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बाराबंकी

गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने जनपद में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था एवं चिकित्सकों की संवेदनहीनता पर नाराजगी जाहिर की है

स्टेट हेड शमीम की रिपोर्ट

बाराबंकी। गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने जनपद में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था एवं चिकित्सकों की संवेदनहीनता पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सिरौलीगौसपुर में संचालित संयुक्त चिकित्सालय में इलाज के अभाव में बच्ची की मौत ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। जनपद के स्वास्थ्य अधिकारी, कर्मचारी व चिकित्सक सरकार की योजनाओं को लगातार प्रभावित करने का काम कर रहे है।
श्री शर्मा ने कहा कि सिरौलीगौसपुर के ग्राम तासीपुर निवासी संदीप शुक्ला की मासूम बच्ची की मौत के जिम्मेदार लोगों पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। डाॅक्टरों व स्वास्थ्य सेवा में लगे स्वास्थ्य कर्मियों की अमानवीयता और सेवाहीनता के कारण यदि किसी भी स्थिति में किसी मरीज को जीवन संबंधी या अन्य कोई कठिनाई होती है तो उसकी जांच होनी चाहिए और दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।
श्री शर्मा ने कहा कि बाराबंकी के मुख्य चिकित्या अधिकारी के पास एक विशाल बंगला होने के बावजूद भी वह रात्रि निवास नहीं करते। यही स्थिति सदर अस्पलात के महिला व पुरूष सी.एम.एस व अन्य चिकित्सक रात्रि में अस्पताल परिसर में उपलब्ध नहीं रहते है।
श्री शर्मा ने कहा कि जिला अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और कोरोना की दवाएं उपलब्ध होने के बावजूद भी मरीजों को उपचार के लिए राजधानी भेजा जाता है। यही नहीं कोरोना संकट के समय जनपद और उसके आस के निजी अस्पतालों में तीन लाख से बीस लाख रूपये तक लोगो से वसूली की गई। निजी अस्पतालों ने पैसा न मिलने पर शवों को रख लिया। ऐसी अमानवीयता समाज में आए दिन देखने को मिलती है। ऐसी स्थिति के लिए जिला प्रशासन एवं जिला स्वास्थ्य के समस्त अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से कैसे बच सकते है।
समाजसेवी विनय कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्विट करते हुए कहा कि योजनाएं तो अच्छी व उपयोगी होती हैं किन्तु उनके क्रिन्यान्वन व मूल्यांकन में भारी कमी का खामियाजा जनता को भुगतना पडता है। इलाज के अभाव में बच्ची की मौत ने विगत दस दिनों पूर्व खुले संयुक्त चिकित्सालय के उद्धघाटन का उद्देश्य विफल हो गया। जिसके जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि व मुख्य चिकित्साधिकारी और तैनात स्टाफ को दण्डित किया जाना चाहिए। ऐसा न करने से ‘सेवा ही संगठन’ की विचारधारा का दुष्प्रभाव संगठन पर पड़ता है।

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