गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी को वैश्विक पहचान दी है।
अवधी रामचरित मानस को पाकर धन्य हुई है।

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)
बाराबंकी। गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी को वैश्विक पहचान दी है। अवधी रामचरित मानस को पाकर धन्य हुई है।
उक्त विचार अंतरराष्ट्रीय अवधी भाषाविद राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ राम बहादुर मिश्र ने गांधी भवन में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर आयोजित अवधी दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने यह भी कहा कि अवध भारती संस्थान विगत कई दसकों से गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म दिवस को अवधी दिवस के रूप में मनाता चला आ रहा है। समारोह की गौरवशाली अध्यक्षता वेदना की कवयित्री ‘आधुनिक मीरा’ रजनी श्रीवास्तव निशा ने तथा संचालन संस्थान के सचिव प्रदीप सारंग ने किया।
गोण्डा से पधारे अवधी प्रहरी ट्रस्ट के संस्थापक सुरेन्द्र मिश्र सूर्य ने अवधी भाषा को संकल्प पूर्वक अपने घरों में बोलने की अपील की ।
साहित्यकार डॉ बृज किशोर पाण्डेय जी ने अपने संबोधन में कहा कि तुलसीदास जी किसी जनपद, क्षेत्र या भारत ही नहीं बल्कि विश्व कवि थे।
जनेस्मा परास्नातक महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ सीताराम सिंह ने कहा कि गोस्वामी जी तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था के न केवल सूक्ष्मद्रष्टा थे बल्कि एक अच्छी जनभाषा या सामाजिक भाषा के सूत्रधार भी थे ।
डॉ अम्बरीष ‘अम्बर ‘ ने पढ़ा –
‘राधिका सा प्यार जो निभाती रत्नावली तो,भक्त की जगह भगवान होते तुलसी ।’
अजय प्रधान ने गाया :-
‘राम का चरित्र भाषा अवधी मा लिखी केरि अवधी का तुलसी अकास मा अटाइगे ।’
ओ पी वर्मा ओम ने अवधी में मां शारदे की वंदना की—
‘लै ल्यौ हमरिव अब बलैया , हम तुम्हारि पुतवा।’
अवधी दिवस समारोह को को साहित्य समीक्षक डॉ विनय दास, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्याम सुन्दर दीक्षित, प्राचार्य पटेल महिला पी जी कालेज डॉ ऊषा चौधरी, प्राचार्य ममता डिग्री कालेज डॉ रश्मि श्रीवास्तव, डॉ अल्का श्रीष, किरन भारद्वाज, अनिल श्रीवास्तव लल्लू, दीपक दिवाकर, रवि अवस्थी, साहब नारायण शर्मा ने भी संबोधित किया।
डॉ ए राही, गुलजार बानो, सर्वेश सिंह, पंकज कंवल, एड सुषमा शर्मा, अब्दुल खालिक, तान्या भारद्वाज, रमेश चंद्र रावत, चन्दन पटेल, संस्था उपाध्यक्ष विश्वभर नाथ अवस्थी, रत्नेश कुमार की विशेष उपस्थिति रही।