सामरिक रूप से महत्वपूर्ण खनिजों की रॉयल्टी दरें
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रिपोर्ट:-शमीम
केंद्र सरकार ने 17.08.2023 से एमएमडीआर संशोधन अधिनियम- 2023 के माध्यम से खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम- 1957 [एमएमडीआर अधिनियम, 1957] में संशोधन किया है। उपरोक्त संशोधन के जरिए केंद्र सरकार को उक्त अधिनियम की पहली अनुसूची के नए भाग-घ में सूचीबद्ध 24 महत्वपूर्ण खनिजों के लिए खनन पट्टे और संयुक्त अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) को विशेष रूप से नीलाम करने का अधिकार दिया गया है। इन खनिजों में लिथियम युक्त खनिज, नाइओबियम युक्त खनिज और “दुर्लभ मृदा” समूह के खनिज (यूरेनियम और थोरियम को छोड़कर) शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने लिथियम, नाइओबियम और दुर्लभ मृदा तत्वों (आरईई) के संबंध में रॉयल्टी की दर निर्धारित करने के उद्देश्य से दिनांक 13.10.2023 की अधिसूचना संख्या जीएसआर 736(ई) के माध्यम से एमएमडीआर अधिनियम- 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया है। इन खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दरें अनुबंध- I में हैं।
रॉयल्टी की दर की विशिष्टता ने केंद्र सरकार को देश में पहली बार लिथियम, नाइओबियम और आरईई के लिए ब्लॉकों की नीलामी करने में सक्षम बनाया है। लिथियम, नाइओबियम और आरईई अपने उपयोग और भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण सामरिक तत्वों के रूप में सामने आए हैं। इन खनिजों के स्वदेशी खनन को प्रोत्साहित करने से आयात में कमी आएगी और संबंधित उद्योगों व बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शुरू किया जाएगा।
महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों की नीलामी से कई प्रमुख लाभ मिलते हैं। इनमें घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना, आयात निर्भरता को कम करना, स्थायी संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना, खनन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करना और भारत की औद्योगिक व तकनीकी उन्नति के लिए महत्वपूर्ण प्रमुख उद्योगों का विकास शामिल है। यह इन खनिजों की एक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने व आर्थिक विकास में योगदान करने की दिशा में एक कदम है। इसके अलावा ये खनिज कम उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था में रूपांतरण को शक्ति देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और नवीकरणीय प्रौद्योगिकियां साल 2070 तक भारत की ‘नेट ज़ीरो’ प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए जरूरी होगीं।
केंद्र सरकार ने 29.11.2023 को महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों के 20 खनिज ब्लॉकों की ई-नीलामी के पहले हिस्से की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य इन खनिजों की टिकाऊ आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जिससे आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी और अधिक सुरक्षित व लचीली आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित हो सकेगी।
अनुंबध-1
लोकसभा अतारांकित प्रश्न संख्या 777 के उत्तर में उल्लिखित अनुबंध
खनिज | रॉयल्टी की दर |
लिथियम | उत्पादित अयस्क में लिथियम धातु पर प्रदेय लंदन मेटल एक्सचेंज मूल्य का तीन फीसदी |
नाइओबियम विज्ञापन 4
(i) प्राथमिक (कोलंबाइट-टैंटालाइट के अलावा अन्य अयस्कों से उत्पादित) विज्ञापन 5
(ii) उप-उत्पाद (कोलंबाइट-टैंटालाइट के अलावा अन्य अयस्कों से उत्पादित) |
उत्पादित अयस्क में निहित नाइओबियम धातु पर प्रदेय नाइओबियम धातु के औसत विक्रय मूल्य का तीन फीसदी।
उत्पादित अयस्क में निहित उप-उत्पाद नाइओबियम धातु पर प्रदेय नाइओबियम धातु के औसत विक्रय मूल्य का तीन प्रतिशत है। |
दुलर्भ मृदा तत्व (समुद्र तटीय रेत खनिजों में मोनाजाइट के अलावा पाए जाने वाले अन्य अयस्कों से उत्पादित खनिज) | उत्पादित अयस्क में निहित दुर्लभ मृदा ऑक्साइड (आरईओ) पर प्रदेय दुर्लभ मृदा ऑक्साइड के औसत विक्रय मूल्य का एक फीसदी। |
यह जानकारी केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी।