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बड़ी संख्या में गंगा और दूसरी नदियों में शवों के मिलने से नदी के प्रदूषि‍त होने का मंडरा रहा खतरा

उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में गंगा और दूसरी नदियों में शवों के मिलने से नदी के प्रदूषि‍त होने का खतरा मंडरा रहा है. नदी के किनारे भी बड़ी संख्या में शव दफनाए जाने से बारिश के मौसम में खतरा बढ़ने का अंदेशा. कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार की पर्याप्त व्यवस्था न होने से बिगड़े हालात. 

रिपोर्ट शिवा वर्मा सम्पादक

कोराना संक्रमण के बढ़ते ही उत्तर प्रदेश से बिहार तक गंगा में लाशों के मिलने का सिलसिला जारी है. उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमा पर मौजूद गाजीपुर और बलिया जिले के बाद 13 मई को वाराणसी के रामनगर साइड सुजाबाद घाट के पास आठ अधजले शव उतराए दिखे. एक साथ गंगा में आठ शव देख ग्रामीणों में दहशत फैल गई. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों के माध्यम से सभी शवों को बाहर निकलवाया. डीसीपी काशी जोन, तहसीलदार, कानूनगो की मौजूदगी में सभी शव को अवधूत भगवान राम समाधि स्थल के पीछे गंगा के किनारे जेसीबी से गहरा गड्ढा खोदकर दफनाया गया. माना जा रहा है कि यह सभी कोरोना संक्रमितों के शव हैं,जिन्हें आधा जलाने के बाद गंगा में प्रवाहित कर दिया गया था. ग्रामीणों के अनुसार पिछले दो दिनों से गंगा में शव देखें जा रहे हैं. डीसीपी काशी जोन अमित कुमार ने बताया कि यह सभी शव कहां से बहकर आए हैं, इसके बारे में जानकारी नहीं है. इन शवों को वाराणसी में अवधूत भगवान राम समाधि स्थल के पीछे गंगा किनारे जेसीबी से गहरा गढ्ढा खोदकर दफनाया जा रहा है.

 

उन्नाव के शुक्लागंज में ग्राम रौतापुर स्थित गंगातट पर रोक के बावजूद एक माह के अंदर करीब चार सौ शवों को गड्ढा खोद कर दफना दिया गया है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन की रोक के बावजूद लोगों ने गुपचुप तरीके से कोरोना संक्रमित शवों को गंगा के किनारे गड्ढों में दफना दिया है. इससे गंगा का जलस्तर बढ़ने पर शव उतराएंगे साथ ही गंगाजल भी प्रदूषित होगा. उन्नाव के सिटी मजिस्ट्रेट चंदन पटेल ने बताया कि रौतापुर गंगा तट किनारे शवों को दफनाए जाने की सूचना नहीं है. सिटी मजिस्ट्रेट ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच कराकर इस पर रोक लगाने के साथ ही कार्रवाई की जाएगी.

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उन्नाव के बक्सर घाट की तरह ही कानपुर का शिवराजपुर का खेरेश्वर घाट भी सैकड़ों लाशों से अटा पड़ा है. गुरुवार 13 मई को यहां पर गंगा के किनारे पर कई शव दफनाए गए. दोपहर में हुई बारिश के बाद जब शवों के ऊपर से बालू हटी तो हर तरफ दुर्गंध फैल गई. कानपुर के खेरेश्वर घाट में लंबे समय से दाह संस्कार होता आया है. यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि पहली बार नदी की धारा के बीचो-बीच सूखी पड़ी गंगा में शवों को दफनाने का मामला सामने आया है…शि‍वराजपुर में अंतिम संस्कार कराने वाले रमेश बताते हैं, “कोरोना काल में इतनी मौतें हुईं कि घाटों पर जगह कम पड़ गई है. लंबे इंतजार और अनापशनाप खर्चे से बचने के लिए मजबूर व आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण चोरी छिपे यहीं पर अपनों के शव दफनाते रहे हैं. कोरोना संक्रमण से मौतों की संख्या बढ़ी तो शव भी बड़ी संख्या में नदी के किनारे दफनाए जाने लगे हैं.” बारिश के बाद जब बालू बह गई तो ये शव नजर आने लगे. ग्रामीणों ने बताया कि घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी आदि की व्यवस्था नहीं है. कुछ दूर पर लकड़ी मिलती है लेकिन लाकडाउन और मांग बढ़ने की वजही से दाम में दो से तीन गुने का इजाफा हो गया है. ऐसे में एक शव के अंतिम संस्कार में पांच से सात हजार रुपये खर्च हो जाते हैं. मजबूर और गरीबों के लिए ये रकम बड़ी है. इसलिए लोगों ने शव दफनाने शुरू कर दिए.

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कानपुर के विठूर में गंगा सफाई का अभि‍यान चला रहे राजेंद्र त्रिपाठी बताते हैं, “गंगा में बड़ी संख्या में अधजले शव प्रवाहित हो रहे हैं तो कुछ शवो को कपड़ों और लकडि़यों में बांध कर भी प्रवाहित किया जा रहा है. ऐसे में गंगा का पानी में प्रदूषण बढ़ रहा है. गंगा के किनारे बसे गावों में नदी का पानी किसी भी रूप में उपयोग में लाने पर बीमारी का खतरा बढ़ गया है.” गंगा नदी में उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर और बिहार के बक्सर में शवों के मिलने के बाद एक तरफ जहां प्रशासनिक अमला हरकत में आया तो वहीं नमामि गंगे (एनएमसीजी) ने सख्त रवैया अख्तियार किया है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के डायरेक्टर जनरल राजीव रंजन मिश्र ने जिला गंगा रक्षा समितियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही 14 दिनों में पूरी रिपोर्ट भी तलब की है. डायरेक्टर जनरल ने गंगा बेसिन की सभी जिला गंगा समितियों को तत्काल प्रभाव से गंगा में शव फेंकने पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. साथ ही शवों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराया जाए. इसमें अगर किसी भी तरह के फंड की जरूरत है तो राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन इसकी जिम्मेदारी उठाएगा. साथ ही सभी समितियों को गंगा बेसिन के तटवर्ती इलाकों में निगरानी व सख्ती बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, साथ ही शव बहाने पर रोक लगाने के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए जाएं और कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट 14 दिनों में एनएमसीजी को भी भेजी जाए. उन्होंने बताया कि गंगा में शवों को बहाने से न केवल प्रदूषण फैलेगा, बल्कि कम्युनिटी संक्रमण के फैलने का भी खतरा बना रहेगा.

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उत्तर प्रदेश में नदियों में बहाए जा रहे शवों के मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेने के साथ अधि‍कारियों को निेर्देश दिए हैं. उन्होंने कोरोना काल में नदियों से मिल रहे शवों के मामले में अंत्येष्टि की क्रिया मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप सम्मान के साथ करने के आदेश दिए है…मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी मृतक की अंत्येष्टि के लिए जल प्रवाह की प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल नहीं है. प्रदेश सरकार ने ग्रामीण इलाके में कोरोना संक्रमित का अंतिम संस्कार कराने के लिए परिवार को पांच हजार रुपए की आर्थि‍क मदद देने का निर्णय लिया है. पंचायतों को यह राशि‍ 15वें वित्त आयोग के बजट से दी जाएगी. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि गंगा नदी में मिले शवों के बारे में संबंधित जिलों के डीएम को पता लगाने को कहा गया है. सरकार ने जिला कलेक्टरों को मामले की जांच करने और यह पता लगाने का आदेश दिया है कि वे कहां से आए थे? क्या यह शव कोरोना वायरस के संक्रमण से मृत लोगों के थे?

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