महात्मा गांधी के 154वीं जयंती के अवसर पर गांधी भवन में मुशायरा व कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन।
रिपोर्ट :-शिवा वर्मा (सम्पादक)
बाराबंकी। महात्मा गांधी के 154वीं जयंती के अवसर पर गांधी भवन में मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अरविंद सिंह गोप तथा वरिष्ठ पत्रकार हशमत उल्लाह ने संयुक्त रूप से की। जबकि कार्यक्रम का सफ़ल संचालन फ़ैज़ ख़ुमार ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में आम आदी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह उपस्थित रहे। मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में शायरों व कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की। लखनऊ से आए शायर असद उमर ‘असद’-‘मैं नफरत को मुहब्बत में भिगोना चाहता हूं, समुन्दर को मैं दरिया में डिबोना चाहता हूं। चमन पर है सभी का हक़ बराबर, सभी फूलों को धागे में पिरोना चाहता हूं।
पप्लू लखनवी ने सुनाया- ‘किसने ये नफरतों के यहां बीज बो दिए। क्यों ख़त्म एकता हुई हिन्दोस्तान से।’ सग़ीर नूरी ने कहा- ‘जाने कितने जलाए दिए फिर भी छाई रही तीरगी। उम्र भर रोशनी के लिए खूने दिल हम जलाते रहे।’ आदर्श बाराबंकवी ने पढ़ा- ‘जीर्ण क्षीण थी काया उनकी पर साहस भरपूर था। नकारात्मक का अंधियारा कोसों उनसे दूर था।’ डॉक्टर रेहान अलवी बाराबंकवी ने कहा- ‘जहां में अम्न का पैग़ाम इस तरह से दे। दिखे जहां-जहां नफ़रत उसे मिटाए जा।’ फ़ैज़ ख़ुमार ने सुनाया- ‘तभी तो फ़ैज़ नसब पर मुझे ग़ुरुर भी है। ख़ुमार भी है रगों में मेरे सुरूर भी है।’ इरशाद बाराबंकवी ने कहा- ‘अब ये बेचौनी मेरा साथ नहीं छोड़ेगी।जब तलक मुंह नहीं देखेंगे दोबारा उनका।’ नफ़ीस बाराबंकवी ने सुनाया- ‘लौट आए सैर करके वो तो आसमान की। हम सोचते ही रह गए ऊंची उड़ान की।’ किरन भारद्वाज ने सुनाया- ‘तुम बदल जाते हो हालात बदलते ही किरन। ऐसा लगता है कि हो तुम भी ज़माने से मिले।’ जितेन्द्र श्रीवास्तव ‘जीत्तू भैय्या’ ने पढ़ा- ‘कुछ की चादर धवल दूध सी पर कुछ की मटमैली है।रंगरेज़ है एक सभी का कैसी ग़ज़ब पहेली है।’ अहमद बहराइची ने कहा- ‘मुझको ग़ुरबत कहीं गुमराह न कर दे अहमद। मुझसे बच्चे मेरे भूखे नहीं देखे जाते।’ लता श्रीवास्तव ‘लता’ ने पढ़ा- ‘ह से हिन्दू म से मुस्लिम दोनों से हम ही बनता है। आपस में न भेद रहे हर धर्मों से हम प्यार करें।’ रेहान रौनक़ी ने कहा- ‘मर जाएंगे वतन पे मगर मेरे दोस्तों। इज्ज़त न लुटने देंगे हिन्दोस्तान की।’ इनके अलावा साबिर नज़र तथा ज़ाहिद बाराबंकवी सहित अन्य शायरों ने भी अपने कलाम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में पूर्व सदस्य विधान परिषद राजेश यादव राजू, डॉ अंजुम बाराबंकवी, प्रोफ़ेसर रमेश दीक्षित, अमीर हैदर, एसएस नेहरा, मोहम्मद उमेर क़िदवई, वरिष्ठ पत्रकार आनन्द वर्धन सिंह, डॉ आर.के श्रीवास्तव, हुमायूं नईम ख़ान, पूर्व विधायक सरवर अली ख़ां, मोहम्मद उमेर किदवाई, पाटेश्वरी प्रसाद, मोहम्मद अहमद शहंशाह, कौशल किशोर त्रिपाठी, परवेज़ अहमद, विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, मलिक जमाल यूसुफ़, मोहम्मद हारून वारसी, फ़रहत उल्लाह किदवई एडवोकेट, तौक़ीर क़र्रार, सत्यवान वर्मा, साकेत मौर्य, अजीज अहमद सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थिति रहे। अन्त में गांधी जयंती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों के प्रति भर प्रकट किया।