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विश्व बैंक द्वारा तैयार जी20 दस्तावेज़ में भारत की प्रगति की सराहना की गई।

 

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का भारत पर परिवर्तनकारी प्रभाव रहा है, जिसका दायरा समावेशी वित्त से कहीं आगे तक है। विश्व बैंक द्वारा तैयार वित्तीय समावेश के लिए जी20 वैश्विक साझेदारी दस्तावेज़ (https://www.g20.org/content/dam/gtwenty/gtwenty_new/document/G20_POLICY_RECOMMENDATIONS.pdf) ने केंद्र सरकार के तहत पिछले दशक में भारत में डीपीआई के परिवर्तनकारी प्रभाव की सराहना की है।

दस्तावेज़ डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) परिदृश्य में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए अभूतपूर्व उपायों और इसे स्वरुप देने में सरकारी नीति और विनियमन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।

वित्तीय समावेश: भारत के डीपीआई दृष्टिकोण की सराहना करते हुए विश्व बैंक के दस्तावेज़ में कहा गया है कि भारत ने केवल 6 वर्षों में ऐसी उपलब्धि हासिल कर ली है, जिसे पूरा करने में लगभग पाँच दशक लग जाते।

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जेएएम ट्रिनिटी ने वित्तीय समावेश की दर को 2008 के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर पिछले 6 वर्षों में वयस्कों के लिए 80 प्रतिशत से अधिक कर दिया है, जिससे इस यात्रा की अवधि 47 साल तक कम हो गई है और इसके लिए डीपीआई को धन्यवाद दिया जाना चाहिए।
दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से कहा गया है, “हालांकि तेजी से आगे बढ़ने में डीपीआई की भूमिका पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन डीपीआई की उपलब्धता से जुड़े अन्य घटक और नीतियां महत्वपूर्ण थीं। इनमें, अधिक सक्षम कानूनी और नियामक व्यवस्था तैयार करने के लिए कार्यक्रम, खाता स्वामित्व का विस्तार करने के लिए राष्ट्रीय नीतियां और पहचान सत्यापन के लिए आधार का लाभ उठाना शामिल हैं।
शुरुआत होने के बाद से, खोले गए पीएमजेडीवाई खातों की संख्या मार्च 2015 के 147.2 मिलियन से तीन गुना बढ़कर जून 2022 तक 462 मिलियन हो गई; इनमें से 56 प्रतिशत यानि 260 मिलियन से अधिक बैंक खाते महिलाओं के हैं।
जन धन प्लस कार्यक्रम कम आय वाली महिलाओं को बचत करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसके परिणामस्वरूप 12 मिलियन से अधिक (अप्रैल 2023 तक) महिला ग्राहक हैं और समान समय अवधि में पूरे पोर्टफोलियो की तुलना में, केवल पांच महीनों में औसत बचत राशि में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अनुमान है कि कम आय वाली 100 मिलियन महिलाओं को बचत गतिविधियों में शामिल करके, भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लगभग 25,000 करोड़ रुपये (3.1 बिलियन डॉलर) जमा धनराशि आकर्षित कर सकते हैं।
सरकार से व्यक्ति (जी2पी) को भुगतान:

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पिछले दशक में, भारत ने डीपीआई का लाभ उठाते हुए दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल जी2पी संरचनाओं में से एक का निर्माण किया है।
इस दृष्टिकोण ने 312 प्रमुख योजनाओं के लिए 53 केंद्र सरकार के मंत्रालयों द्वारा सीधे लाभार्थियों को लगभग 361 बिलियन डॉलर की राशि के अंतरण का समर्थन किया है।
मार्च 2022 तक, इसके परिणामस्वरूप कुल 33 बिलियन डॉलर की बचत हुई, जो सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 1.14 प्रतिशत के बराबर है।

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यूपीआई:

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केवल मई 2023 में, लगभग 14.89 ट्रिलियन रुपये मूल्य के 9.41 बिलियन से अधिक लेनदेन किए गए।
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, यूपीआई लेनदेन का कुल मूल्य भारत की सांकेतिक जीडीपी का लगभग 50 प्रतिशत था।

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निजी क्षेत्र के लिए डीपीआई का संभावित अतिरिक्त मूल्य:

भारत में डीपीआई ने देश में व्यवसाय संचालन की जटिलता, लागत और समय में कमी के माध्यम से निजी संगठनों के लिए कार्यकुशलता में भी वृद्धि की है।
यहां तक कि कुछ एनबीएफसी को एसएमई ऋण देने में 8 प्रतिशत अधिक रूपांतरण दर, मूल्यह्रास लागत में 65 प्रतिशत बचत और धोखाधड़ी का पता लगाने से संबंधित लागत में 66 प्रतिशत की कमी करने में सक्षम बनाया गया है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार, डीपीआई के उपयोग से भारत में ग्राहकों को जोड़ने की बैंकों की लागत 23 डॉलर से घटकर 0.1 डॉलर हो गई।

केवाईसी के लिए बैंकों की अनुपालन लागत में कमी

इंडिया स्टैक ने केवाईसी प्रक्रियाओं को डिजिटल और सरल बना दिया है, जिससे लागत कम हो गई है; ई-केवाईसी का उपयोग करने वाले बैंकों की अनुपालन लागत 0.12 डॉलर से घटकर 0.06 डॉलर हो गयी। लागत में कमी ने कम आय वाले ग्राहकों को सेवा के लिए अधिक आकर्षक बना दिया और नए उत्पाद विकसित करने के लिए लाभ अर्जित किया।

सीमा पार भुगतान:

फरवरी 2023 में शुरू की गयी भारत और सिंगापुर के बीच यूपीआई-पेनाउ इंटरलिंकिंग को जी20 की वित्तीय समावेश प्राथमिकताओं के साथ जोड़ा गया है, जो तेज़, किफायती और अधिक पारदर्शी सीमा पार भुगतान की सुविधा प्रदान करती है।

अकाउंट एग्रीगेटर (एए) फ्रेमवर्क:

भारत के अकाउंट एग्रीगेटर (एए) फ्रेमवर्क का उद्देश्य भारत के डेटा अवसंरचना को मजबूत करना है, जिससे उपभोक्ताओं और उद्यमों को इलेक्ट्रॉनिक सहमति संरचना के माध्यम से केवल उनकी सहमति से अपना डेटा साझा करने में सक्षम बनाया जा सके। यह संरचना आरबीआई द्वारा विनियमित है।
कुल 1.13 बिलियन संचयी खाते डेटा साझा करने के लिए सक्षम हैं, जून 2023 में 13.46 मिलियन संचयी सहमतियां प्राप्त की गईं।

डेटा सशक्तिकरण और सुरक्षा संरचना (डीईपीए):

भारत का डीईपीए व्यक्तियों को उनके डेटा पर नियंत्रण प्रदान करता है, जिसके माध्यम से वे इसे सेवा प्रदाताओं के बीच साझा कर सकते हैं। यह नए लोगों को पहले से मौजूद ग्राहक संबंधों में भारी निवेश करने, नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की आवश्यकता के बिना उत्पाद और सेवा पहुंच को बढ़ावा देता है।

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