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बाराबंकी

लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 121वीं जयन्ती।

रिपोर्ट :-शिवा वर्मा (सम्पादक)

बाराबंकी। जयप्रकाश नारायण का कहना था कि जब विषमता खत्म होगी, तभी समानता आएगी। उन्होंने समाजवादी आन्दोलन के जो मूल्य स्थापित किए और जो समाजवाद की विचारधारा को फैलाने का काम किया वही काम आज देश के कोने-कोने में याद किया जाता है। अगर जयप्रकाश जी 1952 के चुनाव के बाद सर्वाेदय आन्दोलन में नहीं गए होते तो आने वाले 5-10 साल के बाद इतिहास ने पलटी ले ली होती और जो पाप आज हमारे सिर पर लदा है, शायद यह देखने को न मिलता।
यह बात गांधी भवन में स्वतंत्रता आन्दोलन के सेनानी और सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन के जनक लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 121वीं जयन्ती पर आयोजित ‘वर्तमान परिदृश्य मे जे.पी की प्रसांगिकता’ विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रख्यात लोहियावादी एवं लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक रघु ठाकुर ने कही। इससे पहले उन्होनंे जयप्रकाश नारायण की जयन्ती और आजाद हिंद फौज के कप्तान रहे समाजवादी नेता कैप्टन अब्बास अली की पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर मार्ल्यापण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दौरान श्री ठाकुर ने जयप्रकाश नारायण के जीवन के चार खण्ड स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजवादी आन्दोलन, सर्वाेदय आन्दोलन और सम्पूर्ण क्रांति पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब जेपी और लोहिया की चर्चा होती है तो उनमें एक फर्क नज़र आता है, जयप्रकाश नारायण प्रयोग से निराश होते हैं और लोहिया सदैव प्रयोग के प्रति आशावान रहते है। डॉ. लोहिया ने प्रयोग किया उसे छोड़ा नहीं। उन्होंने लिखा है कि समाजवादी पार्टी को कभी खत्म न होने देना है, समाजवादी सिद्धान्त का खूंटा गाड़कर रखना। जे.पी के कार्यकाल में समाजवादी आन्दोलन का विस्तार हुआ। जयप्रकाश का मतलब संघर्ष का पर्याय बन गया। समाज में किसी नेता का अर्थ तब है जब वह संघर्ष के मैदान में निकल पड़ता है। जो नेता संघर्ष के मैदान में नहीं निकलता वह नेता कभी जनता का नेता नहीं हो सकता।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे आचार्य नरेन्द्र देव समाजवादी संस्थान के संयुक्त सचिव नवीन चन्द्र तिवारी ने कहा कि जेपी जैसे महापुरुषों की प्रासंगकिता दार्शनिक होती है। संपूर्ण क्रांति एक दर्शन है। इसकी व्याख्या समयानुकूल होती रहेगी और जेपी की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी।
गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कहा कि आज देश के हालात जेपी और लोहिया के समय से भी ज्यादा विकट और चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन हमारे बीच न तो जेपी और लोहिया हैं और न ही उनके जैसा कोई प्रेरक व्यक्तित्व। दोनों का नामलेवा या उनकी विरासत पर दावा करने वाले दर्जनभर राजनीतिक दल जरूर हैं, लेकिन उनमें से किसी एक का भी जेपी और लोहिया के कर्म या विचार से कोई सरोकार नहीं है।
समाजसेवी मो उमैर किदवई ने कहा कि आज देश में जयप्रकाश जी जैसे व्यक्तित्व की बेहद जरूरत है। उनके लिए देश और देश की जनता की खुशहाली ही सर्वाेपरि थी। मौजूदा हालात इस बात के सबूत दे रहे हैं कि देश में तानाशाही ताकतें फिर सिर उठा रही हैं। ऐसे समय जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर जे.पी के सपनों का भारत बनायें ताकि तानाशाही ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सके और देश बचाया जा सके।
सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से सपा नेता हुमायूं नईम खान, सभासद ताज बाबा राईन, मो मुख्तार, बाबू राईन, अश्वनी कुमार शर्मा ‘शिवा’, सभासद मो आदिल अंसारी, मो फैसल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य उमेश रावत, अमित मौर्य, विनय कुमार सिंह मृत्युंजय शर्मा, विनोद भारती, विजयपाल गौतम, भागीरथ गौतम, वेद प्रकाश यादव, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, विजय कुमार सिंह, राजू सिंह, संतोष शुक्ला, मो तौफीक अहमद, आदि लोग मौजूद रहे।

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