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दिल्लीभारत

आयुर्वेद दिवस देशभर में व्यापक स्तर पर मनाया गया

परमाणु ऊर्जा, कीटनाशकों और विषैले पर्यावरण के इस युग में आयुर्वेद एक वरदान है: सर्बानंद सोनोवाल

देश भर में 8000 से अधिक कल्याण केंद्र स्थापित किए गए

आयुष ग्रिड परियोजना के माध्यम से आयुष सेक्टर के सेवा वितरण को और सुदृढ़ किया जा रहा है

विश्वभर में आयुर्वेद चिकित्सा के प्रसार के साथ, औषधीय पौधों, उनकी खेती और व्यवसाय की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है

आयुर्वेद दिवस के लिए बनाई गई माइक्रो वेबसाइट को विश्वभर से करीब 20 करोड़ लोगों का समर्थन मिला, डिजिटल तौर पर 102 देशों तक मुहिम पहुंची, 80 देशों की मीडिया में कवरेज पहुंचा

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आयुर्वेदिक दवाओं के आणविक गुणधर्मों को समझने के लिए आईआईटी, एम्स और सीएसआईआर जैसे संस्थानों ने आयुष के साथ हाथ मिलाया

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इसरो की मदद से देशभर में औषधीय पौधों का मानचित्रण किया जा रहा है

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तीन वैद्यों को राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार प्रदान किए गए

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रिपोर्ट:-शमीम 
केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आठवें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर कहा कि परमाणु ऊर्जा, कीटनाशकों और विषैले वातावरण के इस युग में आयुर्वेद एक वरदान की तरह है। निरंतर प्रयासों से आयुष मंत्रालय ने देश भर में आठ हजार से अधिक वेलनेस सेंटर स्थापित किये हैं। आयुष क्षेत्र की सेवा वितरण को और सुदृढ़ करने के लिए आयुष ग्रिड परियोजना आरंभ की गई और इसे मजबूत करने की व्यवस्था की गई। आयुर्वेद दिवस प्रति वर्ष धन्वंतरि जयंती पर मनाया जाता है। प्रति वर्ष कार्यक्रम आयोजित करने से आयुर्वेद दिवस की ख्याति दुनिया भर में बढ़ी है। वैश्विक विस्तार के कारण दुनिया भर में औषधीय पौधों की खेती की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है। इस बार आठवें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर आयुर्वेद दिवस की एक माइक्रो वेबसाइट बनाई गई जिसे दुनिया भर से करीब बीस करोड़ लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ। अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री सोनोवाल ने कहा कि आयुर्वेद दिवस के वैश्विक अभियान ‘एक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद’ के संदेश और जी-20 बैठक की वैश्विक थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ ने ऐसी अमिट छाप छोड़ी है जिसका पूरा विश्व अवलोकन कर रहा है

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कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चंद गुप्ता ने देश और दुनिया में इतने बड़े स्तर पर आयुर्वेद दिवस मनाने के लिए आयुष मंत्रालय की सराहना की और आयुर्वेद के विकास के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को भी रेखांकित किया।

आयुर्वेद दिवस के समारोह में उपस्थित केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री श्री मुंजापारा महेंद्रभाई ने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं के आणविक गुणधर्मों को समझने के लिए आईआईटी, एम्स और सीएसआईआर जैसे संस्थानों ने आयुष के साथ हाथ मिलाया है। इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की मदद से देशभर में विद्यमान औषधीय पौधों का मानचित्रण किया जा रहा है। श्री मुंजापारा ने कहा कि आयुर्वेद केवल मानव स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि इससे जुड़े अन्य विषय भी हैं जैसे वृक्षायुर्वेद, पशु आयुर्वेद और ये सभी मिलकर एक स्वस्थ आयुर्वेद वातावरण का निर्माण करते हैं। एफएसएसएआई द्वारा आयुर्वेद आहार के विनियमन की अधिसूचना आयुष के लिए एक बड़ी सफलता है।

इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आठवें आयुर्वेद दिवस के समारोह के लिए विशेष रूप से बनाई गई माइक्रोसाइट में दर्ज आंकड़ों से पता चलता है कि विश्वभर से लगभग 20 करोड़ लोगों ने 20 हजार कार्यकलापों में एक महीने तक चले इस अभियान में सहयोग किया। लगभग 17 लाख लोगों ने इसमें भाग लिया। माइक्रोसाइट 102 देशों तक पहुंची और 424 स्थानों पर “रन फॉर आयुर्वेद” का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों की ख़बरें लगभग 80 देशों के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मीडिया में प्रकाशित हुई

कार्यक्रम को हरियाणा की अपर मुख्य सचिव डॉ. जी अनुपमा, अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष पद्म भूषण वैद्य त्रिगुणा जी, आयुष मंत्रालय के आयुर्वेद सलाहकार वैद्य मनोज नेसरी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर वित्तीय परामर्शदाता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय के अपर सचिव जयदीप मिश्रा, आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव कविता गर्ग, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली परिषद के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी, केन्द्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रोफेसर रबी नारायण उपस्थित रहे। इस अवसर पर कई आयुर्वेदिक विश्वविद्यालयों के आचार्य एवं कुलपति भी उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार कार्यक्रम में आयुर्वेद के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कारों की घोषणा की गई। ये विशेष सम्मान वैद्य आरएम अवहाद, वैद्य पीवी दमानिया, वैद्य एल महादेवन सरमा को प्रदान किये गये।

आयुर्वेद दिवस का दो दिवसीय कार्यक्रम इस संदेश के साथ संपन्न हुआ कि हमें जनभागीदारी के माध्यम से आयुर्वेद के जन संदेश को जन आंदोलन में बदलना है और आयुर्वेद को वैश्विक मंच पर स्थापित करना है।

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