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दिल्लीभारत

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने मुंबई में जी20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की दूसरी बैठक का उद्घाटन किया।

 

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा/यूपी ब्रेकिंग न्यूज 

आपदा जोखिम वित्तीय पोषण समुदायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य व कल्याण, अर्थव्यवस्थाओं की स्थिरता और पर्यावरण के संरक्षण में एक निवेश है: डॉ. भारती प्रवीण पवार

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने मुंबई में जी20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की दूसरी बैठक का उद्घाटन किया

आपदाओं के प्रभावों को कम करने और समुदाय के लचीलेपन को बढ़ाने में आपदा जोखिम वित्तीय पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका की अब अनदेखी नहीं की जा सकती है: डॉ. भारती प्रवीण पवार

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आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य दल (डीआरआरडब्ल्यूजी) की दूसरी बैठक का आज मुंबई में उद्घाटन हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार व कार्य दल के अध्यक्ष और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य सचिव श्री कमल किशोर ने इस उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाई। इसके अलावा इस अवसर पर गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। यह उल्लेखनीय है कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की विशेष सचिव श्रीमती मामी मिजुटोरी इस बैठक में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों में शामिल हैं।

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इस उद्घाटन कार्यक्रम के अपने संबोधन में डॉ. पवार ने आपदा जोखिम में कमी के लिए वित्तीय पोषण को हमारे भविष्य के लिए एक निवेश बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारे समुदायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य व कल्याण, हमारी अर्थव्यवस्थाओं की स्थिरता और हमारे पर्यावरण के संरक्षण में एक निवेश है। मंत्री ने आगे कहा कि सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और निजी क्षेत्र को धनराशि जुटाने के लिए सहयोग करने और नए तरीके तलाशने की जरूरत है।

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इसके अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने महामारी प्रबंधन के महत्व और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में भी बताया। उन्होंने कोविड-19 महामारी ने विभिन्न विकास और वित्तीय नीतियों के केंद्र में आपातकालीन तैयारी की जरूरत को रेखांकित किया। डॉ. पवार ने आगे कहा, “हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियां भविष्य की आपदाओं के प्रभाव का सामना करने में सक्षम हैं।”

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डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आगे कहा कि सतत् विकास के लिए एजेंडा- 2030 में निर्धारित आपदा जोखिम न्यूनीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने में विश्व पिछड़ रहा है। उन्होंने कहा पिछले दो-तीन दशकों में वैश्विक आर्थिक विकास सराहनीय रहा है, लेकिन संबंधित आपदा जोखिमों को कम करने के लिए धनराशि अपर्याप्त रही है।

मंत्री ने कहा कि आपदाओं के बाद जानमाल का नुकसान, बुनियादी ढांचे का विनाश, लोगों का विस्थापन और अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वैश्विक स्तर पर हर साल इसकी कीमत सैकड़ों अरब डॉलर होती है। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निवेश करना न केवल एक नैतिक उत्तरदायित्व है बल्कि, एक आर्थिक जरूरत भी है।

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि आपदा जोखिम में न्यूनीकरण के लिए वित्तीय पोषण को एक बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी दृष्टिकोण की जरूरत है। यह शुरुआती चेतावनी प्रणाली, तैयारी के उपायों, आपदाओं से निपटने के लिए लचीले बुनियादी ढांचे और आपदा के बाद स्थिति को समान्य करने और पुनर्निर्माण के लिए पर्याप्त संसाधनों में मजबूत निवेश की मांग करता है। मंत्री ने आगे कहा कि एक आपदा के बाद लंबी अवधि में स्थिति की बहाली प्रक्रिया समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण के प्रयासों में सहायता करने और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की फिर से बहाली के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की जरूरत होती है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समर्थन से प्राप्त किया जा सकता है।

डॉ. पवार ने आगे कहा कि भारत सरकार प्रौद्योगिकी और नवाचार का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रही है। उन्होंने आपदाओं के प्रबंधन की तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार के लिए देश में उपलब्ध उन्नत पूर्वानुमान प्रणाली और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सरकार ने डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के लिए कई महत्वाकांक्षी पहलें भी शुरू की हैं। इसके अलावा मंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई सचेत पूर्व चेतावनी प्रणाली पूरे भारत के आधार पर पूर्व चेतावनी प्रदान कर रही है।

डॉ. पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा प्रबंधन में “मान्यता व सुधार” के महत्व पर जोर दिया है, जिससे हम कमजोर क्षेत्रों की पहचान करें और किसी भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए अपने प्रयासों में सुधार करें। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री का “वसुधैव कुटुम्बकम” के दर्शन में विश्वास रहा है और यह एक मार्गदर्शक बल रहा है, चाहे वह “ऑपरेशन दोस्त” के तहत तुर्की में भूकंप के बाद राहत कार्य के लिए हो, या “वैक्सीन मैत्री” के तहत लगभग 98 देशों को कोविड-19 टीके प्रदान करने की पहल हो।

मंत्री ने आगे कहा कि भारत आपदा जोखिम न्यूनीकरण और अधिक लचीला विश्व बनाने के लिए जी20 और अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना है कि एक साथ काम करके, हम एक ऐसे विश्व का निर्माण कर सकते हैं, जो आपदाओं के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो और जो उनके प्रभाव को लेकर अधिक लचीला हो।” इसके अलावा मंत्री ने कहा कि जी-20 राष्ट्रों के पास वित्तीय सहायता प्रदान करने, ज्ञान साझा करने और आपदा जोखिम में न्यूनीकरण पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सहयोगी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के जरिए उच्च स्तरीय चर्चाओं को आगे बढ़ाने का अवसर है।

इस अवसर पर इंडोनेशिया के बीएनपीबी आपदा जोखिम मूल्यांकन और मानचित्रण के निदेशक डॉ. इर उद्रेख, जी-20 चेयर (भारत) और एनडीएमए के सदस्य-सचिव श्री कमल किशोर, एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन, एनडीएमए के सदस्‍य डॉ. कृष्‍ण स्‍वरूप वत्‍स, गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव हितेश कुमार मकवाना, एनडीएमए के अतिरिक्त सचिव आलोक गुप्ता और महाराष्ट्र सरकार प्रधान सचिव (राहत) असीम गुप्ता उपस्थित थे।

*जी-20 चेयर (भारत) और एनडी एमए के सदस्य-सचिव श्री कमल किशोर*

इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान 122 प्रतिनिधि आपदा जोखिम न्यूनीकरण के वित्तीय पोषण पर आयोजित चर्चा में हिस्सा लेंगे। इसके तहत तकनीकी सत्रों में प्रारंभिक चेतावनी व प्रारंभिक कार्रवाई के लिए वित्तीय पोषण, लचीले बुनियादी ढांचे के लिए वित्तीय पोषण, बेहतर निर्माण और इकोसिस्टम-आधारित दृष्टिकोण और डीआरआर में समुदाय की भूमिका जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा।

इस दो दिवसीय बैठक से पहले आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए वित्तीय पोषण पर एक दिवसीय संक्षिप्त कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस बैठक के दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने यूएनडीआरआर, यूएनडीपी, यूनिसेफ, आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन, ओईसीडी और इनसु रेजिलिएन्स जैसे संगठनों के साथ सहभागिता की है।

वहीं, इस कार्यक्रम में निजी क्षेत्रों के साथ एक गोलमेज बैठक आयोजित की गई, जिसमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण, महत्वपूर्ण उपस्थिति को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस चर्चा का उद्देश्य डीआरआर क्षेत्र को लाभदायक बनाने में निजी क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों को समझना था।

तकनीकी सत्रों के दौरान जी-20 देशों ने अगले तीन वर्षों के लिए डीआरआरडब्ल्यूजी के रोडमैप पर चर्चा की। भारत की अध्यक्षता इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए ट्रोइका देशों (इंडोनेशिया, भारत व ब्राजील) और दक्षिण अफ्रीका के बीच स्वामित्व स्थापित करने में विश्वास करती है। इसकी आशा है कि नीति के क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण को मुख्यधारा में लाया जाएगा और यह डीआरआर के लिए वित्तीय पोषण उपकरण व तंत्र आपदा प्रतिक्रिया को लेकर अग्रिम कार्रवाई व जोखिम न्यूनीकरण के प्रतिमान को बदलने में सहायता करेंगे।

मुंबई में जी20 बैठक के अवसर पर “सुरक्षित मुंबई, भविष्य के लिए तैयार मुंबई – एक फोटोग्राफिक चित्रण” विषयवस्तु पर एक फोटो प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया।

फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने किया।

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