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भारत

उपराष्ट्रपति के भाषण के प्रमुख अंश ।

स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन पर द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी – ISHTA-2023 के साथ जुड़कर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है ।जाने माने स्वास्थ्य शोधकर्ता, चिकित्सक, नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता, एवं उद्योग जगत के लोग इसमें भाग ले रहे हैं। ISHTA का मिशन है – सभी के लिए उचित कीमत पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करना। हमारे प्रधान मंत्री किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को ध्यान में रखते हुए आयुष्मान भारत योजना लेकर आए। यह दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे पारदर्शी और प्रभावशाली स्वास्थ्य तंत्र है जो देश के 1.4 बिलियन लोगों को लाभ पहुंचा रहा है और इसकी किफायती दरों ने एक सर्वसुलभ प्रणाली विकसित की है। आयुष्मान भारत के कारण हमारे देश में कई पैरामेडिकल सेंटर, डायग्नोस्टिक सेंटर, मेडिकल कॉलेजों, नर्सिंग कॉलेज, क्लीनिकों आदि का विकास हुआ है और यह तंत्र आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। जो लोग इलाज के खर्च को वहन करने में समर्थ नहीं होते हैं, उनके बच्चों की वृद्धि प्रभावित होती है। परिवार की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाती है। इसमें टेक्नोलॉजी एक गेम चेंजर के रूप में साबित हुई है, क्योंकि तकनीक के अभाव में हमें कई जगहों पर भटकना पड़ता है। वर्ष 1989 में जब मैं केंद्रीय मंत्री बना, उससे 2 साल पहले मेरे पिता को दिल का दौरा पड़ा। मेरे लिए वह एक कठिन समय था मुझे एंजियोग्राम कराने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उस समय यह केवल दो शहरों में ही होता था और मुझे उन्हें इलाज के लिए देश से बाहर यू.के. ले जाना पड़ा। और आज देखिए अब ये सब सुविधाएं देश के प्रत्येक मंडल स्तर पर उच्चतम गुणवत्ता के साथ उपलब्ध हैं। तकनीक अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की दिशा में एक वरदान साबित हुई है। स्वास्थ्य सुविधाओं को सर्वसुलभ बनाने के लिए, अब हमारे पास गांवों में भी स्वास्थ्य देखभाल केंद्र मौजूद हैं। और यह उपलब्धि एक मील का पत्थर सावित होने वाली उपलब्धि है। किसी संस्थान की यदि जवाबदेही तय न की जाए, उसकी जांच और मूल्यांकन न किया जाए, एक तरह से उसका ऑडिट न कराया जाए तो उस संस्थान को बर्बाद होने में समय नहीं लगेगा। स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन पर आधारित यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी मूल्यांकनपरक स्वास्थ्य संगोष्ठी है और मुझे पूरा यकीन है कि यह लोगों के स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की दिशा दिखाने में एक लंबा रास्ता तय करेगी। स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियान ने भारत के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है और अब हर घर में शौचालय है। जिसके बारे में हमने कभी सोचा नहीं था, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। अब हम घरों में ताजा पानी उपलब्ध कराने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस सबके परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास हुआ है, स्टार्ट अप स्थापित हुए हैं और उद्यमिता बढ़ी है, यह सब इतने बड़े पैमाने पर हुआ है कि लोगों के लिए स्वास्थ्य और उनके जीवन में खुशहाली लाने के लिए एक जन आंदोलन बन गया है।

 

भारत ने कोविड से निपटने में दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। जनता कर्फ्यू एक अभिनव और कल्पनाशील विचार था जिसे बहुत सफलतापूर्वक लागू किया गया। पूरा देश कोविड योद्धाओं की जय-जयकार करने के लिए एक साथ आया क्योंकि ये वे लोग थे जो लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार थे। हमने उनके सम्मान में दीप जलाए। जब मैं विदेश गया, तो यह देखकर संतोष हुआ कि दुनिया में भारत को सम्मान की नजर से देखा जा रहा है क्योंकि तमाम चुनौतियों के बाद भी भारत ने कोविड का टीका बनाया, और 220 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया और इसकी डिजिटल मैपिंग भी की। वैक्‍सीन मैत्री के माध्‍यम से भारत दूसरे देशों की भी सहायता कर रहा था जोकि हमारे युगों पुराने आदर्शों को दर्शाता है।देश में 1.5 लाख से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए गए हैं। जो उद्यमियों और कुशल मानव संसाधन के लिए बड़े अवसर पैदा कर रहे है। साथ ही अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए भी गेम चेंजर साबित हो रहे हैं। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत 33.8 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते खोले गए हैं और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 50 करोड़ लाभार्थी लाभ प्राप्त कर रहें हैं। आम आदमी के लिए सस्ती दवा की उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण कदम है। आम आदमी तक सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं पहुंचाने के लिए देश भर में 9000 से अधिक जन औषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं। कैंसर रोधी दवाओं का मूल्य नियंत्रण करने से कैंसर रोगियों को प्रतिवर्ष 200 करोड़ रुपये की बचत हुई है। यह सब माननीय मंत्री द्वारा उठाए गए सक्रिय और सकारात्मक कदमों के कारण संभव हुआ है। लोगों को अच्छी सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में भारत दुनिया में एक उदाहरण बन गया है। पहले बिलों का भुगतान करने के लिए लंबी लाइने लगा करती थी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक क्रांति हुई है, भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई- संजीवनी के माध्यम से 8 करोड़ से भी अधिक टेली-परामर्श दिए गए हैं। पचास और साठ के दसक में क्षय रोग (टीबी) जानलेवा हुआ करता था। लेकिन अब एक किट से इसका इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है। यह एक बहुत बड़ परिवर्तन है। स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या दोगुनी कर दी गई है। यदि भारत इस समय पहले से कहीं अधिक तेज गति से आगे बढ़ रहा है, तो इसके पीछे दो अवधारणाएं हैं। हमारे पीएम ने इस पर प्रकाश भी डाला है – हम विस्तारवादी युग में नहीं जी रहे हैं और उन्होंने दुनिया को बड़े पैमाने पर यह भी संकेत दिया कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। मैं सभी हितधारकों, डब्ल्यूएचओ और नेताओं से आग्रह करूंगा कि अगर हमें इस दुनिया को स्वस्थ और खुशहाल बनाना है तो हमें एक पारितंत्र बनाना होगा, हमारे देश ने हजारों वर्षों में इस पारितंत्र को विकसित किया है जो ‘वसुधैव’ कुटुम्बकम्’ पर आधारित है। कुछ चीजें हमारे स्वयं के द्वारा बनाई गई हैं जैसे मानसिक विकार, तनाव, कार्यस्थल पर तनाव, हम सब हर समय प्रतिस्पर्धी मोड में रहते हैं। आइए हम सब मिलकर इस दिशा में काम करें ताकि लोगों के तनाव को कम किया जा सके और लोगों के जीवन को और बेहतर बनाया जा सके।

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