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सुप्रसिद्ध साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था “लक्ष्य” द्वारा स्थानीय अवध महोत्सव समारोह में एक विराट कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का किया गया आयोजन

लखनऊ।सुप्रसिद्ध साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था “लक्ष्य” द्वारा आज दिनांक 13 फरवरी 2021 को स्थानीय अवध महोत्सव समारोह में एक विराट कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता देश के सुप्रसिद्ध गज़लकार कुॅंवर कुसुमेश ने की । मुख्य अतिथि जाने माने वरिष्ठ गीतकार मयंक किशोर शुक्ला “मयंक”, विशिष्ट अतिथि गीतकार कन्हैयालाल जी थे। कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का संचालन हास्य कवि गोबर गणेश ने किया, वाणी वंदना प्रसिद्ध छंदकार शरद कुमार पाण्डेय “शशांक” द्वारा की गई।

कवि सम्मेलन का प्रारंभ युवा हास्य कवि आशुतोष आशुतोष तिवारी “आशु” द्वारा किया गया । आशुतोष जी ने हास्य कविता के साथ बेटियों पर भी यह सुंदर कविता सुनाई :-

तपा तन धूप में बनती सभी की छाँव है बेटी.
सदा फिर भी यहाँ सहती सभी के दांव हैं बेटी.
कुतर कर हौंसलों के पँख यारों कम नहीं आंको,
हिमालय के शिखर पर भी बढ़ाती पांव हैं बेटी।।

इसके पश्चात गजलकार सचिन मल्होत्रा ने यह सुंदर गजल सुना कर लोगों की वाहवाही लूटी
निगाहें यार को देखें तो डर चले जाएँ
दुआ करो कि दवा के असर चले जाएँ।

पण्डिते बेअदब लखनवी ने राधा कृष्ण पर यह सुंदर कविता सुनाते हुए कार्यक्रम को गति प्रदान की :-

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सपनों में राधा बनकर अक्सर चले हो आते,
कान्हा कहाँ हो कान्हा कहकर हमें बुलाते,
ख्वाबों में देखता हूँ हर पल तुम्हारी सूरत,
पर आंख जब खुले तो तुमको नहीं हैं पाते।।

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विख्यात शायर शकील गयावी ने खूबसूरत तरन्नुम में अपने एक से एक बेहतरीन शेरों के रुप में ग़ज़ल सुनाकर लोगों को दिलों का दिल जीत लिया।

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इसके पश्चात कवयित्री सरिता कटियऻर जी ने नमक हलाली पर कविता सुनाते हुए खूब प्रशंसा पाई :-

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फंसते ना जो जीते शराफ़त में
मौत नज़दीक आई बग़ावत में
मेटने को चले थे दलाली सभी
रास्ता मुड़ गया है दलालत में
मैंने खाया नमक ना हलाली करूँ
सरिता जी कर रही बस इबादत मे।।

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बलरामपुर गोंडा से पधारी चिर परिचित कवयित्री ऋचा मिश्रा “रोली” ने सुमधुर स्वरों में समां बांधते हुए अपना यह गीत पढ़ा कि :-

अगर सोचूँ कोई बातें, तो मन मे प्रेम उठता है
मेरे मन से तो केवल प्यार का संगीत ही निकले।

सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कवि व्यंग्यकार मनमोहन बाराकोटी “तमाचा लखनवी” ने अपने निम्नलिखित धारदार मुक्तकों की बारिश करते हुए सबको तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया :-

संघर्ष की हर राह, काँटों की सेज होती है।
प्रतिभा विहीनों की चमक, निस्तेज होती है।।
बनके यथार्थ चिन्तक, पैनी नजर जरूरी,
कलम की धार तलवार, से भी तेज होती है।।

ज्ञान की गंगा बहे तो, वह कभी घटती नहीं।
अज्ञानता की धुन्ध है, बिन ज्ञान के छटती नहीं।।
हाँ हुजूरी और कीर्तन से, मुझे है नफरत बहुत,
इसलिए चाटुकारों से, मेरी कभी पटती नहीं।।

कवियत्री अलका अस्थाना ने राधा कृष्ण पर यह सुंदर गीत सुनाए
कान्हा की बंशी चुराई ओ राधा क्यूँ इठलाई।
यमुना किनारे मिलो रे कन्हाई करूंगी लराई।।

हास्य व्यंग्य के जाने माने वरिष्ठ कवि राम नरेश पाल ने बाबू को किस तरह पटाया जाए कविता सुनाकर लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया।

सूप्रसिद्ध वरिष्ठ गजलकार आहत लखनवी ने अपने सुमधुर स्वरों में अपना यह गीत प्रस्तुत करते हुए ढेर सारी तालियां एवं वाह वाही पाई :-

हठधर्मी करते आए हो हठ तुमने दिखला दी है,
हठधर्मी के चलते समझौते में पेंच फंसा दी है ।
करके दंगा और उपद्रव लालकिले की छाती पर,
सारे हिंदुस्तान की गरिमा मिट्टी में मिलवा दी है ।।

रामराज भारती “फतेहपुरी” ने अपने बेहतरीन दोहों के माध्यम से एक नई चेतना जागृत करते हुए खूब प्रशंसा व दाद बटोरी :-

नर नारी समता सरित, गई कहां पे सोख।
बाहर तो खतरे बहुत, नहीं सुरक्षित कोख।।

इसके पश्चात हास्य कवि श्री रविंद्र प्रतापगढ़ी ने यह हास्य कविता सुना कर लोगों को खूब हंसाते हुए आनन्द विभोर कर दिया :-

नमकीन कर सकी ना किसी स्वीट ने किया
विक्ट्री का ना कर सकी नहीं डिफीट ने किया
सर्कस के सारे शेर भी गुर्राने लगे हैं।
हाय हाय रिहाना क्या तेरे ट्वीट ने किया।

वाणी वन्दना कर चुके सुप्रसिद्ध छंदकार शरद कुमार पाण्डेय “शशांक” ने यह कविता सुनाकर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया :-

घर से निकले पर आ ना सके
किस बात कहें उनके डर से
जिनके मिलने पर थे हर से।

भोजपुरी एवं हिन्दी के वरिष्ठ कवि कृष्णानंद राय ने पर्यावरण पर यह खूबसूरत कविता सुनाकर खूब प्रशंसा बटोरी :-

फिर से एक बाग लगा दो
जो सोए हैं उन्हें जगा दो
धूप से राहत मिल जाएगी
फल जनता हरदम खाएगी।

कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे जाने माने हास्य कवि गोबर गणेश ने यह कविता सुनाकर लोगों को हंसा हंसाकर खूब गुदगुदाया :-

मैं उससे मिलने कभी गेंदा,
कभी गुलाब का फूल ले जाया किया,
उसकी गली के चक्कर लगाया किया,
उसके बाप के डर से उसको फूल ना दे पाया, कभी फूलों को ऊंची कीमत में बेचकर पैसा कमाया किया।
प्रेम का इजहार बाप ने करने न दिया।।

कवि सम्मेलन एवं मुशायरे विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ गीतकार कन्हैयालाल ने यह कविता सुनाई कि :-

बरसा कर कोई प्यार, देखे तो किसी पर।
प्यासा है, बहुत प्यासा, इस प्यार का जमाना
नफरत, गुरूरे दौलत, अपना पराया का दौर है।
बस प्यार से है मुमकिन हर जंग जीत जाना।।
मैं तो भुला न पाऊंगा, हो सके तो भूल जाना।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार कवि मयंक किशोर शुक्ल “मयंक” ने अपने निम्नलिखित सन्देशात्मक मुक्तकों से ढेर सारी वाहवाही बटोरी :-

बिछौने रहे कभी घास के।
दिन वही थे हर्षोल्लास के।।
खेत, खलिहान, गाँव बुलाते,
बिना भेद भाव, बिना फांस के।।

बात जमीं की, नमीं की करना।
बात नखत की, हँसी की करना।
बात जोड़े दो दिलों को मयंक,
बात यहाँ आदमीं की करना।।

कवि सम्मेलन एवं मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे गज़लकार कुँवर कुसुमेश ने बेहतरीन तरन्नुम में बेहतरीन ग़ज़ल सुनाकर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया :

कभी इन्कार रखते हैं कभी इक़रार रखते हैं।
वो अपने नर्म लहजे में कई हथियार रखते हैं।
मिला लेते लपककर हाथ जो हैं आपसे-हमसे,
दिलों के बीच में वो लोग ही दीवार रखते हैं।।अन्त में समारोह में आए पत्रकार बंधु प्रीतपाल सिंह हिन्दी दैनिक राष्ट्र की बात, अरुण कुमार पाण्डेय “यू पी की आवाज”, मुस्कान मौर्य “मानव टुडे” को मां तारा स्मृति संस्थान की तरफ से संस्थापक अध्यक्ष पण्डित बेअदब लखनवी द्वारा पुष्पमाल , अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न प्रदान कर “पत्रकार गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया व अतिथि साहित्यकारों कवियों – कवयित्रियों – शायरों एवं श्रोताओं को संस्था के मीडिया प्रभारी पंडित बेअदब लखनवी ने धन्यवाद ज्ञापित कर सम्मेलन का समापन किया

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