केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान में 61 देशों और पांच बहुपक्षीय निकायों के साथ अंतरिक्ष सहकारी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए हैं
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सहयोग के प्रमुख क्षेत्र उपग्रह रिमोट सेंसिंग, उपग्रह नेविगेशन, उपग्रह संचार, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रह अन्वेषण तथा क्षमता निर्माण हैं
सरकार ने आज बताया कि वर्तमान में 61 देशों और पांच बहुपक्षीय निकायों के साथ अंतरिक्ष सहकारी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सहयोग के मुख्य क्षेत्र उपग्रह रिमोट सेंसिंग, उपग्रह नेविगेशन, उपग्रह संचार, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रह अन्वेषण तथा क्षमता निर्माण हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के साथ मिलकर ‘निसार (नासा इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार)’ नामक एक संयुक्त उपग्रह मिशन को साकार करने के लिए काम कर रहा है, जो कार्यान्वयन के उन्नत चरण में है। इसरो ‘तृष्णा’ (उच्च रिज़ॉल्यूशन प्राकृतिक संसाधन मूल्यांकन के लिए थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट) नामक एक संयुक्त उपग्रह मिशन को साकार करने के लिए भी सीएनईएस (फ्रांसीसी राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी) के साथ कार्य कर रहा है, जो शुरुआती चरण में है। इसरो और जेएक्सए (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) ने संयुक्त लूनर पोलर अन्वेषण मिशन को हासिल करने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन किया है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति – 2023 को जारी की गई है। यह निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरू से अंत तक की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार की स्वतंत्रता प्रदान करती है। इसके अलावा, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (आईएन-स्पेस) अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने, अधिकृत करने और प्रोत्साहित करने के लिए एकल-खिड़की एजेंसी के रूप में भी कार्य कर रहा है।
इसरो कार्यक्रम संबंधी प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, अंतरिक्ष विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन डेटा बेस को बढ़ाने, ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क को चौड़ा करने, संयुक्त प्रयोगों के माध्यम से उत्पादों और सेवाओं को बेहतर बनाने और विशेषज्ञता के प्रवाह हेतु मंच का सृजन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्यों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करता है।