दशलक्षण धर्म त्रैकालिक शाश्वत पर्व है।
रिपोर्ट :- शिवा वर्मा।
प्रकृति के सौन्दर्य को लौटाने का पर्व है दशलक्षण शास्त्रों में पर्व दो प्रकार के बताए गये है, पहला तात्कालिक और दूसरा त्रैकालिक। तात्कालिक पर्व व्यक्ति विशेष या घटना विशेष से सम्बन्धित होते हैं, वहीं त्रैकालिक शाश्वत पर्व न तो किसी व्यक्ति विशेष से न ही किसी घटना विशेष से सम्बन्धित होते है। बल्कि इनका सम्बन्ध अध्यात्मिक भावों से है। दशलक्षण धर्म त्रैकालिक शाश्वत पर्व है। यह प्रकृति के उत्थान से प्रारम्भ हुआ है। यह बातें महाराज विगुण सागर जी पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन प्रवचन दे रहे। उन्होनें कहा कि दशलक्षण पर्व 10 दिनों तक चलने वाला धार्मिक, अध्यात्मिक तथा यौगिक पर्व है इन दस दिनों में व्यक्ति भगवान की आराधना करके सब कुछ पा सकता है। प्रातः 06 बजे से पार्श्वनाथ भगवान का अभिषेक शांतिधारा करने वालों की भीड़ लगी रही।
संध्याकालीन बेला में मंगलाचरण, आरती, पेपर गेम के कार्यक्रम महिला मण्डल द्वारा किया गया। मुख्य रूप से उपस्थित लोगों में विनोद जैन, मृदुल जैन, मनोज जैन, जय कुमार जैन उपस्थित रहें।