गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आन्दोलन के आवहन के लिये
बाराबंकी। गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आन्दोलन के आवहन के लिये मुम्बई से प्रारम्भ हुई महान क्रांति को सजीव रखने के लिये 9 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाये जाने की मांग को लेकर एक सप्ताह जन क्रांति दिवस मनाया गया। सप्ताह में विभिन्न कार्यक्रमों के अलावा 15 अगस्त को जिला बार एशोसिएशन के अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह द्वारा देवा रोड स्थित गांधी भवन में झण्डा रोहण के बाद गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा उपवास पर उस समय तक रहे जब तक राष्ट्रीय ध्वज उतरा नही। स्वतंत्रता दिवस 9 अगस्त को ही मनाया जाये क्योंकि 15 अगस्त को राष्ट्रीय आन्दोलन से दूर दूर तक कोई मतलब नही है। वह केवल भारत तत्कालीन मंत्री परिषद एवं लार्ड माउन ब्रिटेन के साथ हाथ मिलउव्वल का दिन था। उस दिन गांधी जी उपरोक्त खण्डित आजादी के समारोह में सम्मिलित नही हुए। कांग्रेस का जो बूढ़ा नेतृत्व था वह सरकार के आनन्द की अनुभूति प्राप्त करने के लिये जल्दी में था जिस पर 2 अगस्त 1967 में डा. राम मनोहर लोहिया द्वारा जी.जी. पारिख जो 95 वर्षीय समाजवादी आंदोलन के नेता हैं उनके आमंत्रण पत्र का जवाब देते हुए कहा था कि 9 अगस्त इस प्रकार मनाया जाये कि 15 अगस्त लोग भूल जायें। श्रीनाथ पाई को भी पत्र की प्रति लोहिया जी द्वारा भेजी गयी थी। गोष्ठी की अध्यक्षता जिला बार एशोसिएशन के अध्यक्ष श्री जगत बहादुर सिंह ने की तथा गोष्ठी में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता बृजेश दीक्षित, महामंत्री नरेन्द्र कुमार वर्मा, पूर्व अध्यक्ष भरत सिंह यादव, उपाध्यक्ष मलिक अमीनुद्दीन, वरिष्ठ अधिवक्ता हुमायूं नईम खां सभी उपस्थित जिला बार एशोसिएशन के पदाधिकारियों ने यह घोषण की कि जिला बार एशोसिएशन एक पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं उत्तर प्रदेश बार एशोसिएशन एवं भारत के अधिवक्ता संघ से भी आग्रह करेगा कि 9 अगस्त ही स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाये। इन सभी वक्ताओं ने कोरोना में हो रही अनियमितताओं की जांच की मांग भी की। गोष्ठी में प्रमुख रुप से मृत्युंजय शर्मा, विनय सिंह, रवि प्रताप सिंह, पी.के.सिंह, सत्यवान वर्मा, राजेश निगम, बबुआ तिवारी, मनीष सिंह, अनिल यादव, नीरज दूबे, राहुल यादव लोग उपस्थित रहे।