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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयभारत

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 62 स्वच्छता अभियानों और सभी जन शिकायत मामलों तथा सांसदों के संदर्भ के निवारण के साथ विशेष अभियान 3.0 का सफलतापूर्वक समापन किया

रिपोर्ट:-शमीम 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने नई दिल्ली के पृथ्वी भवन स्थित अपने मुख्यालय और देश के विभिन्न स्थानों पर दस संस्थानों में आयोजित कार्यकलापों के माध्यम से विशेष अभियान 3.0 का सफलतापूर्वक समापन किया।

भारत सरकार का विशेष अभियान 3.0 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर, 2023 को आरंभ किया गया था। यह 31 अक्टूबर, 2023 तक जारी रहा और सुशासन जैसे कि सार्वजनिक शिकायतों के मामलों का निपटान, स्क्रैप और अप्रयुक्त/ बंद फाइलें तथा स्वच्छता अभियान, जिसमें कार्यालय स्थानों को नया रूप देना शामिल है, की दिशा में स्वच्छता को संस्थागत बनाने पर केंद्रित था। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के स्वच्छ भारत दृष्टिकोण के साथ जुड़ा हुआ है।

विशेष अभियान 3.0 की तैयारी के रूप में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम रविचंद्रन ने सितंबर 2023 में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एमओईएस मुख्यालय परिसर की स्थिति की समीक्षा की। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और उसके संस्थानों ने अक्टूबर 2023 में विशेष अभियान 3.0 के हिस्से के रूप में 62 स्वच्छता अभियान का संचालन किया। इनसे 7,375 वर्ग फुट स्‍थान मुक्‍त कराने में मदद मिली। सार्वजनिक सेवा की भावना में और जन भागीदारी (सार्वजनिक भागीदारी) के विचार को आगे बढ़ाते हुए, मंत्रालय ने स्कूलों, समुद्र तटों, बस स्टॉप, अस्पताल परिसरों, तालाबों, पार्कों आदि में स्वच्छता अभियान के संचालन में मदद की। स्‍क्रैप के निपटान से मंत्रालय को 5,04,333 रूपये का लाभ हुआ।

स्वच्छता अभियान के हिस्से के रूप में, मंत्रालय ने फिट इंडिया मूवमेंट के साथ संयोजित टेबल टेनिस, कैरम, शतरंज और योग जैसी इनडोर गतिविधियों के साथ एक पुराने स्टोर रूम को एक जीवंत कर्मचारी मनोरंजन कक्ष में बदल दिया। मनोरंजन कक्ष का उद्देश्य मंत्रालय के कर्मचारियों और पदाधिकारियों के बीच सजगता, दक्षता और सौहार्द को बढ़ाना है। यह दोपहर के भोजन के समय और शाम में कार्यालय समय के बाद दो घंटे तक कार्यरत रहता है। इसका उद्घाटन 30 अक्टूबर, 2023 को एमओईएस के सचिव डॉ एम रविचंद्रन द्वारा किया गया

कार्यालय अपशिष्ट संग्रह और पृथक्करण पर बल देने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुख्यालय में एक 3आर ( रि‍ड्यूस, रियूज और रिसायकल) कियोस्क स्थापित किया गया था। शहरी स्थानीय निकायों ने प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की और चयनित स्वयं सहायता समूहों ने कचरे से बने उत्पादों का प्रदर्शन किया, जागरूकता बढ़ाई और महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा दिया। चित्र: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मुख्यालय में अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए 3आर ( रि‍ड्यूस, रियूज और रिसायकल) पर प्रशिक्षण (बाएं) और स्वयं सहायता समूहों (दाएं) द्वारा कियोस्क की स्थापना पर जोर दिया गया।

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महीने भर चले अभियान के दौरान, मंत्रालय ने 9,577 वास्‍तविक और 524 इलेक्ट्रॉनिक फाइलों की समीक्षा की, जिनमें से क्रमशः 2,662 और 20 को छंटनी और बंद करने के लिए चिह्नित किया गया था। सार्वजनिक शिकायतों के सभी लंबित मामले (38 आवेदन और 17 अपील) और सांसदों के सभी संदर्भ (6) का समाधान किया गया।

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विशेष अभियान 3.0 के अपडेट और घटनाक्रमों का एससीडीपीएम पोर्टल (https://scdpm.nic.in/) पर अद्यतन किया गया और उन्‍हें एमओईएस हैंडल @moesgoi पर 121 सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जनता के लिए प्रसारित किया गया। इनमें ट्विटर और फेसबुक पर 33-33 पोस्ट, इंस्टाग्राम पर 30 और कू पर 25 पोस्ट शामिल हैं। @moesgoi के लिए सोशल मीडिया (01 नवंबर, 2023 तक) के माध्यम से विशेष अभियान 3.0 की संयुक्त पहुंच 45,000 से अधिक थी, जो सफल प्रसार और जागरूकता को प्रदर्शित करता है।

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चित्र: एमओईएस सोशल मीडिया @moesgoi पर विशेष अभियान 3.0 के पोस्ट (बाएं) और पहुंच (दाएं) के आंकड़े।

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एमओईएस का मुख्यालय नई दिल्ली के लोधी रोड में स्थित पृथ्वी भवन में पांच स्वायत्त संस्थानों; पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, गोवा में राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र, चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान और केरल में राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र; दो अधीनस्थ कार्यालयों: नई दिल्ली में भारत मौसम विज्ञान विभाग और नोएडा में मध्यम दूरी के मौसम पूर्वानुमान के लिए राष्ट्रीय केंद्र; तीन संलग्न कार्यालयों: नई दिल्ली में राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र, कोच्चि में समुद्री जीवन संसाधन और पारिस्थितिकी केंद्र सीएमएलआरई और चेन्नई में राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र; और महाराष्ट्र के कराड में बोरहोल भूभौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला (बीजीआरएल) से निमित है।

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