पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ वासुदेव सदन, लखपेड़ाबाग में किया गया।

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ के सहयोग से आँखें फाउन्डेशन द्वारा अवधी संस्कृति के पारंपरिक गीतों की पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ वासुदेव सदन, लखपेड़ाबाग में किया गया।
कार्यशाला के संरक्षक प्रदीप सारंग अध्यक्ष अवधी अध्ययन केंद्र उत्तर प्रदेश ने दीप जलाकर शुभारम्भ करते हुए कहा कि लोक संस्कृति का संरक्षण सभी का दायित्व है। अंधाधुंध आर्थिक उन्नति विकास के दौर में अपनी बोली भाषा संस्कृति को न छोड़ने वाले लोग ही संतुष्टि पूर्ण जीवनयापन कर पाते हैं।
मुख्य प्रशिक्षिका लोक गायिका सरोज श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना के साथ प्रशिक्षण में अनेक पारम्परिक गीतों का परिचय कराते हुए प्रतिभागियों को उत्साहित किया।
शुभारम्भ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राकेश श्रीवास्तव सेवा निवृत समीक्षा अधिकारी विधान सभा उत्तर प्रदेश ने कहा कि जिस तरह शरीर को सुचारू रूप से क्रियाशील बनाये रखने के लिए पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है वैसे ही मनुष्य मन को स्वस्थ संगीत की जरूरत होती है।
इस अवसर पर आँखें फाउन्डेशन के अध्यक्ष सदानन्द वर्मा, अभिनेता शरद श्रीवास्तव, गायिका रेखा श्रीवास्तव, गुलज़ार बानो,शरद राज सिंह, सुमन श्रीवास्तव, रचना श्रीवास्तव पूजा पाण्डेय,नीलम वर्मा, रविन्द्र यादव अभय राज उपस्थित रहे।