डॉ वेद प्रताप वैदिक के निधन पर शोक सभा।

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)
बाराबंकी। मशहूर पत्रकार, समाजवादी चिन्तक, अन्तराष्ट्रीय मामलों के गम्भीर अध्येता डॉ वेद प्रताप वैदिक के निधन पर गांधी भवन में शोक सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता कर रहे गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कहा कि डॉ वेद प्रताप वैदिक के निधन से हिन्दी आन्दोलन को क्षति पहुंची है। जिसकी पूर्ति असंभव है। मेरे लिए यह निजी हानि है। डॉ वैदिक हिन्दी के सशक्त पैरोकार थे। उनकी भाषा और अभिव्यक्ति की शैली अनूठी थी। कम शब्दों में प्रभावी तरीके से बात करने की उनकी कला थी। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश का महासंघ बनाने के प्रबल समर्थक थे। दिल्ली में हुए अंग्रेजी हटाओ-हिन्दी अपनाओ सम्मेलन में हिन्दी के प्रख्यात विद्वान गुणाकर मूले, आरिफ मोहम्मद खान, वेद प्रताप वैदिक, राम बहादुर राय, मस्तराम कपूर, एस.एस नेहरा ने हिस्सा लिया था। डाॅ वैदिक दिल्ली में होने वाले गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के लगभग सभी सम्मेलनों आते और विचार विनिमय करते थे। गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट से उनका आत्मीय लगाव था। वह मेरे व्यक्तिगत मित्र थे और समाजवादी आन्दोलन के साथी थे। श्री शर्मा ने बताया कि डाॅ वैदिक को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि नहीं मिल रही थी। इसका कारण था कि उन्होंने पीएचडी की थीसिस हिन्दी में लिखी थी। इस सवाल को डाॅ राममनोहर लोहिया ने 1965 में लोकसभा में उठाया था। जिसके बाद उन्हें पीएचडी की मानद उपाधि मिली। डॉ. वैदिक के प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणादायक हैं। उनका लेखन युवाओं का सदैव मागदर्शन करता रहेगा। वैदिक जी के निधन से हिंदी पत्रकारिता में एक बड़ा स्थान खाली हो गया है। जिसकी पूर्ति अपूर्णनीय है। इस मौके पर विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, सरदार राजा सिंह, सत्यवान वर्मा, धनंजय शर्मा, हुमायूं नईम खान, पाटेश्वरी प्रसाद, अशोक शुक्ला, समीर सिंह, साकेत मौर्या, विजय कुमार सिंह ‘मुन्ना’, अशोक जायसवाल, रंजय शर्मा, उमानाथ यादव आदि लोग मौजूद रहे।