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प्रधानमंत्री कार्यालयभारत

राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और नारकोटिक्स अकादमी एनएसीआईएन के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

रिपोर्ट:-शमीम 

आंध्र प्रदेश के गवर्नर श्रीमान एस. अब्दुल नजीर जी, मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल की मेरी सहयोगी निर्मला सीतारमण जी, पंकज चौधरी जी, भागवत किशनराव कराड़ जी, अन्य जनप्रतिनिधि, देवियों और सज्जनों,

आप सभी को National Academy of Customs, Indirect Taxes and Narcotics के इस शानदार कैंपस की बहुत बहुत बधाई। जिस श्री सत्य साई जिले में, जिस क्षेत्र में ये कैंपस बना है, वो अपने आप में विशेष है। ये क्षेत्र अध्यात्म, राष्ट्र निर्माण और सुशासन से जुड़ी हमारी विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। आप सब जानते हैं कि पुट्टापर्थी में श्री सत्य साई बाबा की जन्मस्थली है। ये महान स्वतंत्रता सेनानी पद्मश्री श्री कल्लुर सुब्बाराव की भूमि है। प्रसिद्ध पपेटरी आर्टिस्ट, दलावाई चलापति राव को इस क्षेत्र ने नई पहचान दी है। इस धरती से विजयनगर के गौरवशाली राजवंश के सुशासन की प्रेरणा मिलती है। ऐसी प्रेरणादायी जगह पर ‘नैसिन’ का ये नया कैंपस बना है। मुझे विश्वास है कि ये कैंपस गुड गवर्नेंस के नए आयाम गढ़ेगा, देश में Trade और Industry को नई गति देगा।

साथियों,

आज तिरुवल्लुवर दिवस भी है। संत तिरुवल्लुवर ने कहा था-उरुपोरुळुम उल्गु-पोरुळुम तन्-वोन्नार, तिरु-पोरुळुम वेन्दन पोरुळ,यानि राजस्व के रूप में प्राप्त राजकीय कर और शत्रु से जीते हुए धन पर राजा का ही अधिकार होता है। अब लोकतंत्र में राजा तो होते नहीं, राजा तो प्रजा होती है और सरकार प्रजा की सेवा का काम करती है। इसलिए सरकार को पर्याप्त राजस्व मिलता रहे, उसमें आपकी बहुत बड़ी भूमिका है।

साथियों,

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यहां आने से पहले मुझे पवित्र लेपाक्षी में वीरभद्र मंदिर जाने का सौभाग्य मिला है। मंदिर में मुझे रंगनाथा रामायण सुनने का अवसर मिला। मैंने वहां भक्तों के साथ भजन-कीर्तन में भी हिस्सा लिया। मान्यता है कि यहीं पास में भगवान श्रीराम का जटायु से संवाद हुआ था। आप जानते हैं कि अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व, मेरा 11 दिन का व्रत-अनुष्ठान चल रहा है। ऐसी पुण्य अवधि में यहां ईश्वर से साक्षात आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हो गया हूं। आजकल तो पूरा देश राममय है, राम जी की भक्ति में सराबोर है। लेकिन साथियों, प्रभु श्री राम का जीवन विस्तार, उनकी प्रेरणा, आस्था…भक्ति के दायरे से कहीं ज्यादा है। प्रभु राम, गवर्नेंस के, समाज जीवन में सुशासन के ऐसे प्रतीक हैं, जो आपके संस्थान के लिए भी बहुत बड़ी प्रेरणा बन सकते हैं।

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साथियों,

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महात्मा गांधी कहते थे कि रामराज्य का विचार ही, सच्चे लोकतंत्र का विचार है। गांधी जी के ऐसा कहने के पीछे बरसों का उनका अध्ययन था, उनका दर्शन था। रामराज्य, यानि एक ऐसा लोकतंत्र जहां हर नागरिक की आवाज सुनी जाती थी और उसे उचित सम्मान मिलता था। रामराज्य वासियों से कहा गया है, जो राम राज्य के निवासी थे, वहां के नागरिक थे, उनके लिए कहा गया है – रामराज्यवासी त्वम्, प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्। न्यायार्थं यूध्य्स्व, सर्वेषु समं चर। परिपालय दुर्बलं, विद्धि धर्मं वरम्। प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, रामराज्यवासी त्वम्। अर्थात, रामराज्य वासियों, अपना मस्तक उँचा रखो, न्याय के लिए लडो, सबको समान मानो, कमजोर की रक्षा करो, धर्म को सबसे उँचा जानो, अपना मस्तक उँचा रखो, तुम रामराज्य के वासी हो। रामराज्य, सुशासन के इन्हीं 4 स्तंभों पर खड़ा था। जहां सम्मान से, बिना भय के हर कोई सिर ऊंचा करके चल सके। जहां हर नागरिक के साथ समान व्यवहार हो। जहां कमज़ोर की सुरक्षा हो और जहां धर्म यानि कर्तव्य सर्वोपरि हो। आज 21वीं सदी के आपके आधुनिक संस्थान के चार सबसे बड़े ध्येय यही तो हैं। एक एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में, rules और regulations को लागू करने वाली ईकाई के रूप में आपको इस बात को हमेशा याद रखना है।

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साथियों,

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‘नैसिन’ का रोल देश को एक आधुनिक इकोसिस्टम देने का है। एक ऐसा इकोसिस्टम, जो देश में व्यापार-कारोबार को आसान बना सके। जो भारत को ग्लोबल ट्रेड का अहम पार्टनर बनाने के लिए और friendly माहौल बना सके। जो, टैक्स, कस्टम्स, नारकोटिक्स, जैसे विषयों के माध्यम से देश में ease of doing business को प्रमोट करे, और जो गलत practices से सख्ती के साथ निपटे। थोड़ी देर पहले मैं कुछ युवा नौजवान, युवा ट्रेनी अफसरों से भी मिला हूं। ये अमृतकाल को नेतृत्व देने वाली, कर्मयोगियों की अमृत पीढ़ी है। आप सभी को सरकार ने अनेक शक्तियां भी दी हैं। इस शक्ति का उपयोग आपके विवेक पर निर्भर करता है। और इसमें भी आपको प्रेरणा प्रभु श्रीराम के जीवन से मिलेगी। एक प्रसंग में भगवान राम लक्ष्मण से कहते हैं- नेयं मम मही सौम्य दुर्लभा सागराम्बरा । न हीच्छेयम धर्मेण शक्रत्वमपि लक्ष्मण ॥ यानि, मैं चाहूं तो सागर से घिरी ये धरती भी मेरे लिए दुर्लभ नहीं है। लेकिन अधर्म के रास्ते पर चलते हुए अगर मुझे इंद्रपद भी मिले, तो मैं स्वीकार नहीं करुंगा। हम तो अक्सर देखते हैं कि छोटे-छोटे लालच में ही कई बार लोग अपने कर्तव्य, अपनी शपथ को भूल जाते हैं। इसलिए आप भी  अपने कार्यकाल में प्रभु राम की कही ये बात अवश्य याद रखिए।

साथियों,

आपका सीधा सरोकार टैक्स व्यवस्था से है। रामराज्य में टैक्स कैसे लिया जाता था, इस पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने जो कहा है, वो बहुत प्रासंगिक है। गोस्वामी जी तुलसीदास जी कह रहे हैं-  बरसत हरषत लोग सब, करषत लखै न कोइ, तुलसी प्रजा सुभाग ते, भूप भानु सो होइ। अर्थात, सूर्य पृथ्वी से जल खींचता है और फिर वही जल बादल बनकर, वर्षा के रूप में वापस धरती पर आता है, समृद्धि बढ़ाता है। हमारी टैक्स व्यवस्था भी वैसी ही होनी चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जनता से लिए टैक्स की पाई-पाई, जन कल्याण में लगे और वो समृद्धि को प्रोत्साहित करे। आप अध्ययन करेंगे तो इसी प्रेरणा से हमने बीते 10 वर्षों में टैक्स सिस्टम में बहुत बड़े रिफॉर्म किए। पहले देश में भांति-भांति की टैक्स व्यवस्थाएं थीं, जो सामान्य नागरिक को जल्दी समझ में नहीं आती थीं। पारदर्शिता के अभाव में ईमानदार टैक्सपेयर को, बिजनेस से जुड़े लोगों को परेशान किया जाता था। हमने GST के रूप में देश को एक आधुनिक व्यवस्था दी। सरकार ने इनकम टैक्स सिस्टम को भी आसान बनाया। हमने देश में फेसलेस टैक्स असेसमेंट सिस्टम शुरू किया। इन सारे Reforms के कारण आज देश में रिकॉर्ड टैक्स कलेक्शन हो रहा है। और जब सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ा है, तो सरकार, जनता का पैसा विभिन्न योजनाओं के जरिए जनता को लौटा भी रहा है। 2014 में सिर्फ 2 लाख रुपए तक ही, 2 लाख तक की इनकम पर ही टैक्स छूट थी, हमने 2 लाख से बढ़कर के सीमा 7 लाख रुपये तक पहुंचा दी। 2014 के बाद से हमारी सरकार ने टैक्स में जो छूट दी है, जो reform किए हैं, उससे देशवासियों को करीब-करीब ढाई लाख करोड़ रुपए टैक्स की बचत हुई है। सरकार ने नागरिक कल्याण की बड़ी योजनाएं बनाईं हैं, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिकॉर्ड निवेश कर रही है। और आप देखिए, आज जब देश का टैक्सपेयर ये देख रहा है कि उसके पैसे का सही इस्तेमाल हो रहा है, वो भी आगे बढ़कर टैक्स देने को तैयार हुआ है। इसलिए, बीते वर्षों में टैक्स देने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यानि हमने जो कुछ जनता से लिया वो जनता के चरणों में ही समर्पित कर दिया। यही तो सुशासन है, यही तो रामराज्य का संदेश है।

साथियों,

रामराज्य में इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया जाता था कि संसाधनों का optimum utilisation कैसे हो। अतीत में हमारे यहां प्रोजेक्ट्स को अटकाने, लटकाने और भटकाने की एक प्रवृत्ति रही है। इसके कारण देश का बहुत बड़ा नुकसान होता है। ऐसी प्रवृत्ति के प्रति सावधान करते हुए, भगवान राम भरत से कहते हैं और वो बड़ा इंटरेस्टिंग बातचीत है भरत और राम के बीच की। राम भरत से कहते हैं – कच्चिदर्थं विनिश्चित्य लघुमूलं महोदयम्। क्षिप्रमारभसे कर्तुं न दीर्घयसि राघव।। अर्थात, मुझे विश्वास है कि तुम ऐसे कामों को बिना समय गंवाए पूरा करते हो, जिनमें लागत कम और उसके लाभ अधिक है। बीते 10 वर्षों में हमारी सरकार ने भी लागत का ध्यान रखा है और योजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोर दिया है।

साथियों,

गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं-‘माली भानु किसानु सम नीति निपुन नरपाल । प्रजा भाग बस होहिंगे कबहुँ कबहुँ कलिकाल। यानि सरकार में माली, सूर्य और किसान जैसे गुण होने चाहिए। माली कमज़ोर पौधों को सहारा देता है, उसका पोषण करता है, उसके हक के पोषण को लूटने वाले को हटाता है। वैसे ही सरकार को, सिस्टम को गरीब से गरीब का संबल बनना चाहिए, उन्हें सशक्त करना चाहिए। सूर्य भी अंधेरे का नाश करता है, वातावरण की शुद्धि करता है और बारिश में मदद करता है। बीते 10 वर्षों में गरीब, किसान, महिला और युवा, इन सबको हमने ज्यादा से ज्यादा सशक्त किया है। हमारी योजनाओं के केंद्र में वही लोग सर्वोपरि रहे हैं, जो वंचित थे, शोषित थे, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े थे। बीते 10 वर्षों में लगभग 10 करोड़ फर्ज़ी नामों को हमने कागजों से बाहर किया है। आज दिल्ली से निकला एक-एक पैसा, उस लाभार्थी के बैंक अकाउंट में पहुंचता है, जो इसका हकदार है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई, भ्रष्टाचारियों पर एक्शन सरकार की प्राथमिकता रही है। आप सभी को इन्हीं प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर अपना कार्य करना ही चाहिए।

साथियों,

राष्ट्र के विकास के लिए राज्य का विकास, इस भावना के साथ जो काम हुआ है, इसके सुखद परिणाम आज हमें मिल रहे हैं। आपको कल रिलीज हुई नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट की जानकारी अवश्य हुई होगी। जब कोई सरकार गरीबों के प्रति संवेदनशील होती है, जब कोई सरकार साफ नीयत से गरीबों की परेशानी दूर करने के लिए काम करती है, तो उसके परिणाम भी निकलते हैं। नीति आयोग ने कहा है कि हमारी सरकार के 9 साल में देश में करीब-करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। जिस देश में दशकों तक गरीबी हटाओ के नारे दिए जाते रहे, उस देश में सिर्फ 9 साल में करीब 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है। 2014 में सरकार में आने के बाद से हमारी सरकार ने जिस तरह गरीब कल्याण को प्राथमिकता दी, ये उसका नतीजा है। मेरा हमेशा से ये मानना है कि इस देश के गरीब में वो सामर्थ्य है कि अगर उसे साधन दिए जाएं, संसाधन दिए जाएं तो वो गरीबी को खुद परास्त कर देगा। आज हम यही होता हुआ देख रहे हैं। हमारी सरकार ने गरीबों की सेहत पर खर्च किया, शिक्षा पर खर्च किया, रोजगार-स्वरोजगार पर खर्च किया, उनकी सुविधाएं बढ़ाईं। और जब गरीब का सामर्थ्य बढ़ा, उसे सुविधा मिली, तो वो गरीबी को परास्त करके सीना तानकर गरीबी से बाहर भी निकलने लगा। 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा से पहले ये एक और शुभ समाचार देश को मिला है। भारत में गरीबी कम हो सकती है, ये बात हर किसी को एक नए विश्वास से भरने वाली है, देश का आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है। भारत में कम होती ये गरीबी, देश में नियो मिडिल क्लास का, मिडिल क्लास का दायरा भी लगातार बढ़ा रही है। आप इकॉनॉमी की दुनिया के लोग जानते हैं कि नियो मिडिल क्लास का बढ़ता हुआ ये दायरा, इकॉनॉमिक एक्टिविटीज को कितना ज्यादा बढ़ाने जा रहा है। निश्चित तौर पर ऐसे में आपको, ‘नैसिन’ को और ज्यादा गंभीरता के साथ अपना दायित्व निभाना है।

साथियों,

आपको याद होगा, लाल किले से मैंने सबका प्रयास की बात कही थी। सबका प्रयास का महत्व क्या होता है, इसका उत्तर भी हमें प्रभु श्रीराम के जीवन से ही मिलता है। श्रीराम के सामने विद्वान, बलशाली और संपन्न लंकाधिपति रावण की विराट चुनौती थी। इसके लिए उन्होंने छोटे-छोटे संसाधनों, हर प्रकार के जीवों को इकट्ठा किया, उनके साझे प्रयासों को एक विराट शक्ति में बदला, और अंत में सफलता रामजी को ही मिली। ऐसे ही विकसित भारत के निर्माण में भी हर अधिकारी, हर कर्मचारी, हर नागरिक की अहम भूमिका है। देश में आय के साधन बढ़ें, देश में निवेश बढ़े, देश में व्यापार-कारोबार करना आसान हो, इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना है। सबका प्रयास इस मंत्र को लेकर के चलना है। ‘नैसिन’ का ये नया कैंपस, अमृत काल में सुशासन की प्रेरणा स्थली बने, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से बहुत-बहुत बधाई। धन्यवाद!

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