समाजवादियों ने हिन्दी आंदोलन आम आदमी से जोड़ने का काम किया।
रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)
बाराबंकी। समाजवादियों ने हिन्दी आंदोलन आम आदमी से जोड़ने का काम किया। साठ के दशक में अंग्रेजी हटाओ का नारा देकर डा. लोहिया हिन्दी आंदोलन के सूत्रधार बने। आजादी के बाद लोकसभा में हिन्दी बोलने वाले डा. लोहिया ने नई संसदीय परम्परा में सृजन किया। जो आज तक कायम है।
यह बात गांधी भवन में गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के तत्वावधान में हिन्दी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कही। इस दौरान उन्होंने डॉ राममनोहर लोहिया के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके हिन्दी आन्दोलन को याद किया।
श्री शर्मा ने आगे कहा कि हिन्दी हमारी पहली भाषा होनी चाहिए। दूसरी भाषा के तौर पर क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देना चाहिए। अंग्रेजी भाषा का चलन समाप्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की भाषा उस मुल्क की पहचान होती है। आजादी के 75 वर्षों बाद भी हम अपनी पहचान की लड़ाई आज तक लड़ रहे है। महात्मा गांधी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही थी। उन्ही के प्रयास से दक्षिण भारत, उत्तर भारत, पूर्वाेत्तर भारत में हिन्दी प्रचारणी सभा, हिन्दी विकास सभा का गठन हुआ।
वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार राजा सिंह ने कहा कि मेरे पिता स्व. बेअन्त सिंह भी छात्र जीवन में हिन्दी आन्दोलन से जुड़ गए। उन्होंने देश के सर्वोच्च सदन राज्यसभा में हिन्दी भाषा के समर्थन में पर्चा फेंका और जेल गए।
समाजसेवी विनय कुमार सिंह ने कहा कि आजादी के बाद हिन्दी को राजभाषा का दर्ज दिया गया। लेकिन सात दशक बीत जाने के बाद भी हिन्दी को वह सम्मान नही मिल पाया जो मिलना चाहिए। यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। हमे बोलचाल और कामकाज में हिन्दी भाषा का प्रचलन शुरू करना चाहिए। तभी हिन्दी को उचित सम्मान मिल सकता है।
सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से साकेत मार्या, मृत्युंजय शर्मा, सत्यवान वर्मा, धनंजय शर्मा, तरुण मिश्रा, अजीज अहमद ‘अज्जू‘, मनीष सिंह, नीरज दुबे, आयुष यादव, विजय कुमार सिंह, जमाल नईम खान, नमन मौर्य, राजेश यादव सहित की लोग मौजूद रहे।