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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालयभारत

केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा की अध्यक्षता में हुई आईसीएआर सोसायटी की 95वीं वार्षिक आम बैठक

छोटे किसानों की प्रगति व कृषि में आत्मनिर्भरता हमारा लक्ष्य- कृषि मंत्री श्री मुंडा

कृषि क्षेत्र की चुनौतियां कम करते हुए अवसरों का अधिकाधिक लाभ उठाएं-श्री मुंडा

रिपोर्ट:-शमीम 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सोसायटी की 95वीं वार्षिक आम बैठक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह व श्री कैलाश चौधरी, उ.प्र. के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री धर्मपाल सिंह, नागालैंड के कृषि मंत्री श्री माथुंग यंथन एवं आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक भी मौजूद थे।

केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि आईसीएआर ने देश को भूख व कुपोषण से निकालकर स्वस्थ कृषि उत्पादन की ओर ले जाने की दिशा में कृषि क्षेत्र में नवाचार का नेतृत्व किया है। पिछली बैठक में 46 से अधिक सुझाव आए थे, जिन सभी पर आईसीएआर ने कार्य पूर्ण किया है। श्री मुंडा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्र सरकार की उपलब्धि का ही नतीजा है कि विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या होने के बावजूद भारत में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को केंद्र द्वारा मुफ्त अनाज दिया जा रहा है।

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श्री मुंडा ने कहा कि कई उपलब्धियों के बावजूद कुछ चुनौतियां हैं, जिनका समाधान तलाशते हुए हमें अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढऩा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में कृषि-किसान को समृद्ध बनाते हुए देश को आगे बढ़ाने का कार्य सुनिश्चित किया जा रहा है। साथ ही कृषि सम्बद्ध क्षेत्रों- पशुपालन, मत्स्य पालन, मुधमक्खी पालन आदि को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। हमें जलवायु परिवर्तन, मृदा क्षरण जैसी चुनौतियों के समाधान की दिशा में तेजी से काम करते हुए किसानों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना है। खुशी की बात है कि इसमें आईसीएआर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आईसीएआर ने 2005 से 2014 के दौरान जहां अधिक पैदावार देने वाली 1,225 फसल किस्में जारी की, वहीं 2014 से 2023 के दौरान 2,279 ऐसी किस्में जारी की गई, जो लगभग दोगुना है। अब ध्यान पौषणिक सुरक्षा पर है, इसके लिए जैव प्रबलित किस्मों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस दिशा में प्रभावी ढंग से आगे बढऩे के लिए बैठक में आने वाले सुझाव काफी मददगार होंगे।

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श्री मुंडा ने कहा कि मानव समाज के लिए, कृषि क्षेत्र की प्रगति के बिना किसी और क्षेत्र की प्रगति नहीं हो सकती है। इसका संतुलन बनाकर व तमाम चुनौतियों का सही आंकलन कर उसका निराकरण करते हुए बेहतर परिणाम देने का प्रयास होना चाहिए। सुदूर क्षेत्र में रहने वाले छोटे से छोटे किसान में आत्म स्वाबलंबन हो, उनकी प्रगति हो, कृषि उत्पादन बढ़े और हर दृष्टि से आत्मनिर्भरता हो, इसकी कोशिश होना चाहिए। इस दिशा में हम सबको मिलकर विचार करते हुए काम करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाले दिनों में लक्ष्य हासिल करें और जो संकल्प लिया है, उसे पूरा कर सकें।

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श्री मुंडा ने आईसीएआर के प्रकाशन व 22 फसलों की 24 किस्में जारी की, जिनमें धान, गेहूं, मक्का, सावां, रागी, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, चना, अरहर, मसूर, मोठ, जूट, टमाटर, भिंडी, चौलाई, सेम, खीरा, मटर, आलू, मशरूम, अमरूद शामिल हैं। डीजी डॉ. पाठक ने आईसीएआर उपलब्धियों पर रिपोर्ट पेश की।

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