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दिल्लीभारत

एनएमसीजी के महानिदेशक ने आगरा में प्रभाव आकलन बैठक के दौरान विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों के समक्ष नमामि गंगे पर प्रस्तुति दी।

 

रिपोर्ट :- शिवा वर्मा (संपादक)

विश्‍व बैंक के कार्यकारी निदेशकों द्वारा भारत में बैंक की परियोजनाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव का अध्‍ययन करने के लिए 5 अगस्‍त, 2023 को आगरा में एक बैठक का आयोजन किया गया था। राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार ने नमामि गंगा परियोजना पर विश्‍व बैंक के दुनिया भर से आए कार्यकारी निदेशकों के समक्ष एक विस्‍तृत प्रस्‍तुति दी। इस अवसर पर विश्‍व बैंक के कंट्री निदेशक श्री ऑगस्‍टे कौमे भी उपस्थित थे।

बैठक के दौरान विश्व बैंक समूह के नौ कार्यकारी निदेशक श्री जैक कुर्स्की, पोलैंड; श्री खालिद बावजीर, सऊदी अरब; सुश्री ज़ैनब शम्सुना अहमद, नाइजीरिया; श्री जुनहोंग चांग, चीन; श्री एरिवाल्डो गोम्स, ब्राजील; श्री अर्नेस्टो एसेवेडो, मैक्सिको; सुश्री सेसिलिया नोहान, अर्जेंटीना; और श्री रॉबिन टास्कर, ब्रिटेन भी उपस्थित थे। इस अवसर पर एनएमसीजी के वित्त निदेशक श्री भास्कर दासगुप्ता और एनएमसीजी के तकनीकी निदेशक श्री डीपी मथुरिया भी शामिल थे। इस अवसर पर ऐतिहासिक ताजमहल का दौरा भी आयोजित किया गया।

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बैठक में नदी संरक्षण के विभिन्न पहलुओं और विश्व बैंक की भूमिका पर बैंक के कार्यकारी निदेशकों के साथ विचार-विमर्श किया गया। कार्यकारी निदेशकों ने भारत के जल क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधारों और निजी क्षेत्र की विशेष रूप से नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत भागीदारी द्वारा जल-सुरक्षित राष्ट्र बनने के प्रयास की सराहना की। उन्‍होंने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा आम लोगों, शैक्षिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों और सिविल सोसायटी सहित अनेक हितधारकों के साथ जन भागीदारी का एक नया अध्याय शुरू करने की सराहना की, इससे नदी संरक्षण के क्षेत्र में नमामि गंगे वैश्विक स्‍तर पर एक अलग भूमिका में सामने आया है। कार्यकारी निदेशक नेतृत्व के दृष्टिकोण और विशेष रूप से हैम मॉडल, वन सिटी वन ऑपरेटर मॉडल, अर्थ गंगा पहल, नमामि गंगे मिशन के तहत सार्वजनिक भागीदारी के प्रयासों से प्रभावित हुए।

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नमामि गंगे कार्यक्रम पर गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष एक विस्तृत प्रस्तुति देते हुए श्री जी अशोक कुमार ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास के लिए पानी को सबसे महत्वपूर्ण घटक के रूप में पहचाना गया है और पिछले 7-8 वर्षों में जल क्षेत्र में बहुत सी पहल की गई हैं। 2019 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में, विभिन्न विभागों को एक साथ लाकर जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया था ताकि विवाद के बिना त्वरित निर्णय लिया जा सके। जल क्षेत्र में कुछ प्रमुख पहलों में जल जीवन मिशन शामिल है, जिसका उद्देश्य 2024 तक सभी को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना है, भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से भूजल के प्रभावी प्रबंधन के लिए अटल भूजल योजना और स्वच्छ भारत मिशन जिसके भाग के रूप में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया था, जिससे सभी के लिए स्वच्छता की दिशा में दुनिया का भार कम हो गया है।

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एनएमसीजी के महानिदेशक ने बताया कि गणमान्य व्यक्तियों ने कैच द रेन: व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स अभियान के बारे में जानकारी दी, जिसे वर्षा जल के विकेन्द्रीकृत भंडारण (पानी का मूल स्‍थान पर भंडारण) के लिए शुरू किया गया था, जिसके भाग के रूप में लाखों, वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया था।

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नमामि गंगे कार्यक्रम का अवलोकन देते हुए उन्होंने कहा कि यह न केवल गंगा नदी को स्‍वच्‍छ करने के लिए बल्कि जन भागीदारी के माध्यम से पूरे नदी इकोसिस्‍टम को बहाल करने के लिए एक समग्र और एकीकृत नदी कायाकल्प कार्यक्रम है। नमामि गंगे पांच महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है – निर्मल गंगा (अप्रदूषित नदी), अविरल गंगा (अप्रतिबंधित प्रवाह), जन गंगा (लोगों की भागीदारी), ज्ञान गंगा (ज्ञान और अनुसंधान आधारित हस्तक्षेप) और अर्थ गंगा (अर्थव्यवस्था के स्‍तम्‍भ के माध्यम से लोगों और नदी को जोड़ना)। उन्होंने कहा, “लगभग 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की 442 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 193 सीवेज प्रबंधन से संबंधित हैं,” उन्होंने कहा, “वित्तीय सहायता विश्व बैंक, जेआईसीए, एशियाई विकास बैंक आदि जैसे संगठनों से भी प्राप्त होती है। एनएमसीजी की पांच स्तरीय संरचना के बारे में बताते हुए उन्होंने कानपुर (2019) और कोलकाता (2022) में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठकों के संबंध में बात की और नमामि गंगे कार्यक्रम के प्रति अटूट राजनीतिक प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक विश्‍व को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे को दुनिया के शीर्ष दस पुनरुद्धार योजनाओं में से एक के रूप में चुना गया था। दुनिया भर के 160 से अधिक पर्यावरण-बहाली कार्यक्रमों में से चुने गए नमामि गंगे को 13 दिसंबर, 2022 को मॉन्ट्रियल, कनाडा में जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीओपी-15) के दौरान सम्मानित किया गया। एनएमसीजी मार्च 2023 में न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र विश्व जल सम्मेलन में भाग लेने वाली भारत की एकमात्र संस्‍था थी।

उन्होंने कहा कि गंगा डॉल्फिन और स्थानीय मछलियों जैसी जलीय प्रजातियों का दिखना और बढ़ना, गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता में सुधार का संकेत है। उन्होंने कहा, ‘2014 में श्रेणी पांच में दो और दूसरी और तीसरी श्रेणी में एक-एक प्रदूषित खंड था। इसकी तुलना में, 2023 में, दो खंड (हरिद्वार से सुल्तानपुर और बक्सर से भागलपुर) अब ‘प्रदूषण रहित’ हैं और श्रेणी 5 में शेष दो (कन्नौज से वाराणसी और त्रिवेणी से डायमंड हार्बर) स्वीकृत सीमा से मामूली रूप से अधिक हैं।

एनएमसीजी के महानिदेशक ने नमामि गंगे के तहत गंगा बेसिन में सीवेज प्रबंधन परियोजनाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले हाइब्रिड एन्युटी मॉडल के बारे में विस्तार से बताया। इस मॉडल के तहत, एसटीपी का विकास, संचालन और रखरखाव स्थानीय स्तर पर एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) द्वारा किया जाता है। इस मॉडल के अनुसार, पूंजीगत लागत का 40 प्रतिशत निर्माण के दौरान भुगतान किया जाएगा, जबकि शेष 60 प्रतिशत लागत का भुगतान अगले 15 वर्षों के लिए संचालन और रखरखाव लागत (ओएंडएम) खर्चों के साथ वार्षिकी के रूप में परियोजना के जीवनकाल में किया जाएगा। वार्षिकी और ओएंडएम भुगतान एसटीपी के प्रदर्शन से जुड़े होते हैं। यह बेहतर जवाबदेही, स्वामित्व और इष्टतम प्रदर्शन के कारण बनाई गई परिसंपत्तियों के निरंतर प्रदर्शन को सुनिश्चित करेगा। एचएएम की कुल 32 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 7 को विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया गया है। एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा, “यह प्रदर्शन-आधारित अनुबंध और बेहतर सुशासन सुनिश्चित करता है।

श्री कुमार ने नमामि गंगे के तहत नदी-शहर गठबंधन (आरसीए) पहल पर भी बात की, जिसे नवंबर 2021 में 30 सदस्यों के साथ शुरू किया गया था। अब, आरहस के अंतर्राष्ट्रीय शहर सहित 142 सदस्यों के साथ, आरसीए शहरी नदियों के सतत प्रबंधन के लिए विचार, चर्चा और जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए एक योग्‍य मंच बन गया है। आरसीए ग्लोबल में दूतावासों के उच्च पदस्थ अधिकारियों की भागीदारी देखी गई। मैनचेस्टर, अरहस, कोपेन हेगन और हैमबर्ग शहरों ने विकास इंजन के रूप में नदियों का उपयोग करने के अपने प्रयासों पर प्रस्तुतियां दीं।

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