धम्म विषयक सेमिनार तथा मिशन सचेतक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा/यूपी ब्रेकिंग न्यूज
बाराबंकी। बुद्ध पूर्णिमा एवं त्रिविध पावन पर्व के अवसर पर डा भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल सेवा समिति/पार्क-स्मारक अनुरक्षण समिति द्वारा लखपेड़ाबाग स्थित मैरिज लाॅन में बुद्ध एवं उनका धम्म विषयक सेमिनार तथा मिशन सचेतक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। बुद्ध के चित्र पर पुष्पांजलि, दीपांजलि एवं बुद्ध वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। मिशन सचेतक सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि सांसद उपेन्द्र सिंह रावत ने समिति के पदाधिकारियांे सहित अलग-अलग क्षेत्रों में समाज के लिए कार्य करने वाले समाज सचेतकों को पंचशील अंग वस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया और कहा कि गौतम बुद्ध अत्यधिक तप में लीन हुए और शरीर जीर्ण-शीर्ण हो गया तब तक उन्हें ज्ञान प्राप्त नही हुआ, जब वे खीर खाये तब जीर्ण-शीर्ण शरीर में चेतना आयी और दिमाग काम करने लगा जो कहा जाता है कि खीर खाने से ज्ञान प्राप्त हुआ और कहा कि वीणा के तार इतना ज्यादा न कसो कि वह टूट जाये, अर्थात मध्यम मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
बुद्ध एवं उनका धम्म विषयक सेमिनार में चार पैनल चर्चाएं हुई। बुद्ध धम्म में त्रिशरन, पंचशील विषय पर प्रथम पैनल चर्चा हुई जिसकी अध्यक्षता पूर्व आईपीएस अधिकारी अशोक वर्मा ने की और कहा कि बुद्ध ने अपने लिए या अपने धम्म के लिए किसी दिव्यता का दावा नहीं किया। इसकी खोज मनुष्य ने मनुष्य के लिए की थी। बुद्ध का धम्म कोई रहस्योद्घाटन नहीं था और न ही कोई चमत्कार, अवतार है। पैनल चर्चा में उप्र शासन के पूर्व उप सचिव विजय बहादुर वर्मा, भारतीय बौद्ध महासभा के जिलाध्यक्ष सुन्दरलाल भारती, अरविन्द मौर्य, अधिवक्ता इकबाल राही, सुरेन्द्र सिंह वर्मा ने हिस्सा लिया, इस चर्चा का संचालन प्रदीप सांरग ने किया। चिकित्सकों, शिक्षकों के साथ समाज के एकीकरण विषय पर दूसरी पैनल चर्चा हुई जिसकी अध्यक्षता पूर्व सांसद आनन्द प्रकाश गौतम एवं सह अध्यक्षता वीणा सुधाकर ओझा महाविद्यालय के प्राचार्य डा बलराम वर्मा ने की। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा आरएस स्वामी ने कहा कि बुद्ध के त्रिशरण में संघं शरणं ही समाज के एकीकरण का मार्ग है, एडवोकेट संतोष कुमारी ने कहा कि परिवार का एकीकरण करने से समाज का एकीकरण हो जायेगा। इस चर्चा में डा विनोद गौतम, डा एचपी वर्मा, डा हरीराम विमल, बौद्धाचार्य रणविजय सिंह, डा सुविद्या वत्स, डा गौरव सिंह ने समाज के एकीकरण पर अपने विचार व्यक्त किये, इस पैनल चर्चा का संचालन समिति के अध्यक्ष रत्नेश कुमार ने की। सेमिनार में बुद्ध साहित्य-सृजन एवं अध्ययन विषय पर तीसरी पैनल चर्चा अधिवक्ताओं, साहित्यकारों एवं समाज सेवियों के द्वारा की गई। चर्चा का संचालन साहित्यकार प्रदीप सारंग ने किया और कहा कि साहित्यिक दौड़ में दलित साहित्य या बुद्ध विलुप्त होता जा रहा है। नई पीढ़ी को साहित्य पढ़ना और गढ़ना पड़ेगा। इस चर्चा में अधिवक्ता राज कुमार वर्मा, आरपी गौतम, हरिप्रसाद हनक, कमलेश गौतम, आनन्द प्रकाश गौतम, मो सबाह आदि लोगों ने विचार व्यक्त किये। चैथे पैनल चर्चा में भावी कार्य-क्लापों पर चर्चा हुई इस चर्चा में अलग-अलग स्थानों पर महापुरूषों की जयन्तियों के आयोजकों व समिति के पदाधिकारियों ने भाग लिया। भारतीय बौद्ध महासभा, संत गाडगे सेवा समिति, डा0 अम्बेडकर सेवा समिति कुटिया, द बुद्धिस्ट सोसाइटी आफ इण्डिया, ग्रामीण लोक कला मंच, शहीद ऊधम सिंह क्लब, डा अम्बेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता मंच, समाज सेवा संस्थान के पदािधकारियों सहित कई डिग्री कालेज, इण्टर कालेज के प्राचार्य व प्रवक्ताओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समिति के पदाधिकारी-महासचिव राम औतार, उपाध्यक्ष अमरेश बहादुर, राजेन्द्र कनौजिया, देव कुमार गुप्ता, सचिव मंशाराम कनौजिया, जेएल भास्कर, राजकुमार वर्मा, कमलेश कुमार, राम दयाल, आनन्द चैधरी, रमेश चैधरी, गंगाराम, विनोद कुमार, राम प्रगट कनौजिया, सहदेव प्रसाद आदि लोगों का विशेष योगदान रहा।