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दिल्लीनई दिल्ली

भारत जंगल में लगने वाली आग और वन प्रमाणीकरण पर विचार-विमर्श के लिए ‘यूनाइटेड नेशन्स फोरम ऑन फॉरेस्ट’ की बैठक की मेजबानी कर रहा है

रिपोर्ट:-शमीम 
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 26 से 28 अक्टूबर, 2023 तक वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून (उत्तराखंड) में यूनाइटेड नेशन्स फोरम ऑन फॉरेस्ट (यूएनएफएफ) के हिस्से के एक रूप में ‘कंट्री लेड इनीशिएटिव’ (सीएलआई) कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।

यूनाइटेड नेशन्स फोरम ऑन फॉरेस्ट सभी प्रकार के वनों के प्रबंधन, संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देता है। भारत को इसका संस्थापक सदस्य होने का गौरव प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2017 से 2030 तक की अवधि के लिए वनों के लिए पहली संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक योजना को अपनाया है। यह रणनीतिक योजना वनों के बाहर स्थित वृक्षों और वनों की कटाई एवं वन क्षति रोकने के साथ-साथ सभी प्रकार के वृक्षों का स्थायी प्रबंधन हासिल करने के लिए सभी स्तरों पर कार्रवाई हेतु एक वैश्विक ढांचे के रूप में कार्य करती है।

इस सीएलआई का प्राथमिक लक्ष्य सतत वन प्रबंधन और वनों के लिए संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक योजना को लागू करने के संबंध में यूएनएफएफ द्वारा आयोजित चर्चाओं में योगदान देना है। इसका उद्देश्य एसएफएम और वनों के लिए संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक वन योजना के वैश्विक वन लक्ष्यों (यूएनएसपीएफ) के कार्यान्वयन के लिए यूएनएफएफ सदस्य देशों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करना भी है। सीएलआई जंगल में लगने वाली आग और वन प्रमाणीकरण से जुड़े विषयगत क्षेत्रों के बारे में विचार-विमश करेगी। इस आयोजन के दौरान, यूएनएफएफ सदस्य देशों, संयुक्त राष्ट्र संगठनों, क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय भागीदारों के साथ-साथ प्रमुख समूहों के विशेषज्ञ विषयगत मुद्दों के बारे में भी विचार-विमर्श करेंगे।

औपचारिक बैठक 26 अक्टूबर 2023 को शुरू होगी। इस कार्यक्रम में मार्गदर्शक विषयों- जंगल में लगने वाली आग और वन प्रमाणीकरण- पर दो दिवसीय विचार-विमर्श का आदान-प्रदान और एक दिवसीय क्षेत्र की यात्रा शामिल है। विषयगत क्षेत्रों- जंगल की आग और वन प्रमाणीकरण- पर विचार-विमर्श से संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक वन योजना के वैश्विक वन लक्ष्यों (यूएनएसपीएफ) को आगे बढ़ाने में वैश्विक कार्यों को समर्थन प्रदान करने के लिए इन क्षेत्रों के बारे में अच्छी प्रथाओं को साझा करने में भी प्रोत्साहन मिलेगा।

हाल के वर्षों में, विश्व में जंगल की आग की घटनाओं की संख्या और अवधि में चिंताजनक रूप से वृद्धि हो रही है, जिससे जैव विविधता, इकोसिस्टम सेवाओं, मानव कल्याण, आजीविका और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इससे वन क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं और लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रति वर्ष प्रभावित हो रहे हैं जो दुनिया के लगभग 3 प्रतिशत वन क्षेत्र के बराबर हैं। जंगल में लगने वाली आग की गंभीरता को कई हाई-प्रोफाइल दुर्घटनाओं के उदाहरण के रूप में दर्शाया गया है, जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में इस वर्ष गर्मी में जंगल की आग लगने की आपदाओं सहित अस्वास्थ्यकर वायु गुणवत्ता और मानव जीवन, वन्य जीवन, इकोसिस्टम सेवाओं और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है। भारत में भी स्थिति इससे अलग नहीं है, क्योंकि देश में बदलती जलवायु के कारण जंगलों में आग लगना एक नियमित घटना बनती जा रही है।

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हाल के वर्षों में वन प्रमाणीकरण के मुद्दे पर वैश्विक रूप से अधिक ध्यान दिया गया है। वर्ष 2010 के बाद प्रमाणीकरण के तहत कुल वन क्षेत्र में 35 प्रतिशत (या 120 मिलियन हेक्टेयर) की वृद्धि हुई है। वर्ष 2020-2021 में प्रमाणित किए गए वन क्षेत्र में 27 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। विकासशील देशों को प्रमाणीकरण प्रक्रिया में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें प्रमाणीकरण, लेखापरीक्षा और अनुपालन मुद्दों की बहुत अधिक लागत के साथ-साथ दूरदराज के क्षेत्रों में वन मालिकों तक पहुंच न होना और विभिन्न प्रमाणीकरण मानकों की जटिलता के कारण क्षमता की कमी भी शामिल हैं। वन प्रमाणीकरण के बारे में विचार-विमर्श से ऐसे मुद्दों के क्षेत्र के संबंध में विकासशील देशों में नीति परिदृश्य समृद्ध होगा।

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संयुक्त राष्ट्र वन उपायों में स्वैच्छिक प्रमाणीकरण प्रणालियों या पारदर्शी तरीके से अन्य उचित तंत्र जैसे स्वैच्छिक उपायों को प्रोत्साहन देने और उनके कार्यान्वयन करने के माध्यम से स्थायी वन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत उपाय अपनाए हैं। यद्यपि कुछ देश प्रमाणीकरण के उपायों और इसकी आवश्यकताओं को अपने वन उत्पादों के लिए व्यापार में चुनौतियां या बाज़ार बाधाएं उत्पन्न करने वाला कारक मानते हैं। दूसरी ओर, कुछ अन्य देश वन प्रमाणीकरण को एसएफएम सुनिश्चित करने का एक प्रभावी साधन और वन क्षति या वनों की कटाई रोकने वाला साधन मानते हैं। एक और प्रमुख चिंता वाली यह है कि अधिकांश उपभोक्ता बाजार अन्य प्रमाणीकरण योजनाओं की कीमत पर कुछ चुनिंदा प्रमाणन निकायों से प्रमाणीकरण को ही मान्यता देते हैं।

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इस बैठक में प्रमुख मुद्दों के बारे में भाग लेने वाले देशों के बीच चर्चा की जाएगी। इस बैठक में 40 से अधिक देशों और 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 80 से अधिक प्रतिनिधि व्यक्तिगत या ऑनलाइन रूप से भाग लेंगे। यह उम्मीद है कि इस बैठक में जंगल में लगने वाली आग और वन प्रमाणीकरण के प्रबंधन के लिए लागू किए जाने योग्य ढांचे और सिफारिशें सामने आएंगी, जिनसे सतत वन प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा जिसके बारे में मई 2024 में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाले यूएनएफएफ के 19वें सत्र में चर्चा के लिए विचार किया जाएगा।

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