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बाराबंकी

आरिफ मोहम्मद खान ने सबसे पहले महात्मा गांधी प्रतिमा पर मार्ल्यापण करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तदोपरान्त उन्होंने गांधी भवन में स्वदेषी खादी केन्द्र का किया लोकार्पण

स्टेट हेड शमीम की रिपोर्ट

बाराबंकी। जब-जब हम पथ भ्रष्ट हुए हैं, जब-जब हम अपने आदर्शों से अलग हुए हैं तब-तब कोई न कोई अवतार चाहे वो स्वामी विवेकानंद की शक्ल में, राजाराम मोहन राय या विद्यासागर या फिर महात्मा गांधी की शक्ल में आते रहे हैं।
यह बात शनिवार को गांधी स्मृति एवं दर्षन समिति और गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गांधी जयंती समारोह में गांधी दर्शन पर व्याख्यान देते हुए मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कही।
श्री आरिफ मोहम्मद खान ने सबसे पहले महात्मा गांधी प्रतिमा पर मार्ल्यापण करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। तदोपरान्त उन्होंने गांधी भवन में स्वदेषी खादी केन्द्र का लोकार्पण किया।
उन्होंने आगे अपने संबोधन में कहा कि आज हमारा आचरण हमारी विरासत के मुताबिक नहीं चल रहा है। करीब घण्टे भर के अपने व्याख्यान में उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से पड़ोसी अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर भी चर्चा की। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गीता और कुरान के तमाम उदाहरण देते हुए समाज की तमाम सच्चाइयों से रूबरू कराया। इस दौरान उन्होंने कई दृष्टांतो का हवाला देते हुए महात्मा गांधी का दर्शन बयान किया। उन्होंने कहा कि लोग अपनी संस्कृति भूलते जा रहे हैं। उन्होंने भारत की विभिन्नता में एकता की संस्कृति की तारीफ की।
उन्होंने गांधी के सत्य अहिंसा के उसूलों को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने इन उसूलों को खोजा नहीं है बल्कि इन्हें जिंदा किया जिन्हें हम भूल गए थे। बंदूक संस्कृति पर व्यक्त की चिंतायही नहीं इस दौरान उन्होंने पड़ोसी देश अफगानिस्तान पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बंदूक लेकर शहर की गलियों में घूमने वाले अपने को स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं। उनके द्वारा महिलाओं के साथ किए जा रहे बर्ताव पर उन्होंने कहा कि जिस समाज मे महिलाओं को सिर्फ बच्चा पैदा करने तक ही सीमित समझा जाता है या उन्हें घर पर बैठा दिया जाता है। वह समाज कमजोर हो जाता है। उन्होंने कहा कि ये जो बंदूक की संस्कृति है। महिलाओं को जबरन घर मे बैठाने की संस्कृति है। भले ही हम उनको नहीं रोक सकते, लेकिन चिंतित तो हो सकते हैं। अपना दृष्टिकोण तो रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे किसी की जितनी भी शानदार विरासत रही हो उसके कर्माे का फल जरूर मिलता है। समारोह की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एस.एस नेहरा ने की।
समारोह को गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा, नवीन चन्द्र तिवारी, मो उमेर किदवई, विनय कुमार सिंह, नीरज उपाध्याय, सलाउद्दीन किदवई ने संबोधित किया।

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