खादी से उनका आत्मीय रिश्ता था और सादगी उनकी पहचान थी।

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)
बाराबंकी। गजब मिलनसार और सहयोगी वृत्ति के थे शारदा प्रताप शुक्ला। खादी से उनका आत्मीय रिश्ता था और सादगी उनकी पहचान थी। साठ के दशक में लखनऊ विश्वविद्यालय से शारदा प्रताप शुक्ला हुई मुलाकात के बाद हमारे संबंध और भी प्रगाढ़ होते गए। उनकी मित्रता हर राजनैतिक विचारधारा के लोगों से थी। शारदा प्रताप शुक्ला लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र राजनीति के स्तम्भ रहे। उनके असमायिक निधन से समाजवादी आन्दोलन को अपूरणीय क्षति हुई है। यह बात गांधी भवन में समाजवादी आन्दोलन के समर्पित नेता, लोकतंत्र रक्षक सेनानी एवं पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला के निधन पर आयोजित शोक सभा में समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कही। इस दौरान स्व. शारदा प्रताप शुक्ला के चित्र पर मार्ल्यापण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्री शर्मा ने कहा कि शाारदा प्रताप शुक्ला एक निष्ठावान, समर्पित जनप्रतिनिधि थे। वह आपातकाल के दौरान लखनऊ जेल में बंदी रहे। उन्होंने जीवन भर अन्याय, शोषण और अत्याचार का विरोध किया। वह जीवन भर नैतिकता और समाजवाद के सिद्धान्त की राजनीति करते रहे। उनका गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट की गतिविधियों से व्यापक लगाव था। उन्होंने अनेक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। गांधी आश्रम शताब्दी यात्रा के मुख्य सहयात्री भी थे। उनके निधन पर गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट परिवार शोकाकुल है। इस मौके पर विनय कुमार सिंह, अताउर्रहमान, मृत्युंजय शर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, सत्यवान वर्मा, बराती वर्मा, धनंजय शर्मा, रामू गुप्ता, राजेश यादव आदि लोग मौजूद रहे।