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उप राष्ट्रपति सचिवालयभारत

उपराष्ट्रपति के भाषण के प्रमुख अंश – जयपुर में इलेक्ट्रो होम्योपैथी सेमिनार

रिपोर्ट:-शमीम 

11 जनवरी को इलेक्ट्रोपैथी दिवस था, उसकी सभी को अभिनंदन और बधाई! हम ऐसे कालखंड में हैं कि हमें कुछ बातों की ओर ध्यान रखना पड़ेगा। वह हमारे रीढ़ की हड्डी हैं ‘Spinal Strength of our Great Nation’.  भारत में दुनिया की 1/6th ह्यूमैनिटी रहती है। हमारी जो व्यवस्था है दुनिया में इसका कोई मुकाबला नहीं है। राष्ट्रवाद और भारतीयता को आप सदैव समर्पित रहें, यह मेरी आकांक्षा है और अभिलाषा है।

और इसको भी मैं अक्सर बच्चों से कहता हूं and they appreciate it. It is not an option, it is non negotiable. यही एक रास्ता है हमारे भारत को बहुत महान बनाने का और उसी रास्ते पर भारत निरंतरता से अग्रसर है.

देशहित को सर्वोपरि रखना हमारा दायित्व है। राष्ट्रधर्म और सांस्कृतिक अस्मिता को कभी आंच ना आये यह हमारा संकल्प और दायित्व होना चाहिए। कुछ भ्रमित लोग ऐसा करते रहते हैं। हम जानते हैं कि वह गलत काम कर रहे हैं। राष्ट्र विरोधी नैरेटिव को चलाते हैं। जानकार आदमी जब ऐसा करता है तो बड़ी पीड़ा होती है। कोई अर्थशास्त्री जिसने 10 साल तक भारत की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ाव रखा वह कहता है विदेश से कि 5% से ज्यादा की बढ़ोतरी नहीं होगी और वह बढ़ोतरी 7.6% है। तो मैं आप सबसे कहूंगा यह समय शांत रहने का नहीं है, यह समय चुप रहने का नहीं है।

If we remains silent when we should be speaking vocaly, then trust me our silence will resonate in our ears for years to come and we will be silenced.

भारतमाता यह स्वीकार नहीं करेगी और मेरा आग्रह रहेगा हर व्यक्ति से कि वह अपने कर्तव्य का निर्वहन वर्तमान स्थिति को देखकर करें जहां भारत का अस्तित्व पूरी दुनिया दूसरे तरीके से मान रही है।

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यदि अगर किसी क्षेत्र में सबसे बड़ी छालंग भारत ने लगाई है तो वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगाई है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में स्वास्थ्य मूल केंद्र रहा है, विकास का मूल मंत्र रहा है और यही कारण है कि पहली बार देश में आयुष मंत्रालय बना। इससे पहले नहीं था पहली बार दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम – आयुष्मान भारत दुनिया में कहीं ऐसा नहीं है। दुनिया के जो सबसे विकसित देश है वहां भी अफॉर्डेबल मेडिकल केयर नहीं है, जो यहां पर है।

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आज के दिन हर आदमी यह सोचता है कि मेरा खानपान अच्छा हो, पेस्टिसाइड से ग्रसित ना हो। मैं स्वस्थ रहूं। पर भारत ने पहल की है इसमें भी और दुनिया को बहुत बड़ा रास्ता दिखाया है। हमारे अथर्ववेद में क्या कुछ नहीं लिखा है स्वास्थ्य के बारे में। दुनिया के वैज्ञानिक हतप्रभ है और नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र का उपयोग करके वहां योग के बारे में बताया। दुनिया ने स्वीकार किया कम से कम समय में दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देशों ने उसको अपनाया।

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अभी 21 जून को  दुनिया के हर कोने में योग दिवस मनाया जाता है। योग दुनिया को भारत की देन है और गत योग दिवस पर जबलपुर, मैं उसमें था और हमारे प्रधानमंत्री जी ने विदेश में संयुक्त राष्ट्र प्रांगण में दुनिया के देशों के प्रतिनिधियों के सामने  योग किया। योग, योग दिवस तक सीमित नहीं है। योग हर दिन का है।

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अब देखिए मोटे अनाज की बात दुनिया में बहुत बड़ा चलन हो गया श्री अन्न का। प्रधानमंत्री जी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से International Millet Year declare कराया। कितना बड़ा बदलाव आया है। किसान की हालत तो उसमें सुधरेगी ही बहुत सी व्यवसायिक Opportunities भी वहां से निकलेगी पर स्वास्थ्य की दृष्टि से यह बहुत जबरदस्त है।

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Electropathy के बारे में  मैंने कहा, नाम के अलावा सब ठीक है। नाम के अंदर लगता है कि कोई करंट लगेगा पर ऐसा कुछ नहीं है। There can be nothing more natural, organic then electropathy.

आज के दिन मैं यहां से आह्वान करना चाहूंगा,
किसान बंधुओं को खासकर कि वह अपने बच्चों को नौकरी में भेजने के लिए लालायित हैं। वह इस और ध्यान नहीं देने वाले हैं कि सबसे बड़ा व्यवसाय कृषि उत्पाद का है। दूध का जितना वैल्यू एडिशन हो सकता है सरकार की जो नीतियां हैं आज के दिन उनका फायदा उठाना चाहिए। मैं यह सब इसलिए कह रहा हूं आज के दिन  क्योंकि यह सब बातें स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है।

हमारी लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि हम लाइफस्टाइल की वजह से बीमारी को आमंत्रण दे रहे हैं। हमारी इम्युनिटी इतनी कमजोर हो गई है कि जब कोविड की महामारी आई तो राजस्थान के कई स्थानों से पैकेट बुने गए, कोलकाता में भेजे गए। कोलकाता पुलिस ने उनको ग्रहण किया और वह सबसे ज्यादा कारगर साबित हुए। राज भवन कोलकाता में लघु उद्योग चालू कर दिया हमने। 600 से ज्यादा कर्मचारी थे, हर तीसरे दिन हम काढ़ा देते थे। एक भी कोविड की चपेट में नहीं आया।

कहने का मतलब यह है की चमक है, दमक है आकर्षण है, आवश्यकता है बड़े अस्पताल की, मैं उसके खिलाफ नहीं हूं पर जो हमारी पूंजी है हजारों साल की पूंजी है जो सार्थक है उसको अपनाना चाहिए।

देश के मानुष को बदलना ही राजतंत्र है देश को एक दृष्टि देना यही राजतंत्र है।

शुरू में हम कहीं भी जाते हैं, भारत का जो व्यक्ति है वह थोड़ा हिचकिचाहट में रहता है कि पता नहीं दूसरा कितना प्रतिभाशाली है। मैं भी पेरिस में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में रहा। We take to system as duck takes to water. बत्तख की तरह हम भी जल्दी ग्रहण कर लेते हैं और यही कारण है आज के दिन की दुनिया में कोई ऐसा बड़ा कॉर्पोरेट नहीं है कोई ऐसी बड़ी संस्था नहीं है जहां भारतीय का योगदान ना हो। हम कहां थे और कहां आ गए हैं।

10 साल पहले दुनिया की पांच अर्थव्यवस्था में जो दुनिया के लिए  चिंता का कारण थी, दुनिया पर बोझ थी, हमारा नाम उनमें शुमार था। और आज इंग्लैंड को पीछे छोड़ते हुए, कनाडा को पीछे छोड़ते हुए, फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए हम दुनिया के पांचवी आर्थिक महाशक्ति है। 2027 – 28 तक हम जापान और जर्मनी को भी पीछे छोड़ देंगे।

मेरा यह पीछे छोड़ने वाला मामला मुझे सुधार करना चाइये। हम किसी को पीछे छोड़ते नहीं हैं। हम हमारा मार्ग प्रशस्त करते हैं,और सबको साथ लेते हैं।

दुनिया के सामने सबसे बड़ा संकट था कोविड। भारत ने अपने लोगों का ध्यान रखते हुए भी 100 से ज्यादा देशों की मदद की। वसुधैव कुटुंबकम हमारे लिए एक एक्सप्रेशन नहीं है यह हमारी सोच है और यही कारण है कि जी-20 में इसको मोटो के रूप में अपनाया गया।

लोग कहते हैं sky is the लिमिट। आज के भारत में sky is not the limit आज के भारत में कोई लिमिट नहीं है।

हमारा शरीर तभी स्वस्थ रहेगा जब शरीर के सब अंग स्वस्थ रहेंगे, दिमाग स्वस्थ नहीं रहता परेशानी है। दिल के साथ परेशानी है, liver के साथ पूरे शरीर का यही हाल है। समाज का भी यही हाल है। समाज भी तभी स्वस्थ रहेगा जब समाज के सभी अंग एक साथ रहेंगे।

हमारी संस्कृति यही कहती है सब मिलकर काम करो एकजुटता से काम करो। बड़ी पीड़ा होती है। कहने को तो कहते हैं 36 कौम है पर कोम ज़यादा हैं। मुझे बड़ी पीड़ा होती है कुछ लोगों की सोच कितनी नीचे है, विकृत है कितनी छोटी है, ऐसी बातें करने लग जाते हैं 35 बनाम एक। इनको इस भाग में बांट दो, उस भागों में बाट दो। हम सब का परम कर्तव्य है कि समाज में जो लोग जहर घोलते हैं, सबसे पहले उनका आचरण अमर्यादित है। दूसरा उनको यह नहीं पता कि जिसको वह शक्ति मानते हैं वह उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। समाज को जोड़ना हमारा कर्तव्य है। समाज को इस तरीके से हम नहीं बांट सकते हैं। राष्ट्रहित सर्वोपरि हित है राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जा सकता।

मुझे राम मंदिर के संबंध में निमंत्रण मिला तो मुझे वहां कहना पड़ा सार्वजनिक रूप से कि राम की कल्पना, राम राज्य की कल्पना भारत के संविधान में निहित है। संविधान के निर्माता ने इसे पराकाष्ठ पर रखा है। संविधान में जो बीस से ज्यादा चित्र हैं उनमे मौलिक अधिकारों के ऊपर जो चित्र है उसमें राम, लक्ष्मण, सीता है। यह संविधान में है।

मुझे बहुत पीड़ा होती है जब कोई … मैं किसी की आलोचना नहीं करता…. अज्ञानी है, वह इतिहास से अनभिज्ञ है जो हलफनामा दे देते हैं कि राम काल्पनिक है। वह वर्तमान में किसी का अनादर नहीं कर रहे हैं वह हमारे संविधान निर्माताओं का अनादर कर रहे हैं जिन्होंने बहुत सोच समझकर विवेकपूर्ण तरीके से उन चित्रों को वहां रखा है।

भारत का जो अमृत काल है वह भारत का गौरव काल है। अमृत काल में इतनी मजबूत नींव रखी जा चुकी है कि 2047 में जब भारत आजादी के 100 साल मनाएगा, भारत विकसित देश ही नहीं होगा दुनिया में सर्वोपरि होगा।

हमारा परम कर्तव्य है कि हम आर्थिक राष्ट्रवाद की सोचें। यह हर एक का है, खास तौर से जो उद्योग में है व्यापार में है इंडस्ट्री ट्रेड एंड बिजनेस वह यह काम कर सकते हैं। हम विदेशों से दिये मंगाएंगे, कैंडल मंगाएंगे, फर्नीचर मंगाएंगे, कर्टन मंगाएंगे, वह चीजे मंगाएंगे जो यहां बनती हैं। हम थोड़े से पैसे के लालच के लिए देश का और देश के नागरिकों को बहुत अहित कर रहे हैं। जब बाहर से वह चीज़ मंगा रहे हैं जो यहां उपलब्ध है तो हम उन लोगों के हाथों से काम छीन रहे हैं जो वह उसे काम में लगे हए हैं। मेरी विनम्र प्रार्थना है हर नागरिक से और खास तौर से इंडस्ट्री ट्रेड एंड बिजनेस के नेताओं को, लीडरशिप को आगे आना चाहिए हम देश में वही आयात करें जो हमारी राष्ट्र के लिए  अति आवश्यक है।

कहते हैं कि मेरे पास पैसा है तो पांच गाड़ियां रखूंगा चाहे जितना पेट्रोल use करूंगा चाहे जितनी बिजली use करूंगा। मतलब I will consume natural resources because i have fiscal capacity because I have power in my पॉकेट. यह आपका अधिकार नहीं है। We are trustees. पानी हो, कोयला हो ऊर्जा हो उसका उपयोग optimal utilization होना चाहिए।

जो लोग समाज को हिस्सों में बांटना चाहते हैं तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए बांटना चाहते हैं जहर फैलाना चाहते हैं 35 बनाम 1 की बात करते हैं, 20 बनाम 10 की बात करते हैं वह लोग समाज के दुश्मन नहीं वह खुद के दुश्मन भी है। उनका आचरण अमर्यादित नहीं घातक है और आज के दिन उनको ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति या समूह है कितनी भी सिक्रेसी में कोई बात करें वह सड़क पर तुरंत आती है, तीव्र गति से आती है और समाज को एक तरह से बहुत muddy वाटर में डालती है। यह मेरी आपसे कामना है प्रार्थना है कामना है  अनुरोध है कि ऐसे तत्वों को सबक सिखाने की दरकार नहीं है वह अपने हैं उनको जागरूक करने की दरकार है उनको समझाने की दरकार है उनको सही रास्ते पर लाने की दरकार है। और यह काम संस्थागत तरीके से नहीं अपने पड़ोस में होना चाहिए, अपने समाज में होना चाहिए, जिस वर्ग से हम जुड़े हुए हैं वहां होना चाहिए।

मेरा संवाद प्रेमचंद जी बैरवा जी से विचित्र परिस्थिति में हुआ। 23 अप्रैल 2023 को धन्ना जाट भगत की जयंती पर मुझे कैथल में मुख्यमंत्री ने हरयाणा बुलाया। बहुत शानदार कार्यक्रम रहा। उस इलाके में धन्ना जाट की बहुत मान्यता है  और मुझे लगा राजस्थान में इनका जन्म हुआ है वहां का निमंत्रण मुझे मिलने में आपने बहुत सहायता की और 23 सितंबर 2023 का दिन निश्चित किया गया। पर एक संकट आ गया। संकटमोचन भी आप ही बने। संकट यह आ गया की तत्कालीन सरकार ने कहा कि यहां पर हेलीकॉप्टर उतर नहीं पाएगा स्वाभाविक है कि लोग चाहते हैं कि जब अपनों में से जब कोई ऊपर जाता है तब हम उसका स्वागत भी करें और अपेक्षा भी रखते हैं। इन्होंने बहुत बुद्धिमत्ता दिखाई। एक किसान को तैयार किया और किसान ने जिलाधीश को लिखकर दे दिया कि मैं अपना एक खेत जिसमें अब तीन हेलीकॉप्टर एक साथ आ सकते हैं, देने को तैयार हूं।

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