूहिक जिम्मेदारी का आह्वान किया कि वे समुद्री संसाधनों की रक्षा, संरक्षण और सतत उपयोग करें। उन्होंने राष्ट्रीय नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए हाल के वर्षों में भारत की पहलों जैसे कि डीप ओशन मिशन और मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 पर प्रकाश डाला।‌ दीव प्रशासक श्री प्रफुल्ल खोड़ा पटेल और जी20 इंडिया शेरपा श्री अमिताभ कांत ने सम्मेलन के दौरान जी20 के लिए भारत की यात्रा पर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। श्री अमिताभ कांत ने एक स्थायी नीली अर्थव्यवस्था पर अपने विचार साझा किए, समुद्र के पर्यावरण के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला और एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जबकि श्री प्रफुल्ल पटेल ने कुशल अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से आर्थिक कल्याण के अपने दृष्टिकोण को व्यक्त किया।‌ दीव में 18 मई 2023 को संपन्न हुई बैठक में, नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र और अवसर; महासागर अवलोकन, डेटा और सूचना सेवाएं; समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और प्रदूषण; नीली अर्थव्यवस्था प्रबंधन और दृष्टिकोण; तटीय और समुद्री स्थानिक योजना; समुद्री जीवित संसाधन और जैव विविधता; गहरे समुद्र महासागर प्रौद्योगिकी; और नीली अर्थव्यवस्था नीति के दृष्टिकोण पर भी चर्चा की गई। सम्मेलन में कुल 35 विदेशी प्रतिनिधियों और 40 भारतीय विशेषज्ञों और भारत सरकार के विभिन्न वैज्ञानिक विभागों/संगठनों के आमंत्रित लोगों ने भाग लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता डीएसटी के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने की और डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा समन्वयित किया गया। भारतीय प्रेसीडेंसी ने बैठक के दौरान चर्चा के लिए अनुसंधान मंत्रियों की घोषणा का पहला मसौदा भी प्रस्तुत किया। 5 जुलाई 2023 को मुंबई में होने वाली अनुसंधान मंत्रियों की बैठक में मंत्रिस्तरीय घोषणा को अपनाया जाएगा।‌ सम्मेलन में भाग लेने वाले जी20 देश में ब्राजील, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी, रूस, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, फ्रांस, कोरिया गणराज्य, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, स्पेन, सिंगापुर, नॉर्वे और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) शामिल थे । रिसर्च इनोवेशन इनिशिएटिव गैदरिंग (आरआईआईजी) जी20 फोरम की एक नई पहल है, जिसे 2022 में इंडोनेशियाई प्रेसीडेंसी के दौरान शुरू किया गया था। भारत 2023 में अपनी जी20 प्रेसीडेंसी के दौरान आरआईआईजी पहल को “समान समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार” के मुख्य विषय के तहत आगे बढ़ा रहा है।

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