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दिल्लीभारत

बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण पर पांचवीं क्षेत्रीय संगोष्ठी आज गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित की गई।

इस कार्यक्रम में 7 राज्यों के 1200 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

 

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)

यह कार्यक्रम किशोर न्याय कानून, नियमों और गोद लेने के नियमों में संशोधन पर केंद्रित था!

कार्यक्रम बाल संरक्षण, सुरक्षा और कल्याण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से क्षेत्रीय संगोष्ठियों की एक राष्ट्रव्यापी श्रृंखला का एक पहलू है!

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) ने आज गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण पर पांचवी एक दिवसीय क्षेत्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमें भाग लेने वाले सात राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम थे। संगोष्ठी में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी), किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी), ग्राम बाल संरक्षण समिति (वीसीपीसी) के सदस्यों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लगभग 1200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह कार्यक्रम बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से क्षेत्रीय संगोष्ठियों की एक राष्ट्रव्यापी श्रृंखला का एक पहलू है।

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संगोष्ठी में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. मुंजापारा महेंद्रभाई, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, श्री संजीव कुमार चड्ढा और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो उपस्थित थे।

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यह कार्यक्रम किशोर न्याय कानून, नियमों और गोद लेने के नियमों में संशोधन पर केंद्रित था गोद लेने की प्रक्रियाओं पर इसके प्रभाव को भावी दत्तक माता-पिता द्वारा साझा किए गए अनुभव में उजागर किया गया था, जिन्हें सितंबर 2022 में संशोधन के बाद त्वरित समाधान प्राप्त हुआ था।

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सरकार ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल संशोधन नियम, 2022 और दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 के अंतर्गत गोद लेने से संबंधित अपनी नीति को सरल बना दिया है, जिससे बड़े बच्चों, जिनका कोई दावेदार नहीं है और जो पालक माता-पिता के साथ रह रहे हैं, को अब उनकी पालन-पोषण देखभाल को गोद लेने में बदलने की सुविधा मिल गई है। इस संबंध में, बच्चों की देखभाल और संरक्षण ने बाल दत्तक ग्रहण संसाधन सूचना एवं मार्गदर्शन प्रणाली के माध्यम से ऐसे माता-पिता और बच्चों को पालन ​​पोषण संबंधी देखभाल के लिए गोद लेने के उद्देश्य से संबंधित जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण करने की सुविधा प्रदान की है।

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कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत सीसीआई में प्रत्येक बच्चे को प्रति माह 3000/- रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। सीडब्ल्यूसी द्वारा अनुशंसित और प्रायोजन और पालन-पोषण देखभाल अनुमोदन समिति (एसएफसीएसी) द्वारा अनुमोदित प्रायोजन, पालन-पोषण देखभाल और उसके बाद की देखभाल के लिए प्रति माह प्रति बच्चा 4000/- रुपये प्रदान किए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप विकास और बाल संरक्षण प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए पूर्ववर्ती बाल संरक्षण सेवा (सीपीएस) योजना को सम्मिलित करके ‘मिशन वात्सल्य’ योजना शुरू की गई है। यह ‘ कोई बच्चा पीछे न छूटे ‘ के आदर्श वाक्य के साथ किशोर न्याय देखभाल और सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के साथ-साथ बाल अधिकारों, हिमायत और जागरूकता पर बल देता है।

इसके अलावा, उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे मंत्रालय ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं; इसके नियम और दत्तक ग्रहण विनियम हमें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों और संघर्ष का सामना कर रहे बच्चों को बेहतर गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करने में सहायता करेंगे।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) में अतिरिक्त सचिव, श्री संजीव कुमार चड्ढा ने दिया। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी के पीछे का विचार उन सभी पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों का उत्सव मनाना और उनकी सराहना करना है जो जिलों और यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी काम कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में, देश में बाल संरक्षण ईको-सिस्टम में पिछले कुछ वर्षों में किशोर न्याय अधिनियम और बनाए गए नियमों, मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में किए गए संशोधनों से एक आदर्श बदलाव आया है, जो भारत सरकार की ओर से जारी किया गया है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष, श्री प्रियांक कानूनगो ने कहा कि तस्करी के पीड़ित बच्चों को समर्पित ऑनलाइन अदालतों में, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बयान प्रदान करने के प्रावधान बनाए गए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2022 किशोर न्याय नियमों में उल्लिखित दिशानिर्देशों के अंतर्गत, बच्चों के अंतर-जिला और अंतर-राज्य स्थानांतरण के लिए एक प्रोटोकॉल स्थापित किया गया था। इस पहल में राष्ट्रीय बाल आयोग और राज्य बाल आयोग का सहयोग शामिल था। यह प्रोटोकॉल दिसंबर में तैयार किया गया था, इसे कार्यान्वित किया गया और “घर” नामक एक समर्पित निगरानी पोर्टल का शुभारंभ किया गया। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, बच्चों ने अपने संबंधित जिलों में वापसी की अपनी यात्रा शुरू कर दी है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है।

संगोष्ठी के दौरान मिजोरम सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग (डीओडब्ल्यूसीडी) में निदेशक सुश्री ज़ोरमथांगी छंगटे ने चाइल्डलाइन 1098 के एकीकरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) – 112 के साथ इसके स्वचालन के बाद चाइल्ड हेल्पलाइन के कार्यान्वयन के अनुभव को साझा किया।

*इस कार्यक्रम ने सफल मिशन वात्सल्य पहलों को साझा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।*

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